लखनऊ- गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने कहा है कि इस बार गोरखपुर के लोग 1971 के उस इतिहास को दोहराएंगे, जब एक मुख्यमंत्री को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था.
अपनी जीत की उम्मीद जताते हुए आजाद ने यह भी कहा कि 36 छोटे दलों के गठबंधन ‘सामाजिक परिवर्तन मोर्चा’ ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है तथा यह मोर्चा उत्तर प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहा है.
उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा से बातचीत में कहा, ‘हमें गोरखपुर के इतिहास को देखने की जरूरत है. 1971 में तत्कालीन मुख्यमंत्री टीएन सिंह को गोरखपुर के लोगों ने हराया था. इसी तरह इस बार आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं और वह उत्तर प्रदेश एवं गोरखपुर की पिछले पांच साल में हुई तबाही के लिए जिम्मेदार हैं.’
समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की बातचीत सफल नहीं होने के बाद आजाद ने छोटे दलों का गठबंधन बनाया है.
उनका कहना है, ‘मैं सपा के साथ गठबंधन करना चाहता था, ताकि भाजपा को रोका जा सके. जब उन्होंने हमारा हिस्सा (सीट बंटवारा) देना नहीं चाहा तो हमने इनकार कर दिया.’
उन्होंने वोट काटने के आरोपों से इनकार करते हुए कहा, ‘मैं यह कहता हूं कि सपा अपना काम कर रही है और हम अपना काम कर रहे हैं. मुझे सपा से कोई दिक्कत नहीं है.’
कुछ तबकों द्वारा ‘वोटकटवा’ पार्टी कहे जाने पर आजाद ने पलटवार किया, ‘कौन युवाओं के लिए खड़ा हुआ जब रोजगार की तलाश में उन पर ‘लाठियों’ की बारिश हुई, जब बहनों के साथ अन्याय हुआ, तब किसने लोगों के वास्तविक मुद्दों को किसने उठाया?’
36 वर्षीय आजाद के अनुसार, उत्तर प्रदेश में लोगों ने 2012 से 2017 तक सपा का और 2017 से 2022 तक भाजपा का शासन देखा है. सपा सरकार से निराश होकर लोगों ने भाजपा को वोट दिया, इसलिए भाजपा उनकी (सपा) वजह से सत्ता में आई.
उन्होंने दावा किया कि लोग इस बार फिर से वही गलती नहीं दोहराएंगे.
उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री के खिलाफ जीत की संभावनाओं से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा, जब लोग राज्य से न होते हुए भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सांसद बना सकते हैं, तो मैं कम से कम उत्तर प्रदेश का हूं.
उन्होंने कहा, ‘मैं उन्हें (आदित्यनाथ) हरा दूंगा, इसके लिए हमें सांगठनिक ताकत की जरूरत है और हमारे पास वह है. उनकी नाकामियां बहुत हैं मुद्रास्फीति, कोविड से निपटने, बेरोजगारी, भर्ती घोटाले, कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा, यह सरकार हर मामले में विफल रही है.’
अयोध्या से आदित्यनाथ के लड़ने की बात चल रही थी, लेकिन बाद में उनके गोरखपुर शहर से ही लड़ने की बात सामने आई, इस पर आजाद समाज पार्टी प्रमुख ने कहा कि उन्हें पता था कि चंद्रशेखर आजाद उनके खिलाफ चुनाव लड़ेंगे, इसलिए वह एक तथाकथित ‘सुरक्षित सीट’ पर लौट आए.
उन्होंने सवाल किया, ‘अगर मुख्यमंत्री के तौर पर आदित्यनाथ ने इतना अच्छा काम किया है तो वह गोरखपुर क्यों वापस पहुंच गए?’
उन्होंने कहा, ‘गोरखपुर के लोग उनसे नहीं डरते हैं और न ही उनके तुगलकी फरमानों का पालन करेंगे. गोरखपुर की जनता 1971 के इतिहास को दोहराएगी, जब उसने एक मौजूदा मुख्यमंत्री को हराया था.’
उल्लेखनीय है कि वाराणसी से कांग्रेस-ओ के नेता त्रिभुवन नारायण सिंह ने विधानसभा का सदस्य न होते हुए भी अक्टूबर, 1970 में मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. 1971 में उन्होंने गोरखपुर की मानीराम विधानसभा सीट से उपचुनाव में लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था और उन्हें इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा था.
जब उनका प्रभाव राज्य के पश्चिमी हिस्से में अधिक माना जाता है, तब पूर्वी उत्तर प्रदेश की एक सीट से चुनाव लड़ने के बारे में पूछे जाने पर आजाद ने कहा कि यह मीडिया द्वारा गढ़ी गई एक बात है उनकी पार्टी का प्रभाव हर जगह है.
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में जन्मे आजाद ने दलितों के कल्याण के लिए लड़ने के लिए 2014 में भीम आर्मी की शुरुआत की थी. बाद में उन्होंने आजाद समाज पार्टी का गठन किया, जो भीम आर्मी का राजनीतिक मोर्चा है.
पार्टी ने 2020 में बुलंदशहर सदर सीट पर हुए उपचुनाव में पहली बार चुनाव लड़ा था. इसके उम्मीदवार मोहम्मद यामीन हार गए थे, लेकिन उन्हें 13,000 वोट मिले थे.
उत्तर प्रदेश में चुनाव की शुरुआत 10 फरवरी को राज्य के पश्चिमी हिस्से के 11 जिलों की 58 सीटों पर मतदान के साथ होगी. दूसरे चरण में 14 फरवरी को राज्य की 55 सीटों पर मतदान होगा. उत्तर प्रदेश में 20 फरवरी को तीसरे चरण में 59 सीटों पर, 23 फरवरी को चौथे चरण में 60 सीटों पर, 27 फरवरी को पांचवें चरण में 60 सीटों पर, तीन मार्च को छठे चरण में 57 सीटों पर और सात मार्च को सातवें चरण में 54 सीटों पर मतदान होगा.