नई दिल्ली, 27 जनवरी (आईएएनएस)। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने तीन दिवसीय भारत दौरे के अंतिम दिन मंगलवार को धार्मिक स्वतंत्रता पर जोर देते हुए कहा कि धार्मिक विविधता वाले देश भारत में इसे बरकरार रखना महत्वपूर्ण है।
सीरी फोर्ट सभागार में अपने भाषण में उन्होंने ज्यादा जोर भारत तथा अमेरिका के संविधान में निहित लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों पर दिया। उन्होंने कहा कि कोई देश तभी मजबूत होता है, जब वह अपने सभी नागरिकों को ईश्वर की संतान मानता है व सबको बराबरी तथा सम्मान देता है।
भारत में धार्मिक विविधता की ओर संकेत करते हुए उन्होंने महात्मा गांधी की उस बात का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत में विभिन्न धर्मों के लोग एक ही बगिया के फूल हैं और एक ही पेड़ की विभिन्न शाखाएं हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों ही देशों की विविधता हमारी ताकत है और हमें इसे धार्मिक आधार पर किसी तरह के बंटवारे से रोकना होगा।
उन्होंने कहा कि मौलिक स्वतंत्रता को बनाए रखना प्रत्येक देश की सरकार और प्रत्येक नागरिक का भी कर्तव्य है।
विस्कॉन्सिन में साल 2012 में एक गुरुद्वारे में बंदूकधारियों द्वारा छह लोगों की हत्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देश दोहराते हैं कि हर किसी को बिना किसी भेदभाव या डर के अपनी इच्छा से धार्मिक विश्वास का अधिकार होगा।
उन्होंने कहा कि जिस शांति की तलाश में हम दुनिया भर में भटकते हैं, वह हमारे दिल में बसती है और हर किसी को आत्मा की सुंदरता से आह्लादित होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि धर्म की मौलिक स्वतंत्रता को बनाए रखना भारत जैसे देश के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि अपनी विविधता के कारण यह बाकी दुनिया के लिए एक उदाहरण है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “भारत में सबसे अहम यह है कि यहां बुनियादी मूल्यों को बनाए रखने की जरूरत है। भारत तभी सफल होगा, जब धर्म के आधार पर इसका किसी तरह का बंटवारा नहीं होगा। और तमाम भारतीय चाहे वह कोई भी धर्म मानते हों, शाहरुख खान, मिल्खा सिंह व मैरी कॉम जैसी शख्सियत की प्रशंसा करेंगे।”
उल्लेखनीय है कि दक्षिणपंथी तत्वों द्वारा कराए जा रहे धर्मातरण व घर वापसी जैसी गतिविधियों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी के कारण उनकी सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा है।
ओबामा अपनी तीन दिवसीय यात्रा समाप्त करने के बाद मंगलवार को रियाद के लिए रवाना हो गए।