पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार को आदेश दिया है कि वह राज्य में रह रहे घुसपैठियों की पहचान करे और जो लोग पकड़े जाएं उन्हें उनके देश भेजने तक डिटेंशन सेंटर (जहां उन विदेशियों को रखा जाता है, जिनके पास वैध कागजात नहीं होते हैं) में रखे। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं न्यायाधीश एस. कुमार की खंडपीठ ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि विदेशियों को पकड़ कर उनके अपने देश में भेजने की प्रणाली तैयार कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करे। न्यायालय ने यह आदेश मरियम खातून बनाम बिहार सरकार एवं अन्य के मामले में दिया है।
यह सारा मामला गत दिनों पटना रेलवे स्टेशन पर पकड़ी गई तीन महिलाओं से प्रारंभ हुआ। मरियम खातून उर्फ मरियम परवीन तथा मौसमी खातून को वैध कागजात न रहने के कारण पकड़ा गया था। ये दोनों महिलाएं बांग्लादेशी हैं। इनके साथ एक और महिला है। इन तीनों के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। इस कारण पटना उच्च न्यायालय ने इन्हें ‘आफ्टर केयर होम’ में रखने का निर्देश दिया एवं तीन वकीलोें की एक टीम गठित की। इस टीम को यह निर्देश दिया गया कि वे इन महिलाओं के साथ बातचीत कर अपनी गोपनीय रिपोर्ट न्यायालय को प्रस्तुत करें।
न्यायालय के इस आदेश के बाद राज्य के वे राजनीतिक दल बेनकाब हो गए हैं, जो आज तक कहते रहे हैं कि बिहार में कोई घुसपैठिया नहीं रहता है। इसमें सत्तारूढ़ जदयू भी है। बता दें कि भाजपा को छोड़कर हर राजनीतिक दल बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को अपना वोट बैंक मानता है और इस कारण सब कुछ जानते हुए भी कोई भी सेकुलर नेता यह नहीं कहता है कि बिहार में कोई घुसपैठिया रह रहा है। अररिया के बाहुबली पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री तस्लीमुद्दीन तो कहते थे कि बिहार में कोई अवैध बांग्लादेशी नहीं है। वहीं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गुलाम सरवर भी कहा करते थे कि बंगाल के मुसलमानों को बांग्लादेशी घुसपैठिया कह कर बदनाम किया जा रहा है। यानी इन लोगों ने कभी यह नहीं माना कि बिहार में कोई बांग्लादेशी घुसपैठिया रह रहा है। जबकि सचाई यह है कि आज इन घुसपैठियों के कारण किशनगंज, पूर्णिया, अररिया, कटिहार जैसे जिलों में भारी जनसांख्यिक परिवर्तन हुआ है। कई जगह तो भारतीयों की जनसंख्या कम और बांग्लादेशी मुसलमानों की जनसंख्या अधिक हो गई है। कुछ दिन पहले तो कटिहार में कुछ अफगानी भी पकड़े गए थे। ये लोग बरसों से यहां रह रहे थे। आपसी झगड़े के कारण उनकी असलियत बाहर आई थी और पुलिस के हत्थे चढ़ गए थे। इन लोगों ने आधार कार्ड भी बनवा लिया था।