नई दिल्ली- न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) ने कोड ऑफ एथिक्स और दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए दो टीवी चैनलों की निंदा करते हुए उन्हें फटकार लगाई है.
टीवी चैनल न्यूज नेशन पर ‘धर्मांतरण जिहाद’ नाम के शो के लिए और जी न्यूज पर कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप (सीसीजी) के सदस्यों को ‘चालाक और गैंग’ बताकर कोड ऑफ एथिक्स का उल्लंघन करने के लिए आदेश जारी किए हैं.
मालूम हो कि सीसीजी के सदस्य सभी पूर्व नौकरशाह हैं. टीवी समाचार प्रसारकों के निजी संघ एनबीडीएसए ने इस महीने कई आदेश जारी किए हैं..
इसके बाद जी न्यूज को भी एक वीडियो हटाने को कहा गया, जिसमें कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को खालिस्तानी कहा गया था.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एके सीकरी की अध्यक्षता में एनबीडीएसए द्वारा जारी किए गए आदेशों की पूर्ण सूची यहां देखी जा सकती है.
न्यूज नेशन पर प्रसारित इस विवादित कार्यक्रम की शिकायत एनजीओ ‘सिटिजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस’ द्वारा की गई, जिसमें कहा गया कि एंकर दीपक चौरसिया ने छह नवंबर 2020 को अपने शो ‘देश की बहस’ के दौरान ‘धर्मांतरण जिहाद’ पर चर्चा की, जो वास्तव पर मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं के कथित जबरन धर्मांतरण के लिए गढ़ी गई एक शब्दावली है.
शिकायत में कहा गया, ‘एंकर यह कहकर नफरत बेच रहा है कि जिस हिंदुस्तान में हम रह रहे हैं, वह हिंदुओं के लिए अब सुरक्षित नहीं है.’
एनबीडीएसए ने शिकायत पर प्रतिक्रिया, प्रसारक के जवाब और प्रसारण के फुटेज की समीक्षा करते हुए कहा कि एंकर द्वारा दिए गए बबान और ‘मेमचंद जिंदा है जमात शर्मिंदा है’, ‘500- हिंदू कैसे बनाए मुस्लिम’ और ‘क्या मेवात पाकिस्तान बन गया’ जैसे कैप्शन इस कार्यक्रम के दौरान प्रसारित किए गए जो नस्लीय और धार्मिक सद्भाव का पालन करने वाले दिशानिर्देशों का उल्लंघन है.
एनबीडीएसए ने 13 नवंबर के अपने आदेश में कहा कि प्रसारक ने अपने जवाब में कहा है कि अगर उनके इस कार्यक्रम से किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, विशेष रूप से किसी समुदाय की तो वे माफी मांगते हैं.
आदेश में कहा गया कि हालांकि, प्रसारक शिकायतकर्ता की शिकायतों को लेकर कोई विशेष जवाब नहीं दे सका.
एनबीडीएसए ने कहा कि प्रसारक ने अपनी पिछली शिकायतों और सुनवाइयों में इसी तरह के तर्क दिए हैं और खेद जताते हुए कोड ऑफ एथिक्स और दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने और सुधारात्मक कदम उठाने का वादा किया है.
आदेश में कहा गया, ‘प्रसारक द्वारा दिए गए जवाब के संदर्भ में एनबीडीएसए ने कहा कि उन्हें आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है और एंकर्स के खिलाफ सुधारात्मक कार्रवाई करनी चाहिए जो प्रसारण के दौरान तटस्थ और निष्पक्ष रहने में असफल रहे.’
आदेश में कहा गया कि एंकर्स को प्रशिक्षित करना चाहिए ताकि वे कार्यक्रमों और डिबेट को सही ढंग से संचालित कर सकें.
प्रसारक द्वारा बिना शर्त माफी मांगने और एनबीडीएसए को यह आश्वासन देने कि वह सुधारात्मक कदम उठा रहा है, एनबीडीएसए ने प्रसारक को इस तरह के कार्यक्रमों के प्रसारण के दौरान भविष्य में और अधिक सावधान रहने की सलाह देकर शिकायत को बंद करने का फैसला किया लेकिन साथ में चेतावनी दी कि अगर इस तरह के कार्यक्रमों का दोबारा प्रसारण किया जाता है तो एनबीडीएसए प्रसारक के खिलाफ उचित कार्रवाई करेगा.
एनबीडीएसए ने यह भी कहा है कि अगर चैनल की वेबसाइट, यूट्यूब या किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर यह वीडियो अभी भी उपलब्ध हैं तो इन्हें तत्काल हटाया जाए.इस बीच 22 नवंबर के एक अन्य आदेश में एनबीडीएसए ने कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप (सीसीजी) की शिकायत पर गौर किया, जिसमें कहा गया कि जी न्यूज के सुधीर चौधरी ने दो नवंबर 2021 को प्रसारित एक न्यूज कार्यक्रम में समूह की छवि धूमिल की.
इस कार्यक्रम में सीसीजी द्वारा लिखे गए एक पत्र, जिसमें समूह ने विज्ञापनदाताओं से ‘नफरत और सांप्रदायिक वैमनस्य’ फैलाने वाले चैनलों को फंड न देने को कहा गया था, पर चर्चा करते हुए चौधरी ने दावा किया है कि सीसीजी नहीं चाहता कि ऐसे चैनल को फंड मिलें, जो ‘सच्चाई’ को उजागर करते हैं.
बता दें कि चौधरी एनबीडीएसए के तहत नेशनल ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन के बोर्ड सदस्य हैं.
चौधरी ने अपने कार्यक्रम के दौरान सीसीजी के सदस्यों पर सिविल सेवकों के तौर पर इनके कार्यकाल के दौरान पक्षपातपूर्ण फैसले लेने का आरोप लगाया. हालांकि, अपने इन दावों के समर्थन के लिए चौधरी ने कोई सबूत पेश नहीं किया.
जी न्यूज ने इस प्रसारण का बचाव किया और सीसीजी पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि यह खुला पत्र मीडिया को राष्ट्रीय महत्व के मामलों की रिपोर्टिंग करने से रोकने का प्रयास प्रतीत होता है.
एनबीडीएसए का कहना है कि चैनल ने सीसीजी के सदस्यों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाकर और उन्हें ‘चालाक और गैंग कहकर’ निश्चित तौर पर सीमा पार की है. संघ ने कहा कि कार्यक्रम में निष्पक्षता का अभाव था और एंकर्स द्वारा कीचड़ उछालने से अच्छे कंटेंट और शालीनता के मानकों को तार-तार किया गया.
अथॉरिटी ने कहा कि प्रसारक को सीसीजी के खुले पत्र की आलोचना करने का अधिकार है लेकिन एंकर द्वारा पूर्व निर्धारित जजमेंट को विश्लेषण नहीं माना जा सकता.
जी न्यूज को भी उसकी वेबसाइट, यूट्यूब और अन्य प्लेटफॉर्म से कार्यक्रम के वीडियो हटाने का निर्देश दिया गया है.