भोपाल :मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में कानून-व्यवस्था सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। पुलिस के कार्यों के प्रति जनता की संतुष्टि ही राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रदेश में बच्चों और महिलाओं के प्रति अपराध, सायबर अपराध, ड्रग्स के प्रकरण और नक्सल समस्या के समाधान के लिए प्रभावी कार्य-योजना बनाना आवश्यक है। कानून-व्यवस्था की स्थिति के आधार पर जिलों की रैंकिंग सुनिश्चित की जाए। इससे जिलों में प्रतिस्पर्धी भाव विकसित होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सीएसपी, एसडीओपी तथा पुलिस अधीक्षक और इससे उच्च स्तर के अधिकारियों को क्षेत्र में दौरे बढ़ाने की आवश्यकता है। अधिकारियों के दौरों से कानून-व्यवस्था की स्थिति में सकारात्मक सुधार आने के साथ जनता में पुलिस व्यवस्था के प्रति विश्वास भी बढ़ता है। पुलिस मुख्यालय में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों के अनुभव का उपयोग भी क्षेत्र की समस्याओं के समाधान में किया जाना चाहिए। अधिकारियों के दौरों का व्यवस्थित रिकार्ड राज्य स्तर पर संधारित किया जाए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान मंत्रालय में गृह एवं जेल विभाग की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में गृह एवं जेल मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, पुलिस महानिदेशक श्री विवेक जौहरी और अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मैदानी अधिकारियों का आपराधिक कानूनों से संबंधित निरंतर प्रशिक्षण आवश्यक है। अपराधों की गुत्थियाँ सुलझाने में फॉरेंसिक साईंस की महत्वपूर्ण भूमिका है। अत: प्रदेश में फॉरेंसिक साईंस में सक्षम संस्थान और अद्यतन अनुसंधान प्रणालियाँ विकसित करने की दिशा में कार्य किया जाए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पुलिस कर्मियों को अपनी फिटनेस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में आदर्श थाने विकसित किए जाये, जिनमें जनता से व्यवहार, अपराधों पर नियंत्रण जैसे बिन्दुओं के आधार पर निश्चित समयावधि में रैंकिंग की जाए। थानों को जनता से बेहतर संवाद और जनता का विश्वास अर्जित करने की दिशा में कार्य करना होगा। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि थाने कबाड़ का अड्डा नहीं बने। जप्त वाहनों का समय-सीमा में निष्पादन सुनिश्चित करने के लिए निश्चित नीति निर्धारित की जाए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सायबर क्राइम पर नियंत्रण के लिए पुलिस कर्मियों की आई.टी. में दक्षता और सायबर सुरक्षा पर विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं को पुलिस में भर्ती के लिए प्रोत्साहित किया जाए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रतिवर्ष पुलिस की भर्ती सुनिश्चित की जाए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पुलिस में उपलब्ध प्रशिक्षित कोच तथा अन्य संसाधनों का उपयोग करते हुए प्रदेश के युवाओं को पुलिस और सेना में भर्ती के लिए प्रशिक्षण उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए। इसमें 15 दिन अकादमिक तथा 15 दिन का शारीरिक प्रशिक्षण शामिल हो। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने यह प्रशिक्षण इस साल से ही आरंभ करने के निर्देश दिए।
बैठक में डायल-100, चरित्र सत्यापन की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने, प्रदेश के थानों में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाने, पुलिस स्थापना के संबंध में ईआरपी सॉल्यूशन, पुलिस आवास व्यवस्था के संबंध में प्रस्तुतिकरण दिया गया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बैठक में होमगार्ड द्वारा बाढ़ की स्थिति और अन्य आपदा के मौकों पर किए गए कार्यों की प्रशंसा की।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने जेल विभाग की गतिविधियों की समीक्षा करते हुए कहा कि जेल स्टाफ के क्वार्टर जेल के पास ही निर्मित हों। काफी प्राचीन इमारतों में चल रही जेलों के भवन संधारण का कार्य समय पर किया जाए। मरम्मत के कार्यों को लंबित न रखा जाए। कैदियों द्वारा अपने विभिन्न हुनर से तैयार किए जा रहे उत्पादों को बाहर की दुनिया तक पहुँचाए। जेलों में निर्मित कुछ वस्तुओं के ब्रांड विकसित कर उनका प्रचार-प्रसार किया जाए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सागर की जेल में हाथ-करघा से वस्त्र तैयार करने और बुनाई, सिलाई, कढ़ाई के क्षेत्र में हो रहे कार्य का भी विस्तार किया जाए। एमएम जेलों के भवन आधुनिक भवन निर्माण शैली में विकसित करें। नए भवनों में दो और तीन मंजिलों के भवन भी बनाए जा सकते हैं, जिससे काफी स्थान बचेगा और अन्य व्यवस्थाए। बेहतर होंगी। विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जेलों का नियमित निरीक्षण किया जाए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाये कि जेल में किसी भी प्रकार की कोई अनैतिक गतिविधियाँ न हो।