वाशिंगटन, 28 जनवरी (आईएएनएस)। दुनिया के 186 देशों में आर्थिक हालात और सरकारी नीतियों के मूल्यांकन के आधार पर 100 में से 54.6 अंक हासिल कर भारत आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक 2015 में 128वां स्थान हासिल किया है।
वाशिगटन स्थित थिंक टैंक ‘द हेरिटेज फाउंडेशन’ द्वारा ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के साथ मिलकर जारी किए गए वार्षिक रपट में भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 41 देशों में से 26वां स्थान दिया गया है।
व्यापार स्वतंत्रता, संपत्ति अधिकार में मामूली सुधार, और श्रम आजादी व कारोबारी आजादी में गिरावट से बढ़े भ्रष्टाचार से मुक्ति के चलते पिछले साल की तुलना में भारत को प्राप्त हुए अंक में 1.1 अंक की कमी आई है।
लेकिन इसका संपूर्ण अंक क्षेत्रीय और वैश्विक औसत से लगातार नीचे बना हुआ है। सूचकांक रपट में कहा गया कि भारत ज्यादातर पराधीन अर्थव्यवस्था के रूप में बना रहेगा।
रपट में कहा गया है कि भारत के आर्थिक स्वतंत्रता के स्तर में पिछले पांच सालों से कोई बदलाव नहीं हुआ है। सरकारी अधिकृत उद्यमों और निर्थक सब्सिडी कार्यक्रमों के जरिए अर्थव्यवस्था में सरकार की भागीदारी व्यापक बनी रहेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुधारवादी प्रशासन ने अप्रभावी और बड़े सरकारी क्षेत्रों में सुधार, सार्वजनिक वित्त के बेहतर प्रबंधन और व्यापार व निवेश माहौल में सुधार को ध्यान में रख कुछ आवश्यक संस्थागत व्यवस्थाएं की हैं।
रपट के मुताबिक आर्थिक विकास के रास्ते में भ्रष्टाचार, खराब बुनियादी ढांचा और राजकोषीय घाटा प्रमुख बाधाएं हैं।
वैश्विक व्यापार में भारत एक महत्वपूर्ण शक्ति है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था अपनी क्षमता से बहुत नीचे है।
सर्वेक्षण में शामिल 96 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि देश में भ्रष्टाचार इसके विकास को पीछे धकेल रहा है। भ्रष्टाचार का सरकार की दक्षता और आर्थिक प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सूचकांक के मुताबिक अमेरिका आर्थिक स्वतंत्रता के पैमाने पर 12वें स्थान पर बना हुआ है।
अब तक के सर्वेक्षणों में औसत वैश्विक आर्थिक स्वतंत्रता का उच्च अंक (0 से 100 के पैमाने पर) 60.4 रहा है, लेकिन 2015 सूचकांक में इस स्तर को पार कर लिया गया है।
विश्व की सबसे स्वंतत्र अर्थव्यवस्था के रूप में हांगकांग शीर्ष स्थान पर काबिज है। हांगकांग की यह उपलब्धि लगातार 21 सालों से बरकरार है। वहीं, आर्थिक स्वतंत्रता के लिहाज से सिंगापुर का दूसरा स्थान है।