नई दिल्ली- शिक्षा मंत्रालय की मदद से इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) ने अग्निवीर सैनिको के लिए शैक्षिक योजना तैयार की है। यह अग्निपथ योजना के सैनिकों के लिए तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम होगा। किताबी पढ़ाई के अलावा यह कार्यक्रम में थल सेना, नौसेना और वायु सेना में काम के दौरान प्राप्त होने वाले कौशल प्रशिक्षण को भी मान्यता दी जाएगी। अग्नि वीर सैनिकों के लिए तैयार किए गए इस शैक्षणिक कार्यक्रम के अंतर्गत सैन्य सेवा कौशल को 50 वेटेज दिया जाएगा। शेष 50 फीसदी वेटेज सैनिकों विश्वविद्यालय में प्रदर्शन पर पर आधारित होगा। अग्नि वीर सैनिकों को उपलब्ध कराए जाने वाला यह शैक्षणिक कार्यक्रम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में आयोजित कराया जाएगा। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) की तरफ से तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम होगा। इस योजना की खास बात यह है कि इसमें दाखिला बतौर अग्निवीर चयनित होने के उपरांत ही मिलेगा। हालांकि यदि अगर कोई छात्र सैन्य प्रशिक्षण पूरा नहीं कर पाता है तो ऐसे में भी वह डिग्री पूरी कर सकता है। पाठ्यक्रम की न्यूनतम अवधि तीन वर्ष और अधिकतम छह वर्ष है। इग्नू के मुताबिक पढ़ाई ऑनलाइन मोड में कराई जाएगी और स्टडी मैटीरियल ऑनलाइन व ऑफलाइन उपलब्ध कराया जाएगा।
इग्नू के मुताबिक अग्निवीर अपनी रुचि के हिसाब से विषय चुन सकते हैं लेकिन उन्हें कौशल-विकास पाठ्यक्रम के तौर पर कम्युनिकेशन स्किल और इन्वायरमेंटल स्टडी भी पढ़ाया जाएगा।
यह पाठ्यक्रम तैयार करने के उपरांत अब इग्नू ने इसे स्वीकृति के लिए नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (एनसीवीईटी) को भेजा है। एनसीवीईटी द्वारा स्वीकृति मिलने के उपरांत अग्निवीरों को सैन्य बलों के साथ मिलने वाले इस कौशल प्रशिक्षण को लागू किया जाएगा। गौरतलब है कि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का पालन किया जाएगा और रंगरूटों को पाठ्यक्रम बीच में छोड़ने की अनुमति होगी। एक साल के कोर्स से उन्हें सर्टिफिकेट, दो साल में डिप्लोमा और तीन साल में डिग्री मिलेगी।
केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के मुताबिक अग्निपथ योजना सशस्त्र बलों के युवा प्रोफाइल को सक्षम करने के लिए डिजाइन की गई है। अग्निपथ योजना के अंतर्गत युवाओं को सशस्त्र बलों में 4 साल की सेवा का अवसर मिलेगा। अग्निपथ योजना के अंतर्गत सशस्त्र बलों में भर्ती होने वाले युवाओं को अग्निवीर कहा जाएगा। केंद्र का कहना है कि 4 साल की सेवा के बाद युवाओं को अन्य नौकरी के नए अवसरों से जोड़ने और उनके उज्जवल भविष्य के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और उद्योग जगत साथ मिलकर काम कर रहे हैं।