लंदन, 29 जनवरी (आईएएनएस)। इबोला का टीका प्रयोग करने के लिहाज से सुरक्षित है और प्रतिरोधी क्षमता उत्पन्न करने में सक्षम है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में इबोला टीके के पहले जांच परिणामों में यह बात सामने आई है।
इस जांच का नेतृत्व कर रहे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के जेन्नर संस्थान के प्रोफेसर एंड्रियन हिल ने कहा, “इबोला का टीका पूरी तरह से सहन करने योग्य है। इसकी सुरक्षा क्षमता हमारी उम्मीद के मुताबिक रही है।”
रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम अफ्रीका में इबोला के मौजूदा प्रकोप के दौरान यह दवा जांच के लिए एकदम उपयुक्त है।
इबोला से बचाव के लिए अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) और फार्मास्युटिकल्स फर्म ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (जीएसके) संयुक्त रूप से इस टीके का निर्माण कर रही है।
जीएसके ने पश्चिम अफ्रीका में व्यापक स्तर पर जांच के लिए इसकी पहली खुराक को लाइबेरिया भेज दिया है।
यह दवा चिंपाजी में पाए जाने वाले इबोला वायरस जीन का प्रतिरोधी क्षमता उत्पन्न करने में इस्तेमाल करता है।
हालांकि संक्रमणकारी इबोला वाइरस नहीं होने की वजह से इस दवा को ग्रहण करने वाले व्यक्ति में इबोला से संक्रमित होने का खतरा नहीं होता।
जांच के दौरान, जेन्नर संस्थान में 60 स्वस्थ स्वयंसेवियों पर यह दवा इस्तेमाल की गई।
जांच के नतीजों से पता चला है कि दवाई दिए जाने के 28 दिन बाद स्वयंसेवियों में बचाव और प्रतिरोधी क्षमता के लक्षण दिखाई दिए।
हालांकि इस दवा को लेने के 24 घंटों के भीतर दो लोगों में सामान्य बुखार हुआ लेकिन एक दिन के भीतर ही यह समाप्त हो गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक पश्चिम अफ्रीका में इबोला के कहर से अब तक 8,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
इबोला की यह शुरुआती जांच रिपोर्ट न्यूजीलैंड जर्नल ऑफ मेडीसिन्स (एनईजेएम) में प्रकाशित हुई।