नई दिल्ली: सत्तारूढ़ भाजपा के सहयोगी दल और विपक्षी दलों के समर्थकों ने असम में परिसीमन प्रस्तावों के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है.
भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित मसौदा प्रस्ताव के अनुसार, परिसीमन के बाद असम में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की संख्या अपरिवर्तित रहेगी, जो कि क्रमश: 14 और 126 हैं, लेकिन चार विधानसभा सीटें सामान्य श्रेणी से आरक्षित की श्रेणी में डाल दी गई हैं, और बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल में तीन सीटें और शामिल कर दी गई हैं.
द हिंदू में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ निर्वाचन क्षेत्रों – संसदीय और विधानसभा – का नाम बदलने का प्रस्ताव है और कथित तौर पर मुस्लिम मतदाताओं की शक्ति को कम करने के लिए कई की सीमाओं को फिर से निर्धारित किया जाएगा.
जहां अल्पसंख्यकों के ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) ने कहा है कि परिसीमन प्रस्ताव का मसौदा धार्मिक और जातीय आधार पर मतदाताओं को ध्रुवीकृत करने की भाजपा की कोशिश को दर्शाता है, वहीं असम गण परिषद (एजीपी) ने अपने विधायकों के कब्जे वाले कुछ निर्वाचन क्षेत्रों के विलय का विरोध किया है. एजीपी राज्य में भाजपा का एक छोटा सहयोगी दल है.
शनिवार (24 जून) को एजीपी समर्थकों ने शिवसागर जिले के अमगुरी विधानसभा क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन किया, जहां से पार्टी के प्रदीप हजारिका विधायक हैं.
एक स्थानीय एजीपी नेता ने कहा, ‘हम अमगुरी का किसी अन्य निर्वाचन क्षेत्र में विलय स्वीकार नहीं करेंगे. इससे हमारी पहचान खत्म हो जाएगी.’
एआईयूडीएफ के समर्थकों ने भी दक्षिणी असम की बराक घाटी में विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि मौजूदा निर्वाचन क्षेत्रों को अछूता रखा जाए.
असम कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा ने कहा कि 12 विपक्षी दलों के प्रतिनिधि परिसीमन प्रक्रिया के खिलाफ चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंपेंगे. कांग्रेस समेत इन दलों का एक प्रतिनिधिमंडल 7 और 8 जुलाई को नई दिल्ली आ सकता है.
उन्होंने कहा, ‘परिसीमन के कदम के विरोध को तेज करने के लिए इन दलों का एक प्रतिनिधिमंडल 30 जून को शिवसागर में मिलने वाला है. इसके बाद यह 2 और 3 जुलाई को बराक घाटी के तीन जिलों का दौरा करेगा.’
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को ध्यान में न रखने के लिए चुनाव आयोग की आलोचना करते हुए बोरा ने कहा, ‘भाजपा ने लोगों की भावनाओं को नजरअंदाज कर दिया है, क्योंकि वह धार्मिक ध्रुवीकरण पर अमादा है.’