अमृतसर: अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि सिख समुदाय से पंजाब में धर्म परिवर्तन रोधी कानून की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अमृतसर के डडुआना गांव में ईसाई मिशनरी द्वारा आयोजित एक समारोह को कथित रूप से बाधित करने के मामले में कुछ निहंग सिखों के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने के कुछ दिन बाद जत्थेदार ने यह बयान दिया।जत्थेदार ने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि सिख समुदाय पंजाब में धर्म-परिवर्तन रोधी कानून की मांग उठाने पर विचार करे. पंजाब में इस प्रकार के हालात पैदा किए जा रहे हैं कि सिख समुदाय को इस बारे में सोचने की आवश्यकता है. ’’ उन्होंने ‘‘कुछ तथाकथित ईसाई मिशनरी’’ द्वारा पंजाब में किए जा रहे धर्म परिवर्तन के ‘‘शरारती’’ प्रयासों की निंदा की और इन्हें समुदायों को विभाजित करने की कोशिश करार दिया. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से कुछ ‘‘तथाकथित ईसाई मिशनरी’’ पाखंड, अंधविश्वास और कपटपूर्ण तरीकों को अपनाकर सिखों का जबरन धर्म परिवर्तन करा रहे हैं.
जत्थेदार ने कहा, ‘‘ऐसे तरीके अपनाए जा रहे हैं, जिनकी अनुमति ईसाई धर्म भी नहीं देता.’’ उन्होंने आरोप लगाया कि इसके लिए पिछड़े वर्ग के हिंदुओं औैर गरीब सिखों के परिवारों को निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पंजाब के सिखों और हिंदुओं को गुमराह किया जा रहा है और उन्होंने सरकार पर इसके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया. जत्थेदार ने केंद्र सरकार से तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया और सिख संगठनों से अपील की कि वे मिशनरी द्वारा चलाई जा रहीं ‘‘पाखंड की दुकानों’’ के खिलाफ प्रशासन के पास शिकायत दर्ज कराएं.
जत्थेदार ने पंजाब सरकार से निहंग सिखों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की फिर से मांग की. उन्होंने कहा, ‘‘हमने पांच सितंबर को श्री आनंदपुर साहिब में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया है और इस मामले पर चर्चा करने के अलावा इस संबंध में निश्चित रूप से प्रस्ताव पारित किया जाएगा.’’