अनिल कुमार सिंह “धर्मपथ” के लिए
मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि,धर्म जोड़ता है,तो राजनीति तोड़ती है. धर्म सिखाता है कि ऊंच-नीच, छोटा-बड़ा कुछ नहीं है, बल्कि सब लक्ष्मी नारायण की संतान हैं. वहीं राजनीति में ब्राह्मण, वैश्य, दलित, महादलित और न जाने क्या क्या होता है. राजनीति न जाने कितने टुकड़ों में तोड़ देती है. यहां आकर लगा कि सारे भेदभाव समाप्त हो जाने चाहिए. मैं प्रेरणा लेकर जा रहा हूं कि इस विचार को कैसे आगे बढ़ाया जाए. सरकार की योजनाओं में जनता का कल्याण कैसे बेहतर किया जाए।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार को रामानुजाचार्य सहस्राब्दी समारोह कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए हैदराबाद पहुंचे थे . मुचिन्तल में चिन्ना जीयार स्वामी आश्रम में आयोजित होने वाले रामानुजाचार्य सहस्राब्दी समारोह में हिस्सा लेने कई बड़े साधु संतों के अलावा प्रमुख मोहन भागवत भी पहुंचे थे।
लेकिन आखिर एक परिपक्व मुख्यमंत्री ये कैसा बयान दे गए ? धर्म और राजनीति दोनों समाज की बेहतरी एवं आध्यात्मिक व् सामाजिक विकास के लिए हैं ,सिख गुरु श्री गुरु हरगोबिंद जी ने गुरुगद्दी संभाली तो उन्होंने दो तलवारें धारण की, इन तलवारों को मीरी-पीरी नाम दिया गया। मीरी शब्द मीर से बना है जिसका अर्थ होता है नेता या शासक। अर्थात मीरी नामक तलवार भौतिक संसार पर विजय पाने का प्रतीक थी। वहीं पीरी शब्द पीर से बना है जिसका अर्थ होता है गुरु। अर्थात पीरी नामक तलवार आध्यात्मिक ज्ञान पर विजय पाने का प्रतीक थी। इस प्रकार भौतिक संसार व आध्यात्म पर विजय पाने के लिए गुरु साहिब ने मीरी-पीरी नामक दो तलवारों को धारण किया था। इन दोनों तलवारों में से गुरु साहिब ने पीरी को श्रेष्ठ माना था।
धर्म मनुष्य में सहिष्णुता, दया, धर्म, स्नेह, सेवा आदि सामाजिक गुणों को विकसित करता है। इसके परिणामस्वरूप समाज की व्यवस्था में शक्ति एवं क्षमता का विकास होता है। धर्म व्यक्ति के व्यवहारों को भी नियन्त्रित कर, सामाजिक नियन्त्रण में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
वहीं राजनीति विज्ञान मानव को उसके अधिकार और कर्तव्यों का ज्ञान कराता है जिससे मनुष्य समाज की श्रेष्ठतम इकाई के रूप में जीवन व्यतीत कर सके। इसके साथ ही राजनीति विज्ञान व्यक्तियों में परस्पर उचित सम्बन्ध स्थापित करके संघर्ष के स्थान पर सहयोग के सिद्धान्तों को प्रतिष्ठित करने का प्रयत्न करता है।
राजनीति शिक्षा देती है व्यक्ति से परिवार बड़ा है,परिवार से गाँव,गाँव से जिला,जिला से प्रांत,प्रांत से देश और देश से विश्व बड़ा है। व्यक्ति को परिवार के हित में,परिवार को गाँव के हित में,गाँव को जिले के हित मे,जिले को राज्य के हित में,राज्य को देश के हित में अपने स्वार्थ त्यागने चाहिए।राजनीति विज्ञान रंगभेद,जाति भेद,क्षेत्रीय संकीर्णता,लिंगभेद,धर्मभेद इन सबसे ऊपर उठ कर राष्ट्र हित,विश्वहित में कार्य करने की दिशा प्रदान करता है। राजनीति मानव-मूल्यों को उच्च-स्तर तक ले जाकर मानव-कल्याण का विज्ञान है न की मनुष्य में बंटवारे का।
’’राजनीति शास्त्र का राजनीतिक अर्थव्यवस्था या अर्थशास्त्र से गहरा सम्बन्ध है’, इसका कानून से सम्बन्ध है चाहे वह प्राकृतिक हो या मानवीय जो कि नागरिकों के आपसी संबन्धों को नियमित करता है, वह इतिहास से सम्बन्धित है जो कि इसको आवश्यकता के अनुसार ’तथ्य’ देता है, इसका ‘तत्व ज्ञान’ या दर्शनशास्त्र और विशेषकर नैतिकता या आचार से सम्बन्ध है जो कि इसको ‘सिद्धान्त’ देता है।
राजनीति विज्ञान विश्व-समुदाय को एक मानवतापूर्ण वैश्विक राज्य बनने की प्रेरणा देता है यही यह हो गया तो सीमाओं के सभी बंधन समाप्त हो जाएंगे,मानव-मानव के भेद समाप्त हो जाएंगे मात्र एक ईश्वरीय सत्ता और प्राणी-कल्याण का भाव ही इस धरती पर विद्यमान रहेगा।
वहीँ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो राजनीतिज्ञ है कोई धर्माचार्य नहीं,राजनीति को तोड़ने वाला माध्यम बता कर अपनी सच्चाई सामने रख दी है,शिवराज सिंह चौहान ने राजनीति को लेकर अपने बयान में कहा राजनीति तोड़ती है इसके पीछे शिवराज सिंह के राजनैतिक कैरियर पर दृष्टि डाली जाय तो वे अपने दल के लोगों को ही तोड़ कर आगे बढे हैं और अभी तक सफल भी हैं शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठने से लेकर वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा की मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को पलीता लगाने में शिवराज सिंह चौहान सफल रहे हैं, शिवराज सिंह चौहान ने अपने सभी साथी सहयोगियों की दावेदारी की संभावनाएं अपनी तोड़-फोड़ वाली राजनैतिक कुशलता के जरिये समाप्त करने में सफलता प्राप्त की ,वे अपने पद को अवश्य बचाये रखने में सफल हुए लेकिन राजनीति के उद्देश्य जोड़ने को इन्होने तोड़ने में बदलने में सहयोगी एवं सफल मुख्यमंत्री साबित हुए.