नेपाल के काली गंड़की नदी से प्राप्त शालीग्राम सिला पत्थर से ही अयोध्या में निर्माण हो रहें श्री राम मंदिर में वहाँ पर भगवान श्री राम के बाल्य स्वरूप का मूर्ति और माता सीता के मुर्ति बननें के लिए इस शिलापट क़ो तय किया गया है।अयोध्या में बन रहे भगवान राम के मन्दिर में रामलला के बाल स्वरूप की मूर्ति जिस पत्थर से बनाई जाएगी, वह कोई आम पत्थर नहीं है बल्कि उसका ऐतिहासिक, पौराणिक, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है. नेपाल के म्याग्दी जिला के बेनी से पूरे विधि विधान और हजारों लोगों की श्रद्धा के बीच उस पवित्र पत्थर को अयोध्या ले जाया जा रहा है.
शालिग्राम मिलने वाला विश्व प्रसिद्ध एक मात्र नदी काली गंड़की है , यह म्याग्दी के बेनीबजार के समीप कालीगण्ड नदी के किनारे से लिया गया यह शिला खंड एक 26 टन का और दूसरा 14 टन का है।जिस काली गण्डकी नदी के किनारे से यह पत्थर लिया गया है, वह नेपाल की पवित्र नदी है जो दामोदर कुण्ड से निकल कर भारत में गंगा नदी में मिलती है. इस नदी किनारे रहे शालिग्राम के पत्थर पाए जाते हैं, जिनकी आयु करोड़ों वर्ष की होती है जो सिर्फ यहीं पाई जाती है.भगवान विष्णु के रूप में शालिग्राम पत्थरों की पूजा की जाती है, जिस कारण से इसे देवशिला भी कहा जाता है.
निकालने से पहले काली गंड़की नदी में क्षमा पूजा की गई और विशेष पूजा के साथ ले जाया गया।
शिला का गुरुवार के दिन गलेश्वर महादेव मन्दिरमा रूद्राभिषेक किया गया ।26 -01-2023 के दिन विंध्यवासिनी मंदिर पोखरा में पूजा कर के आज सुबह रवाना किया गया।