मंडला- पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी यानी पीएलजीए द्वारा तीन दिन पूर्व न केवल पर्चों का वितरण किया गया था बल्कि पे़ड़ों में पर्चे चस्पा कर दो से आठ दिसंबर तक नौजवान युवक व युवतियों को भर्ती होने की सलाह दे दी गई थी। उनके द्वारा वितरित किए गए पर्चे व पे़ड़ों में चस्पा किए गए पर्चों के कारण ही नक्सलियों की जंगल में लगे गांवों में उपस्थिति का आकलन हो सका था।
नक्सली संगठन इस साल नक्सल सप्ताह की 22वीं सालगिरह पर दो दिसंबर को बड़े पैमाने पर भर्ती की तैयारी में है। इसके ठीक दो दिन पहले 30 नवंबर को मंडला-बालाघाट जिले की सीमा पर हाकफोर्स ने मुठभेड़ में दो नक्सलियों को ढेर कर दिया है। इनमें एक गणेश मरावी (35) भी शामिल है। गणेश पर 15 केस दर्ज थे। दूसरा राजेश झिरम है। दोनों खूंखार नक्सली हिडमा के साथ काम कर चुके थे। यह हॉक फोर्स, जिला पुलिस बल व सीआरपीएफ 148वीं बटालियन का संयुक्त आपरेशन था।
बेरोजगारी का हवाला देते हुए युवाओं को भावनात्मक रूप से गुमराह करके पीएलजीए से जोड़ने के लिए जंगल में पेड़ों पर पर्चे चिपकाए गए हैं। हालांकि, रोजगार के लिए किसी सकारात्मक समाधान की बजाय पीएलजीए में भर्ती होने के लिए उकसाया गया है। खुद सेना और सशस्त्र सुरक्षा बलों के साथ लड़ाई लड़ने वाले पीएलजीए ने सेना में अल्पावधि की भर्ती योजना पर सवाल खड़े कर भी युवाओं को उकसाने की कोशिश की है। खुद कानूनों का पालन नहीं करने वाले पीएलजीए ने कानूनों के उल्लंघन की दुहाई भी दी है। इस तरह भर्ती के लिए प्रोपेगैंडा वाले दस्तावेज पीएलजीए ने पेड़ों पर चिपकाए।
पीएलजीए को पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी कहा जाता है। इसमें नक्सली संगठन के ल़ड़ाकों को शामिल किया जाता है। ये ल़ड़ाकू जवानों के साथ आमने-सामने की मुठभे़ड़ में शामिल होते हैं। अत्याधुनिक हथियारों से लैस पीएलजीए सदस्य गुरिल्ला आर्मी वॉर मे माहिर होते हैं। हर साल 2 दिसंबर से 8 दिसंबर तक अपने इन पीएलजीए के सदस्यों के मारे जाने की याद में नक्सली इस सप्ताह को मनाते हैं। इसके साथ ही अपने पूरे साल का लेखा-जोखा जारी करते हैं। आने वाले साल में संगठन कैसे चलेगा, इसकी प्लानिंग भी ब़ड़े नक्सली लीडरों के द्वारा की जाती है। इस दौरान सुरक्षाबलों पर हमले की रणनीति भी बनाई जाती है।