नई दिल्लीः बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने चुनाव आयोग से अपील की कि राज्य विधानसभा और आम चुनावों से छह महीने पहले मीडिया संगठनों द्वारा किए गए चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों पर प्रतिबंध लगाया जाए, ताकि मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष होकर कर सकें तथा इन प्रायोजित सर्वेक्षणों के भ्रामक अनुमानों से प्रभावित न हो सके.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, अगले साल होने जा रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से सिर्फ कुछ महीने पहले ही बसपा ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग से दिशानिर्देश जारी कर अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने का आह्वान किया है.
बसपा ने कहा कि वह सितंबर में एक समाचार संगठन द्वारा प्रसारित चुनाव पूर्व सर्वेक्षण से हैरान था. पार्टी का कहना है कि इस सर्वेक्षण ने सत्तारूढ़ पार्टी को मजबूत दिखाते हुए बसपा कार्यकर्ताओं का मनोबल कम करने का प्रयास किया.
रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वेक्षण में भाजपा को 40 फीसदी से अधिक वोट शेयर मिलता हुए बताया गया था.
बसपा ने पत्र में कहा, इस कथित सर्वे की मंशा उत्तर प्रदेश में मतदाताओं को गुमराह करने की थी.
पत्र में कहा गया, यह अनुमान यूपी के 15 करोड़ मतदाताओं के मुक़ाबले कुछ हज़ार लोगों के साक्षात्कार पर आधारित था और पूरी तरह से निराधार है.
पत्र में आगे कहा गया कि चैनल के लिए जिस एजेंसी ने सर्वे किया, वह पहले स्टिंग ऑपरेशन में पकड़ा गया था.
बसपा ने इस 11 पेज के पत्र में 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले विभिन्न राष्ट्रीय समाचार चैनलों द्वारा प्रसारित किए गए एग्जिट पोल और जनतम सर्वेक्षणों का हवाला दिया.
इन सर्वेक्षणों में कई ने अनुमान लगाया था कि भाजपा बंगाल में जीत दर्ज करेगी, लेकिन वास्तविक नतीजों ने सभी को चौंका दिया था.
बसपा ने कहा, अलग-अलग एजेंसियों ने चुनाव पूर्व सर्वेक्षण और एग्जिट पोल का बिल्कुल अलग-अलग अनुमान लगाया था, जिन्होंने उसी राज्य के मतदाताओं के सर्वेक्षण के आधार पर अपनी राय बनाई थी, लेकिन वास्तविक नतीजे बिल्कुल अलग थे.
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में इस बार सत्तारूढ़ भाजपा, समाजवादी पार्टी, बसपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसी अन्य पार्टियों के बीच टक्कर देखने को मिल सकती है.