नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)। आनन-फानन में विदेश सचिव बदले जाने पर कांग्रेस ने गुरुवार को सवाल उठाया और सरकार से इस बदलाव का कारण स्पष्ट करने की मांग की, इस पर सत्ताधारी भाजपा ने कठोरता से जवाब दिया कि यह सरकार के नियुक्ति करने के आधिकार के दायरे में आता है।
सरकार ने बुधवार की रात विदेश सचिव सुजाता सिंह को उनका कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही पद से हटाते हुए एस. जयशंकर को उनकी जगह नियुक्त करने का फैसला लिया। जयशंकर ने गुरुवार को अपना प्रभार ग्रहण कर लिया।
कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने हैरत जताई कि कहीं यह फैसला देवयानी खोबरागडे मुद्दे पर सुजाता सिंह द्वारा कड़ा रुख अपनाने पर तो नहीं लिया गया।
तिवारी ने आईएएनएस से कहा, “विदेश सचिव विदेश सेवा का प्रमुख होता है..यदि आप वरिष्ठता और कार्यकाल के साथ अनुचित कदम उठाने जा रहे हैं तो आपको स्पष्ट रूप से यह व्याख्या करनी होगी कि ऐसा करने का कारण क्या है।”
उन्होंने कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति की यात्रा के दो दिनों बाद इस फैसले के सामने आने से इसका संबंध सुजाता सिंह के देवयानी मामले पर अपनाए गए रुख से तो नहीं है। और क्या यह देरी दिया गया दंड तो नहीं है।”
“कुल मिलाकर यदि सरकार पूर्व विदेश सचिव से नाखुश थी तो वह उन्हें इससे पहले ही जाने के लिए कहती। या फिर अमेरिकी राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान कुछ हुआ है..।”
उन्होंने कहा, “यदि ऐसा नहीं तो क्या अनौपचारिक रूप से हटाने और देवयानी मुद्दे के बीच संबंध है। हर कोई इस बात से अवगत है कि बहुत से लोग नाराज हैं क्योंकि पूर्व विदेश सचिव ने अमेरिकी अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किए गए युवा अधिकारी की रक्षा करने में मानकों से समझौता कर अशांकित स्थिति का सहारा लिया।”
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हालांकि कहा कि नियुक्ति पर फैसला लेना सरकार के विशेषाधिकार के दायरे में आता है।
भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा, “मैं हंगामे का कोई कारण नहीं देखता। एक सरकार किसी अधिकारी को कैसे नियुक्त करेगी और उसकी जिम्मेदारी क्या होगी इसका फैसला लेना उसके दायरे में है। और यह कोई पहला मौका नहीं है..पूर्व की सरकार ने इस तरह के फैसले लिए थे।”
तिवारी ने जोर दिया कि इस मामले में स्पष्टीकरण की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “संभवत: फैसला लेना सरकार का अधिकार है। लेकिन यदि सरकार तय कार्यकाल में कटौती का फैसला लेती है तो उसे अनिवार्य रूप से स्पष्टीकरण देना चाहिए।”
सुजाता ने अगस्त 2013 में पद ग्रहण किया था और उन्हें इस साल अगस्त में सेवानिवृत्त होना था। सुजाता ऐसी तीसरी महिला थीं जिन्हें विदेश सचिव के पद पर रखा गया था।
मंत्रिमंडल की नियुक्ति कमेटी ने बुधवार रात को ‘तत्काल प्रभाव’ से सुजाता का ‘कार्यकाल छोटा’ करने का फैसला लिया। नियुक्ति समिति ने भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के अधिकारी और वर्तमान में अमेरिका में भारत के राजदूत जयशंकर को उनकी जगह नियुक्त करने का फैसला लिया। जयशंकर ने गुरुवार को अपना पदभार ग्रहण कर लिया।
कोहली ने इस बीच कहा कि इस नियुक्ति के पीछे कोई राजनीतिक मंशा नहीं थी।
उन्होंने कहा, “मैं किसी के राजनीतिक मंशा से लैस होने का कोई कारण नहीं देख रहा हूं। यह सरकार के अधिकार के दायरे में है।”
उन्होंने कहा, “कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता राजनीति करने या कुछ और करने का प्रयास करें। किसी भी मामले में यह कतई नहीं लगना चाहिए कि वे अपने नेतृत्व से प्रेरित हैं। आखिर मुद्दे पर हंगामा माचाने का उनका तरीका क्यों बना हुआ है? उन मुद्दों पर भी जहां ऐसा करने का कोई कारण नहीं होता है।”