नई दिल्ली, 28 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने ग्रीनपीस की कार्यकर्ता प्रिया पिल्लई द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।
प्रिया बीते 11 जनवरी को यहां हवाईअड्डे से लंदन जाने वाले विमान में सवार थीं, लेकिन उन्हें विमान से उतरने के लिए बाध्य किया गया। इस मामले को लेकर उन्होंने न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।
न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, आव्रजन ब्यूरो और इंटेलीजेंस ब्यूरो को नोटिस जारी किया और छह फरवरी तक जवाब सौंपने के लिए कहा।
पिल्लई ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें विमान से उतारने की घटना गैरकानूनी और अराजक थी। उनके पास छह महीने के लिए लंदन का वैध व्यवसायिक वीजा था और वह ब्रिटिश संसद में 14 जनवरी को व्याख्यान देने जा रही थीं।
पिल्लई की वकील वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने न्यायालय को बताया, “अति उत्साही सरकारी एजेंसियों द्वारा गैरकानूनी रूप से विमान से उतारना न सिर्फ उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का अतिक्रमण है, बल्कि उनकी प्रतिष्ठा धूमिल करने का प्रयास है।”
जयसिंह ने न्यायालय में कहा कि पिल्लई को लंदन में 11 फरवरी को आयोजित बैठक में आमंत्रित किया गया है और उन्हें लंदन की यात्रा की अनुमति दी जानी चाहिए।
पिल्लई को मध्य प्रदेश के महान में स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर प्रस्तावित कोयला खनन को रोकने के उनके अभियान के बारे में व्याख्यान देने के लिए ब्रिटिश सांसदों की ओर से आमंत्रित किया गया था।
उच्च न्यायालय ने हाल ही में केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि गैर सरकारी संगठन ग्रीनपीस इंडिया की 1.87 करोड़ रुपये के फंड को मुक्त किया जाए। भारतीय रिजर्व बैंक ने जून 2014 में गृह मंत्रालय के निर्देश पर इस धनराशि को जब्त कर दिया था, जिसे संगठन ने न्यायालय में चुनौती दी थी।