चेन्नई: उत्पीड़न के एक मामले में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुब्बैया षणमुगम को बीते शनिवार (19 मार्च) को चेन्नई में गिरफ्तार किया गया है. उन्हें जुलाई 2020 के उस मामले के संबंध में गिरफ्तार किया गया है, जिसमें उन पर एक 62 वर्षीय विधवा महिला के साथ उत्पीड़न करने के आरोप हैं. महिला चेन्नई में अपने अपार्टमेंट में अकेली रहती थीं.
बता दें कि पीड़ित परिवार पुलिस और राजनेताओं के दबाव में आ गया था और मामले में एफआईआर दर्ज होने के बावजूद पीड़िता ने मामले में आगे न बढ़ने का फैसला किया था. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मामले में ताजा घटनाक्रम उसी एफआईआर के आधार पर हुआ है, जिस पर तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार ने जांच नहीं की थी.
डॉ. षणमुगम किलपौक मेडिकल कॉलेज और सरकारी रोयापेट्टा अस्पताल में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष थे. पुलिस ने बताया कि उन्हें कुछ ही हफ्तों पहले नौकरी से निलंबित कर दिया गया था. एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘गिरफ्तारी उनके निलंबन और उनके खिलाफ एफआईआर के बाद की गई थी.’
षणमुगम के खिलाफ अपार्टमेंट में पार्किंग को लेकर हुए विवाद में महिला के घर के दरवाजे पर पेशाब करने और उनके घर के सामने इस्तेमाल किए गए सर्जिकल मास्क फेंकने के आरोप शामिल हैं.
शहर के अदम्बक्कम थाने में दर्ज शिकायत में लिखा है कि विवाद तब पैदा हुआ जब षणमुगम महिला के पास उनकी दो पार्किंग में से एक का इस्तेमाल करने की अनुमति लेने पहुंचे.
घटना अनुसार,‘जब महिला ने इसके लिए किराये की मांग की तो वे गुस्से से बौखला गए. शिकायत में लिखा है कि पहले उन्होंने पार्किंग क्षेत्र का साइन बोर्ड तोड़ा. उसके बाद कई हरकतें कीं, जिनमें महिला से यह पूछना भी शामिल था कि क्या उन्हें चिकन चाहिए, जबकि षणमुगम अच्छी तरह जानते थे कि महिला शाकाहारी हैं. इसके अलावा दरवाजे के सामने पेशाब करना, इस्तेमाल किए हुए सर्जिकल मास्क फेंकना, कचरा और घर के दरवाजे पर मलबा फेंकना जैसी शिकायतें शामिल हैं.’एबीवीपी के पूर्व अध्यक्ष की हरकतें सीसीटीवी फुटेज में भी देखी जा सकती हैं और अपनी पड़ोसी के घर के दरवाजे पर पेशाब करने की उनकी फोटो भी उपलब्ध हैं.
विजयराघवन ने जुलाई 2020 में बताया था कि महिला अपने पति के गुजर जाने के बाद अकेली रह रही थीं. हमने शिकायत दर्ज करने का फैसला किया, क्योंकि षणमुगम सुधरने के लिए तैयार नहीं थे.
हालांकि, डॉ. षणमुगम ने दावा किया कि सीसीटीवी फुटेज से छेड़छाड़ की गई है, इसलिए शिकायत झूठी थी.
आरएसएस, भाजपा नेतृत्व और एबीवीपी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने मामले पर बारीकी से नजर रखी थी और एबीवीपी ने एक बयान भी जारी किया था जिसमें दावा किया था शिकायत वापस ले ली गई है.
हालांकि एफआईआर पहले ही दर्ज होने के बावजूद भी पीड़िता ने इस पर कार्रवाई के लिए तत्परता नहीं दिखाई, क्योंकि भाजपा की सहयोगी अन्नाद्रमुक राज्य में शासन कर रही थी. पीड़िता के परिवार ने भी मामले को नजरअंदाज करने का विकल्प चुना.
विवाद और सीसीटीवी फुटेज के वायरल होने के बावजूद भी केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने षणमुगम को अक्टूबर 2020 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) प्रोजेक्ट के मदुरई स्थित थोप्पुर में बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया गया था. जिस पर कई तमिल नेताओं ने केंद्र की आलोचना की थी और उनकी नियुक्ति को उनके अभद्र व्यवहार का समर्थन करार दिया था.