नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी की सरकार के गिराए जाने के तरीके को गलत बताते हुए कई सवाल उठाये हैं. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और स्पीकर की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे अगर इस्तीफ़ा नहीं देते तो सरकार बनी रह सकती थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को फ्लोर टेस्ट कराने का हक है, लेकिन फ्लोर टेस्ट कराने का आधार गलत था. विधायकों की योग्यता पर विधानसभा अध्यक्ष को फैसला करना चाहिए. उद्धव के इस्तीफे को खारिज नहीं कर सकते हैं. हम पुरानी स्थिति को बहाल नहीं कर सकते हैं. इससे शिंदे सरकार पर फिलहाल कोई संकट नहीं है. महाराष्ट्र में शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है, लेकिन सरकार बच गई है.
सुप्रीम कोर्ट के सवाल उठाने के बाद महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने बयान दिया है. भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि वह कानून के विशेषज्ञ तो नहीं लेकिन संसदीय व विधायी परम्पराओं के जानकार जरूर हैं और उन्होंने पिछले साल जून में इस संवैधानिक पद पर रहते हुए ‘सोच समझ’ कर तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सदन में विश्वास मत हासिल करने को कहा था. भगत कोश्यारी ने महाराष्ट्र में पिछले साल शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिरने और उसके कारण उत्पन्न राजनीतिक संकट से जुड़ी अनेक याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय के आज आए फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही.