नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बिना नाम लिए गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर विदेशी सरजमीं पर ‘भारत विरोधी’ टिप्पणी करने को लेकर निशाना साधा और उन्हें व्यंग्यात्मक और पीड़ादायक बताया. दिग्गज राजनेता करण सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘मुंडका उपनिषद: द ब्रिज टू इम्मॉर्टेलिटी’ के लॉन्च के मौके पर धनखड़ ने कहा, कितना विडंबनापूर्ण, कितना दर्दनाक! जबकि दुनिया कार्यात्मक जीवंत लोकतंत्र के रूप में हमारी ऐतिहासिक उपलब्धियों की सराहना कर रही है, हममें से कुछ, जिनमें सांसद भी शामिल हैं, हमारे सुपोषित लोकतांत्रिक मूल्यों के विचारहीन, अनुचित अपमान में लगे हुए हैं. हम एक तथ्यात्मक रूप से अपुष्ट आख्यान के इस तरह के प्रचंड तांडव को कैसे सही ठहरा सकते हैं?
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब भारत जी20 अध्यक्ष के रूप में गौरव का क्षण बिता रहा है, देश के बाहर ऐसे लोग हैं जो राष्ट्र को बदनाम करने के लिए काम कर रहे हैं. उपराष्ट्रपति ने कहा- हमारी संसद और संवैधानिक संस्थाओं को दागदार और कलंकित करने के लिए इस तरह के गलत अभियान मोड को अनदेखा या स्वीकार करने के लिए बहुत गंभीर और असाधारण है. कोई भी राजनीतिक रणनीति या पक्षपातपूर्ण रुख हमारे राष्ट्रवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों से समझौता नहीं कर सकता है.
धनखड़ ने कहा कि, वह संविधान के गलत पक्ष में होंगे यदि वह देश के बाहर किसी संसद सदस्य द्वारा किए गए इस दुस्साहस-ऑर्केस्ट्रेशन पर चुप्पी बनाए रखते हैं, जो गलत धारणा, अस्वास्थ्यकर है. भारतीय संसद में माइक बंद कर दिए जाने वाले बयान को मैं कैसे पवित्र ठहरा सकता हूं? लोग ऐसा कैसे कह सकते हैं? क्या कोई उदाहरण दिया गया है? हां! हमारे राजनीतिक इतिहास का एक काला अध्याय था. आपातकाल की उद्घोषणा किसी भी लोकतंत्र का सबसे काला समय था. लेकिन भारतीय लोकतांत्रिक राजनीति अब परिपक्व हो चुकी है. उसकी पुनरावृत्ति नहीं हो सकती.
उन्होंने कहा, देश के अंदर या बाहर जो कोई भी ऐसा कहता है कि संसद में माइक बंद कर दिया जाता है..कल्पना कीजिए कि करीब 50 मिनट तक सदन में रहने के बाद ऐसा किया जा रहा है. हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को नीचा दिखाने के लिए इस तरह का दुस्साहस को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. मैं हमारे योद्धा बुद्धिजीवियों, मीडिया और युवाओं से आह्वान करता हूं कि वह इस अवसर पर उठें, इन ताकतों को बेनकाब करें और उन्हें बेअसर करें.
धनखड़ ने यह भी कहा कि लोगों को ऐसे तत्वों को इस तरह की कहानी पर जोर नहीं देनी चाहिए जो हमारे बढ़ते विकास में बाधा उत्पन्न करना चाहते हैं. उन्होंने कहा, मैं राज्यसभा की अध्यक्षता करता हूं, कोई आगे आए और कहे कि माइक बंद कर दिया गया. धनखड़ ने दोहराया कि संविधान के अनुसार भारत में अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता है और दुनिया का कोई भी लोकतंत्र इसका मुकाबला नहीं कर सकता है.
उन्होंने कहा, आप हमारी न्यायपालिका को विदेशी धरती पर नीचा दिखाते हैं. इस दुनिया पर ऐसी न्यायपालिका कहां है जो बिजली की गति से काम करती है? हमारी न्यायपालिका दुनिया के सबसे शानदार दिमागों से बनी है.
कैंब्रिज जज बिजनेस स्कूल में एमबीए के छात्रों को ’21वीं सदी में सुनना सीखना’ विषय पर संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने हाल ही में कहा था कि विपक्षी दल ‘निरंतर दबाव’ में हैं क्योंकि भाजपा सरकार ने उन पर कई मुकदमे थोपे हैं. भारतीय लोकतंत्र पर हमला हो रहा है. लोकतंत्र के लिए आवश्यक संस्थागत ढांचा- संसद, स्वतंत्र प्रेस, न्यायपालिका- ये सभी विवश हो रहे हैं. हम लोकतंत्र के मूल ढांचे पर हमले का सामना कर रहे हैं