भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उत्तर प्रदेश की तरह राज्य में मदरसों का सर्वे करने लिए उच्चाधिकारियों को निर्देश दिए हैं. साथ ही कहा कि राज्य में कट्टरता के लिए कोई स्थान नहीं है.
मुख्यमंत्री ने बुधवार (19 अप्रैल) को प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर बैठक की. इस दौरान उन्होंने अच्छा काम कर रहे पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को बधाई दी. साथ ही कट्टरता का पाठ पढ़ाने वाले अवैध मदरसों और संस्थानों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश भी दिए.
मुख्यमंत्री ने खुद इसकी जानकारी देते हुए बुधवार को बताया कि कट्टरता का पाठ पढ़ाने वाले अवैध मदरसों और संस्थानों की समीक्षा होगी. प्रदेश में किसी तरह का अतिवाद और कट्टरता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
उन्होंने कानून व्यवस्था की समीक्षा के दौरान निर्देश दिए कि सोशल मीडिया पर भ्रम फैलाने वाली खबरों, अभद्र कंटेंट और कट्टर विचारों वाले पोस्ट पर कड़ी निगाह रखें और तत्काल कार्रवाई करें.
मदरसा बोर्ड के मुताबिक, प्रदेश भर में 2,689 मदरसे संचालित हैं, जबकि इनमें से कुल 1,755 के पास ही डाइस कोड और मान्यता है. डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर कार्यालय के अनुसार, भोपाल में ऐसे 479 मदरसे हैं.
अखबार के मुताबिक, प्रदेश में बड़ी संख्या में ऐसे मदरसे चल रहे हैं, जो कहीं से सम्बद्ध नहीं हैं. पहले मदरसों को केंद्र से अनुदान मिलता था, लेकिन 2014 के बाद अनुदान मिलना बंद हो गया, क्योंकि मदरसों के खिलाफ कई तरह की शिकायतें मिल रही थीं.
पिछले साल अक्टूबर में मध्य प्रदेश बाल आयोग ने विदिशा में मदरसा मरियम का निरीक्षण किया था. वहां 37 बच्चों में से 21 हिंदू और 5 आदिवासी थे. 5 शिक्षकों में से किसी के पास यूजी-पीजी या बीएड की डिग्री नहीं थी.
इसके अलावा पिछले साल जून में भोपाल के दो मदरसों में बिहार से लाए गए बच्चे मिले थे. अशोका गार्डन और नारियलखेड़ा में चल रहे दो अवैध मदरसों को बाल आयोग ने बंद कराया था.
कुछ महीनों पहले बाण गंगा में चल रहे दो मदरसों में दूसरे राज्यों से बच्चे लाकर रखने की शिकायत भी मिली थी. दतिया के अरबिया मदरसे में 26 हिंदू बच्चे इस्लामिक शिक्षा लेते मिले थे.
अमर उजाला के मुताबिक, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने अवैध मदरसों के समीक्षा करने के सरकार के फैसले का स्वागत किया है.
उन्होंने कहा, ‘सिर्फ मदरसे नहीं, हर किसी की समीक्षा होनी चाहिए. हुआ भी है. मदरसों का क्यों नहीं होना चाहिए? छात्रावासों की भी समीक्षा करते रहते हैं. सरकार ने एक अच्छा निर्णय लिया है. मदरसों के अंदर क्या हो रहा है, पढ़ाई के नाम पर तालीम दी जा रही है. ऐसे में जरूरत है कि हर जगह की समीक्षा की जाए.’
अवैध मदरसों पर बुलडोजर चलाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा जरूर होना चाहिए.
वहीं, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 15 साल में मदरसा बोर्ड को अपंग कर दिया गया है. मुख्यमंत्री के अवैध मदरसों पर दिए बयान को लेकर कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अब्बास हफीज ने पलटवार किया.
उन्होंने कहा, ‘जब 20 साल सत्ता में रहने के बाद स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, महंगाई जैसे मुद्दों पर सरकार विफल हो जाएं तो चुनाव जीतने के लिए हिंदू-मुस्लिम के सिवाय कोई फॉर्मूला नहीं रह जाता है. मध्य प्रदेश मरदसा बोर्ड को पिछले 15 साल में अपंग करने वाले मुख्यमंत्री आज मदरसे की बात कर रहें हैं. आज प्रदेश में मदरसा बोर्ड पूरी तरह बंद पड़ा है. महीनों तक कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिलती. शिक्षा नहीं हैं. छात्र लगातार कम हो रहे हैं. फंड नहीं दिया जाता लेकिन आज इन्हें मदरसे की याद आई क्योंकि चुनाव जीतना है.’
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता केके मिश्रा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि अवैध मदरसों और संस्थानों की समीक्षा की जानी चाहिए, जहां कट्टरता सिखाई जा रही है. इसे समझने में उन्हें 18 साल लग गए. इसका मतलब है कि मध्य प्रदेश में इंटेलिजेंस फेल हो गया.’
चौहान पर निशाना साधते हुए मिश्रा ने कहा, ‘आप एक विकासपुरुष हैं. कृपया विकास पर वोट मांगिए. ये मंदिर, मस्जिद, मदरसा, कब्रिस्तान, श्मशान की बात क्यों कर रहे हैं? क्या मुख्यमंत्री उग्रवाद की बात करने वाले भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करेंगे?’
गौरतलब है कि देश में तमाम राज्यों में जहां भाजपा नेतृत्व वाली सरकारें हैं, वहां मदरसों को लेकर अक्सर दिशानिर्देश जारी किए जाते हैं.
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार ने भी 31 अगस्त 2022 को राज्य के गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति जांचने के लिए उनका सर्वेक्षण कराने का फैसला किया था.
इसके कुछ महीने बाद अक्टूबर 2022 में उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने मदरसों को एक महीने के भीतर राज्य के शिक्षा विभाग में अपना पंजीकरण कराने या बंदी का सामना करने के लिए तैयार रहने का आदेश दिया था.
इस साल जनवरी में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा था कि मदरसों में पढ़ाने वाले असम के बाहर के शिक्षकों को नियमित रूप से थानों में उपस्थित होना पड़ेगा. उन्होंने यह भी कहा कि असम पुलिस मदरसा शिक्षा को ‘तर्कसंगत’ बनाने के लिए मुसलमानों के साथ काम कर रही है.
बीते मार्च में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा था कि वह राज्य में सभी मदरसों को बंद करने का इरादा रखते हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि वह पहले ही 600 मदरसों को बंद कर चुके हैं.