नई दिल्ली-कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाराणसी स्थित कबीरचौरा मठ पहुंचीं। वह अगले 4 दिन तक वहां प्रवास करेंगी। देशभर के कबीरपंथियों और संत कबीर के अनुयायियों के लिए कबीर चौरा मठ एक मुख्य आकर्षण का केंद्र है।
कबीरचौरा मठ में संत कबीर दास ने अपना पूरा जीवन बिताया था। ये मठ कबीरदास जी की शिक्षाओं, संदेशों एवं स्मृतियों का केंद्र है। 1934 में महात्मा गांधी भी इस मठ में गए थे। प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू, कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर जैसी तमाम दिग्गज हस्तियां वहां जा चुकी हैं।
दरअसल, सातवें और अंतिम चरण में वाराणसी सहित सोनभद्र, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर, चंदौली और भदोही की 54 सीटों पर वोटिंग 7 मार्च को होगी। कांग्रेस पार्टी अब इन अंतिम चरण के चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक देने के प्रयास में है। कहा जा रहा है कि वाराणसी में कबीर चौरा मठ को अपना ठिकाना बनाकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने एक बहुत बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है।
संत कबीर के सामाजिक न्याय एवं समानता के संदेश से उत्तर प्रदेश का दलित एवं अति पिछड़ा वर्ग बहुत जुड़ाव रखता है। सांतवें चरण में जहां चुनाव होना (पूर्वाचल) है, उन जगहों पर अति पिछड़ी जातियों एवं दलितों की संख्या अच्छी-खासी है। साथ ही संत कबीर का सांस्कृतिक महत्व भी बेहद खास है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी दलित व अति पिछड़े वर्ग के अधिकारों के लिए लगातार आवाज उठा रही हैं।
उन्होंने कांग्रेस के घोषणापत्र में भी दलित व अति पिछड़े वर्ग के लिए काफी दूरगामी परिणामों वाली घोषणाएं की हैं। कबीरचौरा मठ का ठिकाना प्रियंका के संघर्षों और सामाजिक न्याय को मजबूत करने के उनके प्रयासों को लेकर एक बड़ा संदेश देगा।
वाराणसी के राजनीतिक पंडितों का मानना है कि प्रियंका गांधी ने कबीरचौरा मठ के जरिए प्रियंका गांधी ने सांस्कृतिक जगत को भी एक बड़ा संदेश दिया है। कबीरचौरा मठ के आस-पास गलियों में भारतीय कला जगत की मशहूर हस्तियों एवं पद्म पुरस्कार विजेताओं के घर हैं। ये लोग भारत की कला जगत के स्तंभ हैं। लोग कयास लगा रहे हैं कि प्रियंका के इस मोहल्ले में प्रवास से भारतीय कला जगत के जरिए पूरे वाराणसी में एक अच्छा संदेश जाएगा।
हालांकि दो सप्ताह पूर्व वाराणसी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाई पंकज मोदी भी कबीरचौरा स्थित संत कबीरदास के आश्रम मूलगादी पीठ पहुंचे थे।