अलीगढ़: भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई न होने तक पीड़ितों को न्याय नहीं मिल सकता.
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफा देने तक लखीमपुर खीरी हिंसा की निष्पक्ष जांच संभव नहीं थी.
टिकैत ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ जिले के टप्पल में एक निजी समारोह से इतर संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया, ‘केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा लखीमपुर खीरी मामले की जांच को प्रभावित कर रहे हैं. जिस तरह से इस मामले की जांच हो रही है उससे हम पूरी तरह असंतुष्ट हैं.’
लखीमपुर खीरी मामले के एक अन्य आरोपी अंकित दास की गिरफ्तारी और तीन अक्टूबर को हुई वारदात में उसकी संलिप्तता की जांच के संबंध में सवाल करने पर टिकैत ने कहा, ‘अभी और झूठे गवाह पेश किए जाएंगे. क्षेत्र में अजय मिश्रा के प्रभाव की वजह से यह भी हो सकता है कि कोई व्यक्ति सारा इल्जाम अपने सिर ले ले.’
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया यह समझती है कि गृह राज्य मंत्री पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (साजिश रचने) के तहत मामला दर्ज हो चुका है. जब तक उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त नहीं किया जाता, तब तक न्याय नहीं हो सकता. केंद्रीय मंत्री की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी नहीं होने तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा.
टिकैत ने कहा कि अजय मिश्रा की बर्खास्तगी और उनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर किसान संगठनों ने दशहरा के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पुतले फूंकने का ऐलान किया है.
इसके अलावा भारतीय किसान यूनियन अपनी मांगों के समर्थन में 18 अक्टूबर को छह घंटे तक ‘रेल रोको’ प्रदर्शन करेगी. उसके बाद 26 अक्टूबर को लखनऊ में विशाल किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा.
टिकैत ने आरोप लगाया कि लखीमपुर खीरी कांड में गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपी और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की ‘रेड कारपेट गिरफ्तारी’ की गई है और गुलदस्ते पेश कर उनके साथ किसी वीआईपी की तरह बर्ताव किया जा रहा है. इससे किसानों की नाराजगी और बढ़ गई है.
उन्होंने कटाक्ष किया, ‘गुलदस्ते वाली पूछताछ से कोई फायदा नहीं होगा.’
इस बीच उत्तर प्रदेश पुलिस बीते गुरुवार को क्राइम सीन को रिक्रिएट करने के लिए हिंसा के आरोपियों आशीष मिश्रा और अंकित दास को उस स्थान पर ले आई, जहां तीन अक्टूबर की हिंसा हुई थी. पत्रकारों द्वारा फिल्माए गए दृश्यों में एक पुलिस जीप को तेज गति से चलाते हुए और सड़क पर रखे डमी को कुचलते हुए दिखाया गया.
आशीष को बीते नौ अक्टूबर को करीब 12 घंटे तक चली पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया था और वह 12 अक्टूबर से तीन दिन की पुलिस हिरासत में है.
अब तक लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों की कुल संख्या छह हो गई है- आशीष मिश्रा, लवकुश, आशीष पांडे, शेखर भारती, अंकित दास और लतीफ उर्फ काले.
गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया क्षेत्र में किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, तभी एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कथित तौर पर कुचल दिया, जिससे उनकी मौत हो गई थी.
लखीमपुर खीरी के सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के विरोध में वहां के आंदोलित किसानों ने उनके (टेनी) पैतृक गांव बनबीरपुर में आयोजित एक समारोह में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का विरोध किया था.
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में करीब दस महीने से आंदोलन कर रहे किसानों की नाराजगी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के उस बयान के बाद और बढ़ गई थी, जिसमें उन्होंने किसानों को ‘दो मिनट में सुधार देने की चेतावनी’ और ‘लखीमपुर खीरी छोड़ने’ की चेतावनी दी थी.
हिंसा के दौरान चार किसानों समेत कुल आठ किसानों की मौत हुई थी.
गाड़ी से कुचल जाने से मृत किसानों की पहचान- गुरविंदर सिंह (22 वर्ष), दलजीत सिंह (35 वर्ष), नक्षत्र सिंह और लवप्रीत सिंह (दोनों की उम्र का उल्लेख नहींं) के रूप में की गई है.
बीते तीन अक्टूबर को भड़की हिंसा में भाजपा के दो कार्यकर्ता- शुभम मिश्रा और श्याम सुंदर निषाद, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के ड्राइवर हरिओम मिश्रा और एक निजी टीवी चैनल के लिए काम करने वाले पत्रकार रमन कश्यप की भी मौत हो गई थी.
किसानों का आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा ने किसानों को अपनी गाड़ी से कुचला. हालांकि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने इस बात से से इनकार किया है.
इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा तथा अन्य के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था.