नई दिल्लीः कर्नाटक के पूर्व मंत्री और कागवाड़ से विधायक श्रीमंत पाटिल का कहना है कि उन्हें 2019 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के लिए पैसों की पेशकश की गई थी.
पाटिल उन 16 विधायकों मे शामिल थे, जो 2019 में कांग्रेस पार्टी से भाजपा में शामिल हो गए थे, जिसके बाद राज्य की एचडी कुमारस्वामी की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार गिर गई थी.
पाटिल ने कहा, ‘उन्होंने मुझसे पूछा कि मुझे कितने पैसे चाहिए, लेकिन मैंने पैसे लेने से इनकार कर दिया. मैंने उनसे सरकार गठन के बाद अच्छा पद देने को कहा. मैं बिना पैसे लिए भाजपा में शामिल हुआ था. जब भी कैबिनेट का विस्तार होगा, उन्होंने मेरे नाम पर विचार करने का वादा किया है.’
पाटिल ने शनिवार को बेलागावी के कागवाड़ तालुका के आईनापुर में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘यह पेशकश ‘ऑपरेशन लोटस’ के दौरान की गई थी, जब अन्य पार्टियों के विधायक भाजपा में शामिल हुए थे, जिसके बाद बीएस येदियुरप्पा सरकार सत्ता में आई थी.’
2018 के विधानसभा चुनाव में पाटिल कांग्रेस की टिकट पर जीते थे, लेकिन भाजपा में शामिल होने के लिए उपचुनाव लड़ा था. उपचुनाव में दोबारा जीतने पर उन्हें येदियुरप्पा सरकार में मंत्री बनाया गया था.
हालांकि, मौजूदा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के सत्ता संभालने के बाद उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं दी गई.
बता दें कि भाजपा लंबे समय से कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को खरीदने के आरोपों से इनकार करती रही है. ऐसे में पाटिल के बयान से भाजपा को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है, विशेष रूप से जब सोमवार से राज्य विधानसभा सत्र शुरू हो रहा है.