मप्र पुलिस को कमिश्नर-प्रणाली में ले आ कर उसे भारी-भरकम लिबास पहना दिया गया है,लेकिन अंदर तो वही सड़ा-गला सिस्टम है जिससे जनता और पुलिस कर्मचारी रोजाना दो-चार हो रहे हैं आखिर फायदा किसे हुआ ? जनता को या पुलिस को ? क्या जनता की परेशानियां कम हुईं या उन्हें न्याय मिलने में शीघ्रता मिली ?क्या पुलिस कर्मचारियों को कार्य करने में आसानी होने लगी ? हुआ क्या कमिश्नरी बनने से हम एक ऐसे व्यक्ति और पुलिस अधिकारी के बीच की कार्यवाही आपके सामने लाये हैं जो समाज के अंतिम पायदान के लोग के स्वरूप में गिने जाते हैं आप तय करिये क्या ठीक हुआ या वही ढाक के तीन पात!
भोपाल का एक पुलिस थाना कटारा हिल्स चूँकि थाना है तो क्षेत्र में अपराध होने पर प्राथमिकी भी दर्ज होती है लेकिन कई मामलों में नहीं भी होती और अपराधियों के हौसले बुलंद होते जाते हैं और वे अपने अपराध बदस्तूर जारी रखते हैं जनता की परेशानियों से सरोकार किसी को नहीं मामला एक चोरी की घटना का है जब पुलिस ने कुछ नहीं किया तब पीड़ित ने ही अपने प्रयास से माल सहित चोर को पकड़वा दिया एएसआई चेतन गुप्ता को माल और चोर सुपर्द किया और एएसआई साहब की गिरफ्त से चोर माल थाने में रखा छोड़ रफूचक्कर हो गया हमने कहानी की पड़ताल की और सारे तथ्य सामने आये पढ़िए ये पुलिस कर्मचारी जनता के हितों को लेकर कितने जागरूक होते हैं और कैसे कार्य करते हैं या नहीं करते हैं.
भोपाल के कटारा हिल्स क्षेत्र में एक गुमटी से ताले तोड़ कर चोरी होती है ,फरियादी थाने जाता है थाने के जवाबदार एएसआई चेतन गुप्ता जी को अपनी समस्या बताता है और उससे एक आवेदन लिखवा कर वापस भेज देता दिया जाता है केस पर कोई कार्यवाही का प्रयास नहीं किया जाता पड़ताल की जाय तो भारत के पुलिस थानों में रोज ही ऐसे लाखों मामले सामने आएंगे लेकिन ध्यान किसी-किसी घटना पर जाता है ,घटना के बाद पुलिस की रूचि इस ओर न देखते हुए पीड़ित स्वयं प्रयास करता है और माल सहित चोर को पकड़ कर एएसआई चेतन गुप्ता जी के सुपुर्द कर देता है.
चोर के साथ एक गैस सिलेंडर भी वह पुलिस अधिकारी के सुपुर्द करता है इस आशा से की अब उसका बाकी सामान उसे वापस मिल जाएगा ,कहानी यहाँ से पुलिसिया स्वरूप अख्तियार करती है और जांच-पड़ताल के दौरान गुप्ता जी के हाथों चोर भाग जाता है या भगा दिया जाता है यह आपको आगे पता चलेगा।
गुप्ता जी पीड़ित को इत्तिला देते हैं की चोर हाथों से फिसल कर भाग गया और अपना गैस सिलेंडर वापस ले जाओ जो थाने के परिसर में रखा हुआ है फरियादी बिना FIR ,बिना चोरी गया माल और मप्र पुलिस के प्रति भारी अविश्वास लिए अपना गैस सिलेंडर ले वापस चला आता है.
इस घटना के बारे में हमें पता चलने के बाद हमने एएसआई चेतन गुप्ता जी को फोन लगा इस मामले की जानकारी चाही और गुप्ता जी ने ऐसी किसी घटना के होने से स्पष्ट इंकार कर दिया।
हमने थाना प्रभारी जी को फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया उनका फोन रिसीव नहीं हुआ फिर हमने कुछ दिन इन्तजार किया की शायद चोर पकड़ा जाए लेकिन गुप्ता जी निश्चिन्त भाव से इस घटना से किनारा किये रहे.कुछ दिनों पश्चात हमने थाना-प्रभारी महोदय से पुनः संपर्क किया तब भी वे अपने थाने में हुई इस घटना से अनभिज्ञ थे ,हमारे द्वारा संज्ञान में लाने के बाद उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया की उनके थाने में ऐसा कुछ हुआ.और जांच की बात कही.
एएसआई चेतन गुप्ता और टीआई भानसिंह प्रजापति की प्रशासनिक कमजोरी का खामियाजा क्षेत्र की जनता भुगत रही है
कटारा क्षेत्र में पिछले दिनों कई चोरियां हुईं हैं जिसमें घर से बाहर खड़ी एक कार के पहिये चोर ले गए,साँची बूथ के ताले तोड़े गए,दुकानों,मकानों के ताले तोड़े गए लेकिन कमिश्नर पुलिस इन सब के पीछे छुपे अपराधियों को पकड़ने में नाकाम साबित हुई.
क्या कमी रही थाना-प्रभारी महोदय की
थाना-प्रभारी मान सिंह प्रजापति अभी नए कटारा थाने आये हैं स्वाभाविक है कुछ समय लगता है समझने में क्षेत्र लेकिन एएसआई गुप्ता जी पुराने हैं इस थाने में,थाना प्रभारी महोदय को यह ही नहीं पता की उनके अधीनस्थ क्या खेल रच रहें हैं बिना उनकी जानकारी के.सूत्रों ने बताया इसके पीछे थाना-प्रभारी महोदय का शाम साढ़े आठ बजे थाना छोड़ कर घर प्रस्थान कर जाना एक बड़ा कारण है.
एएसआई चेतन गुप्ता जी ने क्या बड़ी गलती की या जान-बूझकर गलती की
गुप्ता जी बरामद माल सहित आरोपी चोर को तहकीकात करने अपने साथ ले गए न उन्होंने प्राथमिकी दर्ज की न ही चोर को ले उन स्थानों पर गए जहाँ बाकी माल बरामद होता उलटा चोर उनकी गिरफत से भाग गया या भगा दिया गया यह कमिश्नरी प्रणाली द्वारा जांच का विषय है.ऐसे कमजोर पुलिसकर्मी आखिर कैसे जनता की रक्षा कर पाएंगे?
हमारी पड़ताल में जो तथ्य सामने आये वे चौंका देने वाले थे
जब फरियादी ने ही चोर को माल सहित गिरफ्तार करवा दिया और पुलिस से वह अपराधी भाग गया तब हमने इस विषय पर आगे पड़ताल की तो पाया की इस क्षेत्र में हो रह चोरियों का मास्टर-माइंड भी इसी क्षेत्र रहता है वह बाहर के चोरों को क्षेत्र की जानकारी देता है और अपराध के लिए आमंत्रित करता है विगत दिनों हुयी चोरियों का तरीका एक ही है उपरोक्त व्यक्ति सुबह सवेरे घर से निकल जाता है और आधी रात के बाद वापस लौटता है हमने अपनी पड़ताल में सारे तथ्य एकत्र कर लिए सोचिये क्या चेतन गुप्ता एएसआई जी को या पता नहीं होगा ?
कटारा क्षेत्र वैसे भी प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर क्षेत्र है यहां रहवासी परिसरों के निर्माण के बाद से ही यहाँ की भौगोलिक स्थिति के चलते जनता चोरी की घटनाओं से पीड़ित रही है लेकिन ऐसे अक्षम पुलिसकर्मियों के चलते अपराधियों के हौसले बुलंद होते रहे हैं एएसआई चेतन गुप्ता जी ने एक सुनहरा अवसर अपने हाथों से जाने दिया या जान-बूझकर गँवा दिया यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा लेकिन यदि यही सब होता रहा तो जनता भरोसा किस पर करेगी?
धर्मपथ के लिए अनिल कुमार सिंह