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 घरवापसी के विरोध का अधिकार नहीं : सिस्टर जेसमी | dharmpath.com

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घरवापसी के विरोध का अधिकार नहीं : सिस्टर जेसमी

January 29, 2015 9:50 am by: Category: ख़बरें अख़बारों-वेब से Comments Off on घरवापसी के विरोध का अधिकार नहीं : सिस्टर जेसमी A+ / A-

केरल में 28 फीसद जनसंख्या कैथोलिक ईसाइयों की है, जो कि इन दिनों हिन्दू संगठनों के ‘घरवापसी’ कार्यक्रम से काफी बेचैन हैं। खासतौर पर पादरी वर्ग की ओर से काफी तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
41_12_22_19_6_H@@IGHT_271_W@@IDTH_203एक पूर्व कैथोलिक नन सिस्टर जेसमी ने गलत नीतियों के चलते इनसे संबंध तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि आर्च बिशप जोसफ पोवाथिल ने हाल ही में ‘घरवापसी’ कराने वाले हिन्दू संगठनों को पांथिक आतंकवादी करार दिया था, लेकिन खुद बिशप भी उस लिहाज से आतंकवादी ही कहलाएंगे। सिस्टर जेसमी ने कहा कि जो लोग ईसाई से हिन्दू बने थे उनसे तरह-तरह के वायदे किए गए थे, लेकिन ईसाई बनने के बाद उनके साथ सौतेला व्यवहार किया गया। हिन्दू से ईसाई बनने वालों को आरक्षण से भी हाथ धोना पड़ा और उन्हें जो लाभ मिलना चाहिए था उससे भी वे वंचित रहे। यही नहीं ऐसे लोगों को न तो चर्च में प्रार्थना करने दी गई और न ही मृत्यु पश्चात उन लोगों के शव वहां दबाने दिए गए। इस तरह से तिरस्कृत होने पर वे लोग दोबारा से हिन्दू धर्म में वापसी करने को मजबूर हो गए। उन्होंने कहा कि अनेक चर्चों में जबरन लड़कियों को नन बनाया गया।
बिशप के बयान पर हिन्दू चेरामर संघ के अध्यक्ष ने कहा कि वे जबरन मतांतरण का विरोध करते हैं। ऐसा क्यों है कि बिशप घरवापसी का विरोध कर रहे हैं पर जबरन मतांतरण पर चुप्पी साधे हुए हैं। ईसाई अनेक हथकंडे अपनाकर गरीब लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। कैथोलिक ईसाइयों द्वारा पूरे विश्व में लोगों को कन्वर्ट कराने का मकड़जाल है। ये लोग समाज सेवा के नाम पर अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं और लोगों को सलीब पहना रहे हैं।
बिशप द्वारा इस तरह की बयानबाजी देने के पीछे केरल के मुख्यमंत्री ओमान चांडी भी एक प्रमुख कारण हैं। कैथोलिक चर्च इन दिनों विभिन्न विवादों को सुलझाने में सक्षम नहीं रह गया है। ऐसे में बड़े स्तर पर कैथोलिक ईसाइयों की कम होती संख्या इनके लिए चिंता का विषय बन गई है। केरल के चर्च इस बात को लेकर काफी भयभीत हैं कि उनके सदस्यों की संख्या कम हो रही है। कैथोलिक चर्च के पूरे दावे हवा में गायब हो रहे हैं और ये लोग किसी को अपना मुंह दिखाने की स्थिति में नहीं रह गए हैं। -प्रदीप कृष्णन

‘धरोहर’ योजना का शुभारंभ
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री श्री एम़ वेंकैया नायडू ने देश की विपुल सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और पुनरुत्थान के लिए गत 21 जनवरी को राष्ट्रीय धरोहर विकास एवं संवर्धन योजना (हृदय) का उद्घाटन किया। इस केंद्रीय योजना के पहल चरण में चुनिंदा 12 शहरों को 500 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। इस योजना का सारा व्यय केंद्र सरकार वहन करेगी। इसके तहत वाराणसी को 89 करोड़, अमृतसर को 69 करोड़, अजमेर को 60 करोड़, द्वारिका को 22़ 26 करोड़ और पुरी को 22.54 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।
इस अवसर पर श्री नायडू ने कहा कि संस्कृति व विरासत की अनदेखी कर कोई भी राष्ट्र प्रगति नहीं कर सकता। भारत विभिन्न भाषाओं और पंथ की भूमि है और हमें सभी प्रकार की विरासत का संरक्षण करना है। ‘हृदय’ विपुल विरासत वाले शहरों के पुनरुत्थान की दिशा में उठाए जाना वाला एक कदम है। इसके तहत केवल स्मारकों के रख-रखाव पर ही नहीं जोर दिया जाएगा, बल्कि वहां के नागरिकों, पर्यटकों और स्थानीय व्यवसायियों समेत पूरे ‘इको-सिस्टम’ को बढ़ावा दिया जाएगा। इस अवसर पर संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री डॉ़ महेश शर्मा और इस योजना के तहत चुने गए विभिन्न शहरों का प्रतिनिधित्व करने वाले लोकसभा सांसद भी शामिल थे।

पांचजन्य से साभार

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