कोलकाता- पश्चिम बंगाल विधानसभा ने मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित कर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के क्षेत्राधिकार को अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर करने के लिए जारी अधिसूचना को वापस लेने की मांग की।
गृह मंत्रालय ने 11 अक्टूबर को एक अधिसूचना जारी कर बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 15 किलोमीटर से बढ़ाकर पश्चिम बंगाल, पंजाब और असम में 50 किलोमीटर कर दिया है। पंजाब विधानसभा ने भी 11 नवंबर को ऐसा ही एक प्रस्ताव पारित किया था।
बंगाल विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी द्वारा नियम 169 के तहत पेश किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि बीएसएफ के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र का विस्तार राज्य के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है, जो देश के संघीय ढांचे को नष्ट कर देगा।
तृणमूल कांग्रेस के 112 विधायकों ने इसके पक्ष में मतदान किया और भाजपा के 63 विधायकों ने इसके खिलाफ मतदान करके प्रस्ताव पारित किया।
इस अवसर पर चटर्जी ने कहा कि बीएसएफ के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र को राज्य के किसी भी अधिकारी के साथ परामर्श किए बिना बढ़ा दिया गया है, इस कदम से राज्य पुलिस की शक्ति पर अंकुश लगेगा।
चटर्जी ने बाद में मीडिया से बात करते हुए कहा, अगर अधिसूचना लागू हो जाती है, तो राज्य के 11 जिले या 37 प्रतिशत क्षेत्र बीएसएफ के नियंत्रण में आ जाएंगे और एक तरह से केंद्र के नियंत्रण में आ जाएंगे।
विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने प्रस्ताव का विरोध करते हुए बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 80 किलोमीटर तक बढ़ाने का आह्वान किया।
अधिकारी ने आरोप लगाया कि रोहिंग्या राज्य में प्रवेश कर चुके हैं, इसलिए यहां आतंकवादी पनप रहे हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रधानमंत्री को लिखे पत्र के परिणाम और पिछले सप्ताह केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और राज्य के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में क्या हुआ, यह बताने की भी मांग की।
तृणमूल कांग्रेस के उदयन गुहा द्वारा की गई टिप्पणी पर भाजपा सदस्यों ने आपत्ति जताई तो विधानसभा में कोहराम मच गया।
गुहा कूचबिहार जिले में दिनहाटा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सीमा सुरक्षा बल के जवान सीमावर्ती आबादी, विशेषकर महिलाओं पर ज्यादती कर रहे हैं। हालांकि, गुहा और मिहिर गोस्वामी के बीच तीखी नोकझोंक हुई, जिससे अध्यक्ष बिमान बनर्जी को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
न केवल तृणमूल कांग्रेस, बल्कि सभी गैर-भाजपा दलों ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने के कदम का विरोध किया है। वाम मोर्चा के अध्यक्ष विमान बोस ने सोमवार को मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में इस अधिसूचना को देश के संघीय ढांचे के खिलाफ बताया था और उनसे इसका विरोध करने का आग्रह किया था।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी अधिसूचना का विरोध किया है।