नई दिल्ली: कॉमनवेल्थ गेम्स, 2जी स्पेक्ट्रम, एयरसेल-मैक्सिस डील, कोयला घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील जैसे बेहद हाई-प्रोफाइल मामलों को संभालने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वरिष्ठ अधिकारी राजेश्वर सिंह के भाजपा में शामिल होने की खबरें आ रही हैं.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट, के मुताबिक सिंह एक हफ्ते के भीतर भाजपा में शामिल हो सकते हैं. इस समय वे ईडी के लखनऊ ऑफिस में तैनात हैं. माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश चुनावों के मद्देनजर भाजपा उन्हें पार्टी में ले सकती है.
वैसे अपने आप में ये एक बेहद चौंकाने वाला कदम होगा क्योंकि साल 2018 में भाजपा सरकार ने ही राजेश्वर सिंह के खिलाफ जांच शुरू की थी और उन्हें एक लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया था.
साल 2009 में डेपुटेशन पर ईडी में भेजे गए यूपी कैडर के प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) अधिकारी राजेश्वर सिंह का कार्यकाल काफी उठापटक वाला रहा है, जहां राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों को संभालने के साथ-साथ कई विवादों से भी उनका नाता रहा है.
सिंह को उत्तर प्रदेश पुलिस में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माना जाता था. उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम तथा उनके बेटे कार्ति चिदंबरम से जुड़े एयरसेल-मैक्सिस सौदे जैसे कई बड़े मामलों की जांच की है.
इस मामले में साल 2016 में एयरसेल में निवेश के लिए ग्लोबल कम्युनिकेशन होल्डिंग सर्विसेस लिमिटेड नाम की फर्म को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड द्वारा मंजूरी देने को लेकर विवाद था. चिदंबरम इस अवधि के दौरान वित्त मंत्री थे और उनके बेटे कार्ति पर ये सौदा करने के लिए धन प्राप्त करने का आरोप लगाया गया था.
2जी स्पेक्ट्रम मामले में ईडी और सीबीआई ने मिलकर जांच की थी, लेकिन साल 2017 में ट्रायल कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था.
साल 2010 से 2018 के बीच राजेश्वर सिंह कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला और यूपीए सरकार को झकझोरने वाले कोयला घोटाले को भी संभाला था.
इसके साथ ही वह उन भ्रष्टाचार के मामलों की जांच का भी हिस्सा थे, जिसके कारण मुख्यमंत्रियों ओपी चौटाला, मधु कोड़ा और जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ कार्रवाई हुई थी.
हाई-प्रोफाइल मामले संभालने के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर दावा किया गया था कि सिंह ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है. इसके जवाब में सिंह ने रजनीश कपूर नामक याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक अवमानना याचिका दायर किया और कहा कि उन्होंने जांच में बाधा पहुंचाने के लिए पीआईएल दायर की थी.
सिंह ने अपनी याचिका में कहा था कि उनकी जांच ने ‘बहुत सारे व्यक्तियों, कॉरपोरेट, पैरवी करने वालों, भ्रष्ट और बेईमान लोगों को परेशान किया है, इसलिए उनके खिलाफ झूठी, तुच्छ और प्रेरित शिकायतें दर्ज की जा रही हैं.’
वैसे तो सुप्रीम कोर्ट ने साल 2014 में राजेश्वर सिंह के खिलाफ याचिका खारिज कर दी थी और उन्हें सुरक्षित करते हुए ईडी में स्थायी उप निदेशक बनाने का निर्देश दिया था, लेकिन 27 जून 2018 में न्यायालय ने ईडी अधिकारी के खिलाफ जांच के लिए सरकार को हरी झंडी दे दी थी, जिसके बाद राजस्व विभाग ने आय से अधिक संपत्ति मामले में जांच शुरू की थी.
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने अनिल गलगली नामक एक कार्यकर्ता द्वारा 10 अप्रैल 2018 को भेजे गए एक शिकायत के आधार पर जांच का निर्देश दिया था, जिसमें राजेश्वर सिंह और गुजरात के सूरत में आयकर विभाग में कार्यरत उनके भाई रामेश्वर सिंह द्वारा आय से अधिक संपत्ति, भ्रष्टाचार और बेनामी संपत्ति अर्जित करने के आरोप लगाए गए थे.