Durga Puja 2022: नवरात्रि के त्योहार की शुरुआत हो गई है और लोग पूरे भक्तिभाव से 9 दिनों तक मां दुर्गा का पूजन करते हैं. बंगाल में नवरात्रि में दुर्गा पूजा का विशेष महत्व होता है और इसे बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. (Sindoor Khela 2022) दुर्गा में नवरात्रि का आखिरी दिन सबसे खास होता है क्योंकि इस दिन बंगाली महिलाएं सिंदूर खेला की रस्म मनाती हैं. सिंदूर खेला की रस्म दशहरे के दिन मनाई जाती है और इसके पीछे एक महत्वपूर्ण वजह छिपी हुई है. (Shardiya Navratri 2022) आइए जानते हैं आखिर दशहरे के दिन ही क्यों मनाई जाती है सिंदूर खेला की रस्म?
मान्यता है कि दशहरे के दिन मां दुर्गा की धरती से विदाई होती है और इस उपलक्ष्य में सुहागने महिलाएं उन्हें सिंदूर अर्पित कर आशीर्वाद लेती हैं.
सिंदूर खेला के दिन पान के पत्तों से मां दुर्गा के गालों को स्पर्श उनकी मांग और माथे पर सिंदूर लगाकर महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं. फिर मां को पान और मिठाई का भोग लगाया जाता है.
सिंदूर खेला के दिन बंगाली समुदाय की महिलाएं मां दुर्गा को खुश करने के लिए वहां पारंपरिक धुनुची नृत्य करती हैं.सिंदूर खेला के पीछे एक धार्मिक महत्व भी है. कहा जाता है कि लगभग 450 साल पहले बंगाल में मां दुर्गा के विसर्जन से पहले सिंदूर खेला का उत्सव मनाया गया था. तभी से लोगों में इस रस्म को लेकर काफी मान्यता है और हर साल पूरी धूमधाम से इस दिन का मनाया जाता है.
कहा जाता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा 9 दिनों के लिए अपने मायके आती हैं और 10वें दिन यानि दशहरे वाले दिन मायके से विदा लेती हैं. इन 10 दिनों को दुर्गा उत्सव के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. 10वें दिन मां अपने घर वापस चली जाती हैं.