नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विवादित तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के एक दिन बाद बीते शनिवार को उन्नाव के भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने कहा कि कानून दोबारा बन जाएंगे.
उन्होंने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, ‘बिल तो बनते रहते हैं, बिगड़ते रहते हैं, वापस आ जाएंगे, दोबारा बन जाएंगे, कोई देर नहीं लगती है.’
हालांकि साक्षी महाराज ने यह भी कहा, ‘मैं मोदी जी को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने बड़ा दिल दिखाया और विधेयक के बजाय राष्ट्र को चुना. जिनके इरादे गलत थे, जिन्होंने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ और ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए, उन्हें करारा जवाब मिला है.’
उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 और विधेयकों को निरस्त करने की घोषणा के बीच कोई संबंध नहीं है.
भाजपा सांसद ने कहा, ‘यूपी 2022 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा (403 सदस्यीय) यूपी विधानसभा में 300 का आंकड़ा पार करेगी. भारत में (प्रधानमंत्री) मोदी और (यूपी के मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ का कोई विकल्प नहीं है.’
इसी तरह राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी कहा था कि जरूरत पड़ने पर कृषि कानूनों को फिर से लाया जा सकता है.
हालांकि उन्होंने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा को सकारात्मक दिशा में उठाया गया कदम बताया है.
मिश्र ने उत्तर प्रदेश के भदोही में पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा सकारात्मक दिशा में एक कदम है. साहस और हिम्मत के साथ कानूनों को निरस्त करने का कार्य प्रशंसनीय है.’
उन्होंने कहा, ‘ये कानून किसानों के हित में बनाए गए थे, लेकिन शासन की तरफ से किसानों को समझाया नहीं जा सका.’
जिले के औराई क्षेत्र के बभनौटी गांव में एक वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आए मिश्र ने कहा कि कृषि कानून वापस लेने के लिए किसानों की तरफ से आंदोलन होता रहा, जिससे देश में एक विचित्र स्थिति पैदा हो गई थी जो अब खत्म हो जाएगी.
सरकार ने महसूस किया कि इसे वापस ले लिया जाना चाहिए. अभी समय अनुकूल नहीं है इसलिए यह बिल दोबारा आ सकता है.
ऐसी टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी ने कहा, ‘साफ नहीं इनका दिल, चुनाव बाद फिर लायेंगे बिल. संवैधानिक पद पर बैठे पूर्व भाजपा नेता, महामहिम राज्यपाल श्री कलराज मिश्र और भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने कहा ‘फिर कृषि बिल ला सकती है भाजपा सरकार’. किसानों से झूठी माफी मांगने वालों की ये सच्चाई है!’
एक बैठक के बाद सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए राजेवाल ने कहा, ‘हमने कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा पर चर्चा की. इसके बाद, कुछ फैसले लिए गए. एसकेएम के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम पहले की तरह ही जारी रहेंगे. 22 नवंबर को लखनऊ में किसान पंचायत, 26 नवंबर को सभी सीमाओं पर सभा और 29 नवंबर को संसद तक मार्च होगा.’
किसान नेता अपने इस रुख पर कायम हैं कि प्रदर्शनकारी दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में तब तक रहेंगे, जब तक कि केंद्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बीते शुक्रवार को की गई घोषणा के बाद संसद में इन कानूनों को औपचारिक रूप से रद्द नहीं करता और एमएसपी की वैधानिक गारंटी और विद्युत संशोधन विधेयक वापस लेने की उनकी अन्य मांगें नहीं मान ली जाती हैं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.