नई दिल्ली, 30 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि पूर्व की संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सरकार ने ‘परपीड़क अर्थव्यवस्था और मित्रवादी पूंजीवाद (क्रोनी कैपिटलिज्म)’ को अपनाया और उसे बढ़ावा दिया है। इसके साथ ही जेटली ने पूर्व की सरकार द्वारा स्वीकृत और गैरस्वीकृत सभी परियोजनाओं की समीक्षा करने की बात कही।
जेटली ने यह बात तब कही है, जब जयंती नटराजन ने कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कहा है केंद्रीय पर्यावरण मंत्री के रूप में उन्होंने पर्यावरण सुरक्षा के मामले में पार्टी लाइन और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कार्यालय से आए अनुरोधों के अनुसार काम किया था।
तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 20 दिसंबर, 2013 को नटराजन को इस्तीफा देने को कहा था।
जेटली ने मीडिया से कहा, “जब कानूनी आवश्यकताओं पर सनक हावी होने लगे तो यह ‘मित्रवादी पूंजीवाद’ का मामला बन जाता है और संप्रग सरकार ठीक यही कर रही थी। संप्रग सरकार परपीड़क अर्थव्यवस्था में माहिर थी और इस तरह की अर्थव्यवस्था बदला लेने की भावना से ओत-प्रोत थी। दरअसल, संप्रग सरकार कुछ लोगों को सबक सिखाना चाहती थी और कुछ लोगों को लाभ पहुंचाना चाहती थी।”
उन्होंने कहा कि अब तक जो ‘अफवाहें’ थीं, वे अब हकीकत के रूप में सामने आ गई हैं। देश चला रही किसी भी सरकार की जिम्मेदारी देश की अर्थव्यवस्था का संचालन करने की भी होती है।
जेटली के मुताबिक, परियोजनाओं को मंजूरी मिलने में देरी की वजह से संप्रग सरकार के दौरान विकास दर तेजी से नीचे चली गई।
उन्होंने कहा, “लाखों-करोड़ों रुपये की परियोजनाएं मंजूरी के बिना अधूरी पड़ी हैं। आज मीडिया में जारी हुए इस पत्र से स्पष्ट है कि पर्यावरण मंजूरी के मामले में वैधानिक और अनिवार्य विचार बिंदु सत्तारूढ़ दल के लिए महत्वपूर्ण नहीं थे, बल्कि पार्टी नेताओं की सनक उसपर हावी थी, कि किसे पर्यावरणय मंजूरी देनी है औ किसे नहीं देनी है।”
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि ऐसा “साफतौर पर भ्रष्ट और दोतरफा कारणों से हुआ है, और इसलिए पिछले कुछ वर्षो में संप्रग सरकार के दौरान देश पीछे गया है।”
जेटली ने कहा, “मुझे आशा है कि अब पर्यावरण मंत्रालय स्वीकृत और अस्वीकृत परियोजनाओं की जल्द से जल्द समीक्षा करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि उनके साथ तत्परता से सिर्फ कानून के अनुसार निपटा जाए, अन्य किसी आधार पर नहीं।”