भोपाल-मध्यप्रदेश में पिछले 6 सालों से शासकीय कर्मचारियों की वैधानिक पदोन्नति प्रक्रिया रुकी हुई है। इसके कारण करीब 3 लाख अधिकारी और कर्मचारी प्रभावित हुए हैं। 70000 अधिकारी एवं कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो गए हैं। इस मामले में आज कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने बयान जारी किया है।
नाथ ने कहा कि प्रमोशन न होने से सम्पूर्ण शासकीय व्यवस्था चरमरा गई है। रिटायरमेन्ट के बाद खाली होने वाले पदों को प्रभार में देकर काम चलाया जा रहा है। छोटे बड़े लाखों पद इसी तरह के प्रभार की स्थिति में हैं। पदोन्नति न होनें से कार्यों तथा योजनाओं के क्रियान्वयन में विपरीत असर पड़ रहा है, इससे अधिकारी-कर्मचारियों का मनोबल कमजोर हुआ है, उनके मन में निराशा एवं आक्रोश भी बढ़ रहा है। साथ ही कर्मचारियों-अधिकारियों के मन में सरकार की छवि भी गिरी है। वहीं कुछ माह पूर्व पदोन्नति नियम 2022 बनाये जाने की कवायद की गई किन्तु, उसका भी रिजल्ट जीरो है। सरकार ने नये नियम बननें तक प्रभार के पद का नाम भी देने पर विचार किया किन्तु उस पर भी ठोस निर्णय नहीं हो सका।
नाथ ने कहा कि सरकार ने कुछ विभागों जैसे राज्य वन विभाग, मेडिकल, जेल, पुलिस, जलसंसाधन आदि में कुछ पदोन्नतियां दी है किन्तु इन विभागों में भी सभी वर्ग के अधिकारी-कर्मचारियों को योग्यतानुसार पदोन्नति नहीं दी गई। अतः यहाँ भी दोहरे मानदंड अपनाये जा रहे हैं, जो कर्मचारियों के मनोबल को तोड़ने वाला है।