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 असम: पूर्व छात्र नेता को पुलिस ने गोली मारी, परिजनों के ज़्यादती के आरोपों के बीच जांच के आदेश | dharmpath.com

Saturday , 23 November 2024

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असम: पूर्व छात्र नेता को पुलिस ने गोली मारी, परिजनों के ज़्यादती के आरोपों के बीच जांच के आदेश

January 24, 2022 6:51 pm by: Category: ख़बरें अख़बारों-वेब से Comments Off on असम: पूर्व छात्र नेता को पुलिस ने गोली मारी, परिजनों के ज़्यादती के आरोपों के बीच जांच के आदेश A+ / A-

गुवाहाटी: असम के नागांव जिले में पुलिस ने एक 22 वर्षीय पूर्व छात्र नेता को शनिवार शाम को गोली मार दी. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने इस संबंध में जांच के आदेश दिए हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि अतिरिक्त मुख्य सचिव पवन बोरठाकुर को जांच का जिम्मा सौंपा गया है. उन्होंने कहा, ‘वे घटना की तह में जाएंगे और सात दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपेंगे.’

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने गुवाहाटी में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगर यह पाया जाता है कि पुलिस ने कुछ गलत किया है तो तत्काल कार्रवाई होगी.

शर्मा ने कहा, ‘पुलिस अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी, लेकिन उसे आम आदमी के लिए मित्रवत होना चाहिए. अगर कोई कर्मी या अधिकारी दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे.’

इससे पहले शनिवार की शाम नागांव कॉलेज के पूर्व महासचिव कीर्ति कमल बोरा, जो पहले ऑल असम छात्र संगठन (आसू) के सदस्य थे, नागांव के कचलुखुआ इलाके में एक ड्रग विरोधी अभियान के दौरान घायल हो गए थे, जब पुलिस ने उन्हें आत्मरक्षा में गोली मार दी थी.

इस दौरान कीर्ति को उनकी बाईं जांघ, बाएं हाथ और माथे पर चोट आईं, उनका फिलहाल गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इलाज चल रहा है.

जहां एक तरफ पुलिस का आरोप है कि बोरा ड्रग रैकेट में शामिल थे और उन्होंने पुलिस पर हमला किया, वहीं दूसरी तरफ बोरा के परिवार का कहना है कि उन्हें झूठा फंसाया जा रहा है.

पुलिस के अनुसार, नागांव के कचलुखुआ इलाके में ड्रग्स बिकने की गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस शनिवार शाम को सादे कपड़ों में मौके पर पहुंची थी.

नागांव के एसपी आनंद मिश्रा ने बताया, ‘प्रारंभिक जांच में हमने पाया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ बाइक सवार मादक पदार्थ बेच रहे हैं. जब दो पुलिसकर्मी सादी वर्दी में मौके पर पहुंचे, तो इस युवक ने उनसे पूछा कि क्या वे पुलिसवाले हैं.’

मिश्रा ने आगे बताया, ‘जब उन्होंने हां में जवाब दिया, तो आरोपी ने उनमें से एक को अपने हेलमेट से मारा और उसे घायल कर दिया. पास में मौजूद एक पुलिस टीम भी मौके पर पहुंची और उसे काबू में करने की कोशिश की, लेकिन उसने उन पर हमला करना जारी रखा. कोई अन्य विकल्प न बचने पर पुलिस ने गोली चलाई. उसके पास से हेरोइन की आठ शीशियां जब्त की गईं.’

घटना का विवरण देते हुए एसपी ने बताया कि हमलावर तीन-चार लोग थे. दो ने भागने की कोशिश की तो एक पुलिस वाले ने उनका पीछा किया. इस बीच जो पुलिस वाला पीछे छूट गया था, उसे दो अन्य लोगों ने पीटना शुरू कर दिया.

उनके बयान के अनुसार, खुद को बचाने के लिए पुलिस के जवान को गोली चलानी पड़ी, वरना वे उसे मार डालते.

मिश्रा का आरोप है कि पुलिस वाले को पीटने वालों और घटना में कीर्ति शामिल थे इसलिए उन्हें गोली लगी. उन्होंने बताया कि अब हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कीर्ति ग्राहक थे या पेडलर (बेचने वाला).

एसपी मिश्रा ने कहा है कि वह इस मामले की व्यक्तिगत रूप से जांच करेंगे कि पुलिस ने कोई ज्यादती तो नहीं की.

कीर्ति का गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इलाज चल रहा है. डॉक्टरों ने कहा कि उनकी हालत स्थिर है. उनके परिवार, दोस्तों व विपक्षी दलों ने घटना और पुलिस के बयान को फर्जी बताया.

कीर्ति के बड़े भाई कौस्तव का कहना है कि कीर्ति मां के कहने पर बाजार से दवा लेने गया था. दस मिनट बाद घर के पास कुछ हंगामे की आवाज आई, बाहर निकलकर देखा तो कीर्ति सड़क पर पड़ा था और उसके चारों ओर 6-7 पुलिस वाले थे.

जबकि, अस्पताल के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए घायल कीर्ति ने बताया था, ‘जब मैं मां के लिए दवा लेने बाहर गया तो देखा कि घर के पास एक व्यक्ति को पीटा जा रहा है. मैं केवल बीच-बचाव करने गया था तो मेरे साथ अभद्रता की गई और बाइक से खींच कर अचानक गोली मार दी.’

कीर्ति के भाई का कहना है कि असम में एनकाउंटर एक ट्रेंड बन गया है. विपक्ष ने भी मुख्यमंत्री शर्मा पर पुलिस को एनकाउंटर करने के लिए प्रोत्साहन देने का आरोप लगाया है.

रायजोर दल के अखिल गोगोई ने हिमंता शासन को जंगलराज बताया है. विपक्ष ने दावा किया है कि वर्तमान स्थिति 90 के दशक के ‘गुपचुप हत्याओं’ के दौर से भी बदतर है.

‘गुपचुप हत्या’ शब्द का संदर्भ 1990 के दशक में उल्फा नेताओं के परिवार के सदस्यों की न्यायेतर हत्याओं से है.

ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) ने भी घटना की निंदा की है और मामले में न्यायिक जांच की मांग की है. घटना के विरोध में आसू और असम जातियावादी युवा छात्र परिषद ने रैली भी निकाली.

आसू ने आरोप लगाया है कि बोरा ने नशे में धुत पुलिसकर्मियों द्वारा एक युवक की पिटाई करने का विरोध किया, जिससे पुलिसकर्मी नाराज हो गए.

आसू के मुख्य सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य ने घटना की निंदा की और इसकी न्यायिक जांच की मांग करते हुए कहा, ‘राज्य सरकार खुलेआम हत्या का माहौल बना रही है. हम उसे इस तरह के बर्बर कृत्यों को रोकने के लिए कड़ी चेतावनी देते हैं. एसपी और अन्य पुलिस अधिकारियों के साथ अपनी बैठकों के दौरान, क्या मुख्यमंत्री उन्हें निर्दोष लोगों को गोली मारने का निर्देश देते हैं?’

बोरा की मां और कुछ विद्यार्थियों ने भी इस गोलीबारी की घटना की न्यायिक जांच कराने और इसमें शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर नागांव थाने के सामने प्रदर्शन किया. वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें मुख्य द्वार को जाम करने की बजाय ज्ञापन देने को कहा.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रिपुन बोरा ने ट्वीट किया, ‘असम में पुलिस का जंगल राज. मैं नागांव कॉलेज के पूर्व छात्र नेता कीर्ति कमल बोरा पर पुलिस गोलीबारी की कड़ी निंदा करता हूं. यह पुलिस गोलीबारी के संबंध में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा के भड़काऊ बयानों का स्पष्ट परिणाम है. नागांव के एसपी को जल्द से जल्द निलंबित किया जाना चाहिए.’

रायजोर दल के अध्यक्ष अखिल गोगोई ने कहा कि यह घटना असम में पुलिस राज का खतरनाक परिणाम है.

शिवसागर विधायक गोगोई ने कहा, ‘राज्य में गुपचुप हत्याओं के दौर से भी बदतर स्थिति देखी जा रही है. हम मांग करते हैं एक निर्दोष युवक की हत्या की कोशिश के लिए नागांव एसपी के साथ-साथ इस घटना में शामिल सभी पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए.’

विरोध और आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए असम पुलिस ने ट्वीट किया, ‘नागांव के कचलुखुआ में हुई गोलीबारी की घटना में शामिल पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से ‘पुलिस रिजर्व’ भेज दिया गया है. हमने सरकार से घटना की आयुक्त स्तर की जांच कराने का अनुरोध किया है. यदि कोई चूक हुई है, तो दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.’

बता दें कि जब से शर्मा मुख्यमंत्री बने हैं, वे अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर जोर दे रहे हैं और पुलिस को खुली छूट दे रखी है. पिछले साल मई से अब तक पुलिस हिरासत से बचने की कोशिश में 60 से अधिक लोग घायल हुए हैं और कम से कम 30 लोग मारे गए हैं.

बहरहाल, शर्मा का इस घटना के संबंध में कहना है कि घटना की जांच की जा रही है, इसकी अन्य घटनाओं से तुलना नहीं की जानी चाहिए. पुलिस वालों के दोषी पाए जाने पर कार्रवाई होगी.

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