नई दिल्ली: आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की प्रक्रिया जारी है और प्रचार-प्रसार का काम खत्म होने के बाद हिस्सेदारी बिक्री की मात्रा तय की जाएगी. वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहीन कांत पांडेय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
पांडेय ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के सार्वजनिक निर्गम के संबंध में राजधानी दिल्ली में मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की भी तैयारी चल रही है. फिलहाल आईडीबीआई बैंक का प्रबंधकीय नियंत्रण एलआईसी के ही पास है.
पांडेय ने कहा, ‘आईडीबीआई बैंक में बेची जाने वाली हिस्सेदारी की मात्रा प्रचार-प्रसार खत्म होने के बाद पता चल जाएगी. उसके बाद अभिरुचि पत्र (ईओआई) की संरचना को अंतिम रूप दिया जाएगा. एक बात तो साफ है कि इसका प्रबंधकीय नियंत्रण सौंप दिया जाएगा, जो अभी एलआईसी के पास है. जब हम ईओआई की संरचना तय कर लेंगे तो यह फैसला भी किया जाएगा कि कितनी इक्विटी पर प्रबंधकीय नियंत्रण तय किए जाए.”
सरकार आईडीबीआई बैंक में अपनी समूची हिस्सेदारी को एकबारगी या किस्तों में बेचने का फैसला कर सकती है, लेकिन यह निवेशकों से मिलने वाले रुझान पर निर्भर करेगा. सरकार के पास इस बैंक की 45.48 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि एलआईसी के पास 49.24 फीसदी हिस्सा है.
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने मई 2021 में ही आईडीबीआई बैंक के रणनीतिक विनिवेश और प्रबंधकीय नियंत्रण के हस्तांतरण को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी.
इस विनिवेश का रास्ता बनाने के लिए आईडीबीआई बैंक अधिनियम में वित्त अधिनियम 2021 के जरिये जरूरी बदलाव किए जा चुके हैं. इसके अलावा अंतरण सलाहकार भी नियुक्त किए जा चुके हैं.
एलआईसी ने 21 जनवरी, 2019 को आईडीबीआई बैंक के 8.27 करोड़ अतिरिक्त शेयरों का अधिग्रहण कर लिया था. उसके बाद से यह बैंक एलआईसी की अनुषंगी बन चुका है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एलआईसी के आईपीओ (Initial Public Offering) के बारे में बात करते हुए तुहीन कांत पांडे ने कहा कि एलआईसी की लिस्टिंग सरकार की दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टि का एक हिस्सा है.
आईपीओ के तहत किसी कंपनी के शेयर संस्थागत निवेशकों के साथ ही आमतौर पर खुदरा निवेशकों को बेचे जाते हैं.
एलआईसी के आईपीओ के आकार को पहले के 5 प्रतिशत से घटाकर 3.5 प्रतिशत करने के कदम का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि पूंजी बाजार के माहौल को देखते हुए यह सही आकार है और भारत में सबसे मूल्यवान निगमों में से एक में महत्वपूर्ण खुदरा भागीदारी की उम्मीद है.
करीब 20,557 करोड़ रुपये के घटे आकार के बाद भी एलआईसी का आईपीओ देश में अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होने जा रहा है.
अब तक 2021 में पेटीएम के आईपीओ से जुटाई गई राशि 18,300 करोड़ रुपये राशि सबसे बड़ी थी. इसके बाद कोल इंडिया (2010) लगभग 15,500 करोड़ रुपये और रिलायंस पावर (2008) 11,700 करोड़ रुपये की आईपीओ थी.
फरवरी में सरकार ने कंपनी में 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई थी.
एलआईसी ने 902-949 रुपये प्रति इक्विटी शेयर का प्राइस बैंड तय किया है. शेयर की बिक्री 22.13 करोड़ इक्विटी शेयरों के ऑफर-फॉर-सेल (ओएफएस) के माध्यम से होती है और यह 4 मई को खुलेगी और 9 मई को बंद होगी. शेयरों के 17 मई को सूचीबद्ध होने की संभावना है.
प्रस्ताव में पात्र कर्मचारियों और पात्र पॉलिसीधारकों के लिए आरक्षण शामिल है. खुदरा निवेशकों और पात्र कर्मचारियों को प्रति इक्विटी शेयर 45 रुपये की छूट मिलेगी और पॉलिसीधारकों को 60 रुपये प्रति इक्विटी शेयर की छूट मिलेगी.
एलआईसी का गठन 1 सितंबर, 1956 को 245 निजी जीवन बीमा कंपनियों का विलय और राष्ट्रीयकरण करके 5 करोड़ रुपये की शुरुआती पूंजी के साथ किया गया था.
दिसंबर 2021 तक एलआईसी के पास प्रीमियम या जीडब्ल्यूपी के मामले में 61.6 फीसदी, नए बिजनेस प्रीमियम के मामले में 61.4 फीसदी, जारी की गई व्यक्तिगत पॉलिसियों की संख्या के मामले में 71.8 फीसदी और जारी की गई समूह नीतियों की संख्या के मामले में 88.8 फीसदी की बाजार हिस्सेदारी थी.
मालूम हो कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के अपने बजट भाषण में कहा था कि भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, बीईएमएल लिमिटेड, पवन हंस, नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड सहित कई विनिवेश कार्यक्रम 2021-22 में पूरे हो जाएंगे.