भोपाल से अनिल कुमार सिंह की रिपोर्ट
पीएम कुसुम योजना मध्यप्रदेश के किसानों की आय को दुगना करने के लिए योजना की शुरुआत की गयी है। इस योजना का उद्देश्य किसानो को ऊर्जा संयंत्रों को स्थापित करके अतिरिक्त आय प्राप्त कराना है। 22 जुलाई 2019 को योजना की घोषणा की गयी थी। कुसुम योजना को चलाने के लिए मध्य प्रदेश ऊर्जा निगम लिमिटेड एजेंसी को काम सौंपा गया है।लेकिन राज्य-सरकार ने इस योजना पर ध्यान नहीं दिया एवं अफसरशाही ने योजना को ठन्डे बस्ते में दबा कर रखा,प्रधानमन्त्री की इस महत्वाकांक्षी एवं लाभदायक योजना को नेताओं और अफसरों ने पलीता लगा दिया।किसानों को महंगा डीजल न खरीदना पड़े,उनके मुनाफे में वृद्धि हो,किसानी लाभ का धंधा बने ये शब्द मात्र जुमला बन कर रह गए है,राजनेताओं की अदूरदर्शिता,अफसरों की लालफीताशाही ने इस योजना को पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.किसान अपनी जमीनों पर छोटे सोलर प्लांट लगा कर बिजली उत्पादन कर उसे बेच भी सकते हैं,कोयले के खर्च का दबाव कम होगा,किसानों की आय में वृद्धि होती और विद्युत् वितरण का दबाव कम होता।लेकिन सन 2019 से लागू हुई यह योजना भर्राशाही की भेंट चढ़ गयी,राष्ट्र विकास की बड़ी-बड़ी बातें सभी दल कर रहे हैं लेकिन विकास की योजनाओं को आगे बढ़ाने में किसी की रूचि नहीं है.प्रधानमंत्री कुसुम योजना के माध्यम से किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी, योजना के माध्यम से पर्यावरण पर किसी भी तरह का दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा जिस भूमि में पानी की कमी के कारण अनाज नहीं उगाया जाता था अब उस जमीन में भी अनाज उगाया जा सकता है, जो किसान आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या करने वाले किसानों को बचाया जा सकता है ,सोलर पैनल लगनी से सोलर पम्प के साथ बिजली भी उत्पन की जा सकती है।
सोलर पम्पों की स्थापना में पिछड़े राज्य
राज्यों ने कुल 65,000 पंपों के आवंटन में से 24,937 पंप (38 प्रतिशत) स्थापित किए हैं. मध्य प्रदेश ने योजना के तहत आवंटित 57,000 पंपों में से 7,234 पंप (13 प्रतिशत) स्थापित किए हैं. योजना के तहत अरुणाचल प्रदेश में 50, नागालैंड में 50, केरल में 100 और मणिपुर में 150 पंप आवंटित किए गए हैं.
सोलर पैनल लगाने में राजस्थान अव्वल,मप्र शून्य
जहाँ मप्र को 300 MW क्षमता के सोलर पैनल लगाने की स्वीकृति दी गयी थी उसमें से मप्र ने एक भी सोलर पैनल की स्थापना न करते हुए इस योजना के प्रति अपनी गंभीरता को प्रदर्शित किया।वहीँ राजस्थान भी अपनी स्वीकृत 1200 MW क्षमता में सिर्फ 35 MW क्षमता का उपयोग कर सका.कुल आवंटित 4909 MW क्षमता में राज्यों ने मात्र 53.25 MW क्षमता का उपयोग किया है जो ऊँट के मुंह में जीरे के समान है.
राजस्थान PM कुसुम योजना के क्रियान्वयन में अव्वल
राजस्थान देशभर में कुसुम योजना के क्रियान्वयन में अव्वल है। राजस्थान देश का पहला राज्य बना है, जहां कुसम योजना के तहत बिजली उत्पादन प्रक्रिया शुरू हुई है।
किसानों की आय बढ़ाने, दिन में बिजली उपलब्ध करवाने और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने में यह पहल कारगर साबित होगी। राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम द्वारा संचालित प्रधानमंत्री कुसुम कम्पोनेन्ट-ए योजना के तहत देश के प्रथम सौर ऊर्जा संयंत्र से जयपुर जिले की कोटपूतली तहसील में भालोजी गांव में ऊर्जा उत्पादन शुरू हो गया। मेगावाट क्षमता की इस परियोजना का निर्माण लगभग 3.70 करोड़ रुपये की लागत 3.50 एकड़ भूमि पर किया गया है।
👉🏻देश का पहला प्रोजेक्ट राजस्थान में हुआ शुरू
👉🏻जयपुर जिले के कोटपूतली के भालौजी गांव में विद्युत उत्पादन की शुरूआत।
👉🏻किसान देवकरण यादव के नाम दर्ज हुई यह उपलब्धि
👉🏻 JVVNL अगले 25 साल तक किसान से खरीदेगा बिजली।
👉🏻 1 मेगावट क्षमता के संयत्र को लगाने में 3 करोड़ 70 लाख रुपये हुए खर्च। 👉🏻 किसान की आमदनी में स्थायी इजाफे की दिशा में है बड़ा कदम।
👉🏻 अन्य प्रोजेक्टों में भी जल्द शुरू होंगे सौर ऊर्जा उत्पादन।
👉🏻 17 लाख यूनिट प्रतिवर्ष उत्पादन का है लक्ष्य।
👉🏻 2600 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन का प्रारंभिक लक्ष्य।
👉🏻 722 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं के लिये ‘लेटर ऑफ अवार्ड’ जारी।
👉🏻 623 किसानों का योजना के तहत अब तक चयन। किसान देवकरण यादव के नाम दर्ज उपलब्धि
👉🏻 राजस्थान के किसान अपनी बंजर एवं अनुपयोगी भूमि पर कुसुम योजना के तहत सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन की प्रथम परियोजना स्थापित कर राजस्थान देश का प्रथम राज्य बन गया है। किसान देवकरण यादव के नाम यह उपलब्धि दर्ज हुई। राजस्थान सरकार द्वारा बजट घोषणा में प्रदेश में इस योजना के तहत 2600 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयत्र स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था जिसमें से अब तक 722 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं के लिये ‘लेटर ऑफ अवार्ड’ जारी किये जा चुके हैं।
👉🏻 इस परियोजना से अनुमानित 17 लाख यूनिट विद्युत का उत्पादन प्रतिवर्ष होगा। 2600 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन का प्रारंभिक लक्ष्य रखा गया है। 623 किसानों का योजना के तहत अब तक चयन हो चुका है, इनमें से 201 किसान परियोजना सुरक्षा राशि जमा करवा चुके हैं। 170 ने विद्युत क्रय एमओयू भी साइन किए हैं। ये हैं योजना की बड़ी बातें
👉🏻 किसानों की बंजर जमीन अब निराश नहीं करेगी। खेती के लिए यह जमीन भले ही तैयार नहीं हो लेकिन बिजली उत्पादन का केंद्र यह भूमि बनेगी। मकसद एक हैं किसानों की आय में इजाफा। किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान योजना इसमें मददगार साबित होगी। जयपुर, अजमेर और जोधपुर डिस्कॉम चिन्हित फीडर्स पर किसानों से बिजली खरीदने की तैयारी हैं। ऊर्जा विभाग ने 722 मेगावॉट क्षमता के आवंटन पत्र जारी किए हैं। इससे 623 किसानों को सीधा लाभ होगा। किसानों को केवल 10 प्रतिशत राशि ही देनी होगी
👉🏻 योजना की सबसे बड़ी बात यह है कि प्लांट की कुल लागत में से 30 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार, 30 प्रतिशत राज्य सरकार देगी। इसके साथ कृषि उपभोक्ताओं को लोन के रूप में 30 प्रतिशत रकम नाबार्ड या अन्य बैंकिंग संस्थान फाइनेंस करेगा। किसानों को केवल 10 प्रतिशत राशि ही देनी होगी। अतिरिक्त बिजली उत्पादन होने पर किसान बची हुई बिजली को बेच कर आर्थिक लाभ भी कमा सकेंगे। वर्तमान में 3.5 किलोवाट प्लांट की रेट 10 प्रतिशत सब्सिडी के बाद भी 2.50 लाख रुपये के करीब पड़ती है। आवेदन के लिए जरूरी हैं यह चीजें
👉🏻 आवेदन के समय आधार कार्ड और बैंक खाता होना जरूरी है। आवेदन के बाद सरकार किसान के बैंक खाते में सब्सिडी की रकम देगी. किसान, डिस्कॉम और बैंक के साथ थर्ड पार्टी एग्रीमेंट होगा। बिजली बेचने से हुई कमाई को दो हिस्सों में बांटा जाएगा। पहला उपभोक्ता का और दूसरा लोन किश्त का। इस पहल से दूर दराज के क्षेत्र में रहने वाले किसानों बिजली पहुंचाने का लक्ष्य है। वहीं बंजर जमीन से भी आय हो सकेगी।
कहाँ संपर्क करें
योजना में भागीदारी के लिए पात्रता और अन्य जानकारी MNRE की वेबसाइट http://www.mnre.gov.in पर उपलब्ध है. जरूरत है तो MNRE की वेबसाइट पर जा सकते हैं या टोल फ्री हेल्प लाइन नंबर 1800-180-3333 पर कॉल कर सकते हैं.