नई दिल्ली- चीनी स्मार्टफोन विनिर्माता वीवो (VIVO) की भारतीय इकाई ने भारत में टैक्स बचाने के लिए 62,476 करोड़ रुपये ‘गैरकानूनी’ ढंग से चीन भेजे थे. ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने ये दावा किया है. इसके साथ ही ED ने कई भारतीय कंपनियों और कुछ चीनी नागरिकों की संलिप्तता वाले एक धनशोधन गिरोह का खुलासा करने का भी दावा किया है. ईडी ने एक बयान में कहा कि वीवो इंडिया ने भारत में कर देने से बचने के लिए अपने राजस्व का लगभग आधा हिस्सा चीन एवं कुछ अन्य देशों में भेज दिया. विदेशों में गैरकानूनी ढंग से 62,476 करोड़ रुपये भेजे गए जो कंपनी के कुल कारोबार (1,25,185 करोड़ रुपये) का लगभग आधा है.
एजेंसी ने कहा कि वीवो मोबाइल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड एवं इसकी 23 संबद्ध कंपनियों के खिलाफ मंगलवार को चलाए गए सघन तलाशी अभियान के बाद उनके बैंक खातों में जमा 465 करोड़ रुपये की राशि जब्त की गई है. इसके अलावा 73 लाख रुपये की नकदी और दो किलोग्राम सोने की छड़ें भी जब्त की गई हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने यह कार्रवाई भारत में 23 कंपनियां बनाने में चीन के तीन नागरिकों के शामिल होने की जानकारी सामने आने के बाद की है. इनमें से एक चीनी नागरिक की पहचान वीवो के पूर्व निदेशक बिन लाऊ के रूप में हुई है जो अप्रैल 2018 में देश छोड़कर चला गया था. अन्य दो चीनी नागरिकों ने वर्ष 2021 में भारत छोड़ा था. इन कंपनियों के गठन में नितिन गर्ग नाम के चार्टर्ड अकाउंटेंट ने भी मदद की थी.
ईडी ने अपने बयान में कहा, ‘‘इन कंपनियों ने वीवो इंडिया को कोष का बड़ा हिस्सा भेजा है. आगे चलकर 1,25,185 करोड़ रुपये के कुल बिक्री राजस्व में से वीवो इंडिया ने लगभग आधा हिस्सा भारत के बाहर भेज दिया. यह रकम मुख्य रूप से चीन भेजी गई.’’ जांच एजेंसी ने कहा कि वीवो इंडिया ने भारत में कर भुगतान से बचने के लिए यहां गठित कंपनियों में भारी घाटा दिखाने के नाम पर यह राशि विदेश भेजी है. ईडी के मुताबिक, वीवो मोबाइल्स प्राइवेट लिमिटेड का गठन एक अगस्त, 2014 को हांगकांग स्थित कंपनी मल्टी एकॉर्ड लिमिटेड की एक अनुषंगी के रूप में किया गया था. बाद में 22 अन्य कंपनियां भी बना ली गईं. एजेंसी इन सभी के वित्तीय विवरणों की पड़ताल कर रही है.