भारत के बारे में आधिकारिक तौर पर ये जानकारी नहीं है कि सरकार ने एनएसओ से ‘पेगासस’ को खरीदा है या नहीं.
एनएसओ ने पहले ख़ुद पर लगे सभी आरोपों को ख़ारिज किए हैं. ये कंपनी दावा करती रही है कि वो इस प्रोग्राम को केवल मान्यता प्राप्त सरकारी एजेंसियों को बेचती है और इसका उद्देश्य “आतंकवाद और अपराध के खिलाफ लड़ना” है. हालिया आरोपों को लेकर भी एनएसओ ने ऐसे ही दावे किए हैं.लेकिन एनएसओ यह खुलासा नहीं कर रही है की क्या उसने भारत सरकार को यह सॉफ्टवेयर बेचा है या नहीं ?
सरकारों का उद्देश्य इसे ख़रीदने के लिए उनका मक़सद सुरक्षा और आतंकवाद पर रोक लगाना है लेकिन कई सरकारों पर पेगासस के ‘मनचाहे इस्तेमाल और दुरुपयोग के गंभीर’ आरोप लगे हैं.पेगासस एक स्पाइवेयर है जिसे इसराइली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ग्रुप टेक्नॉलॉजीज़ ने बनाया है. ये एक ऐसा प्रोग्राम है जिसे अगर किसी स्मार्टफ़ोन फ़ोन में डाल दिया जाए, तो कोई हैकर उस स्मार्टफोन के माइक्रोफ़ोन, कैमरा, ऑडियो और टेक्सट मेसेज, ईमेल और लोकेशन तक की जानकारी हासिल कर सकता है.
साइबर सुरक्षा कंपनी कैस्परस्काई की एक रिपोर्ट के अनुसार, पेगासस आपको एन्क्रिप्टेड ऑडियो सुनने और एन्क्रिप्टेड संदेशों को पढ़ने लायक बना देता है.
एन्क्रिप्टेड ऐसे संदेश होते हैं जिसकी जानकारी सिर्फ मेसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले को होती है. जिस कंपनी के प्लेटफ़ॉर्म पर मेसेज भेजा जा रहा, वो भी उसे देख या सुन नहीं सकती.
पेगासस के इस्तेमाल से हैक करने वाले को उस व्यक्ति के फ़ोन से जुड़ी सारी जानकारियां मिल सकती हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक पेगासस से जुड़ी जानकारी पहली बार साल 2016 में संयुक्त अरब अमीरात के मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद मंसूर की बदौलत मिली.
उन्हें कई एसएमएस प्राप्त हुए थे, जो उनके मुताबिक संदिग्ध थे. उनका मानना था कि उनमें लिंक गलत मकसद भेजे गए थे. उन्होंने अपने फोन को टोरंटो विश्वविद्यालय के ‘सिटीजन लैब’ के जानकारों को दिखाया. उन्होंने एक अन्य साइबर सुरक्षा फर्म ‘लुकआउट’ से मदद ली.
मंसूर का अंदाज़ा सही था. अगर उन्होंने लिंक पर क्लिक किया होता, तो उनका आइफ़ोन मैलवेयर से संक्रमित हो जाता. इस मैलवेयर को पेगासस का नाम दिया गया. लुकआउट के शोधकर्ताओं ने इसे किसी “एंडपॉइंड पर किया गया सबसे जटिल हमला बताया.”
गौर करने वाली बात ये है कि आमतौर पर सुरक्षित माने जाने वाले एप्पल फ़ोन की सुरक्षा को ये प्रोग्राम भेदने में कामयाब हुआ. हालांकि एप्पल इससे निपटने के लिए अपडेट लेकर आया था.
इसके बाद साल 2017 में न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक मेक्सिको की सरकार पर पेगासस की मदद से मोबाइल की जासूसी करने वाला उपकरण बनाने का आरोप लगा.
रिपोर्ट के मुताबिक इसका इस्तेमाल मेक्सिको में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और भ्रष्टाचाररोधी कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ किया जा रहा था.
मैक्सिको के जानेमाने पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी सरकार पर मोबाइल फोन से जासूसी करने का आरोप लगाते हुए इसके ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराया है.
मई 2020 में आई एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि एनएसओ ग्रुप ने यूज़र्स के फ़ोन में हैकिंग सॉफ्टवेयर डालने के लिए फ़ेसबुक की तरह दिखने वाली वेबसाइट का प्रयोग किया.
समाचार वेबसाइट मदरबोर्ड की एक जांच में दावा किया गया है कि एनएसओ ने पेगासस हैकिंग टूल को फैलाने के लिए एक फेसबुक के मिलता जुलता डोमेन बनाया.
वेबसाइट ने दावा किया कि इस काम के लिए अमेरिका में मौजूद सर्वरों का इस्तेमाल किया गया. बाद में फ़ेसबुक ने बताया कि उन्होंने इस डोमेन पर अधिकार हासिल किया ताकि इस स्पाइवेयर को फैसले से रोका जा सके.
हालांकि एनएसओ ने आरोपों से इनकार करते हुए उन्हें “मनगढ़ंत” करार दिया था.
इसराइली फर्म इससे पहले से ही फेसबुक के साथ कानूनी लड़ाई में उलझा हुआ है. 2019 में फेसबुक ने आरोप लगाया था कि एनएसओ ने जानबूझकर व्हाट्सएप पर अपने सॉफ्टवेयर को फैलाया ताकि लोगों के फ़ोन की सिक्युरिटी से समझौता किया जाए.
फ़ेसबुक के मुताबिक जिनके फ़ोन हैक हुए उनमें पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल थे.
कंपनी पर सऊदी सरकार को सॉफ्टवेयर देने का भी आरोप है, जिसका कथित तौर पर पत्रकार जमाल खशोग्जी की हत्या से पहले जासूसी करने के लिए इस्तेमाल किया गया था.
दिसंबर 2020 में साइबर सुरक्षा से जुड़े शोधकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कंपनी के बनाए गए स्पाइवेयर से अल जज़ीरा के दर्जनों पत्रकारों का फ़ोन कथित तौर पर हैक कर लिया गया था.
टोरंटो विश्वविद्यालय के सिटीज़न लैब की एक रिपोर्ट में टीवी एंकरों और अधिकारियों सहित 36 सदस्यों के कथित तौर पर हैकिंग का शिकार होने की बात कही गई थी.
एनएसओ कंपनी हमेशा से दावा करती रही है कि ये प्रोग्राम वो केवल मान्यता प्राप्त सरकारी एजेंसियों को बेचती है और इसका उद्देश्य “आतंकवाद और अपराध के खिलाफ लड़ना” है.
कंपनी ने कैलिफ़ोर्निया की अदालत कहा था कि वह कभी भी अपने स्पाइवेयर का उपयोग नहीं करती है – केवल संप्रभु सरकारें करती हैं.
पिछले साल कंपनी ने ऐसे सॉफ़्टवेयर के निर्माण का दावा किया था जो कोरोनावायरस के फैलने की निगरानी और इससे जुड़ी भविष्यवाणी करने में मदद कर सकता है. इसके लिए मोबाइल फ़ोन डेटा का उपयोग करता है.
एनएसओ के मुताबिक वो दुनिया भर की सरकारों के साथ बातचीत कर रहा था और दावा किया था कि कुछ देश इसका परीक्षण भी कर रहे हैं.
पेगासस स्पाईवेयर को लेकर भारत में ही नहीं बल्कि मेक्सिको से लेकर सऊदी अरब, फ्रांस तक बवाल मच चुका है. यहां तक फेसबुक जैसी सॉफ्टवेयर कंपनी तक ने इस कंपनी के खिलाफ मुकदमा किया हुआ है. पेगासस बनाने वाली कंपनी का दावा है कि यह सॉफ्टवेयर केवल सरकारी एजेंसियों को ही देती है, लेकिन भारत के बारे में आधिकारिक तौर पर ये जानकारी नहीं है कि सरकार ने एनएसओ से ‘पेगासस’ को खरीदा है या नहीं.
पेगासस किसी के भी मोबाइल में उसकी मर्जी के बगैर उसे हैक कर लेता है. उसका मोबाइल कैमरा को भी हैक कर लेता है. उस सेलफोन के माइक्रोफोन को हैक कर लेता है. उसके सारे पासवर्ड, कॉन्टैक्ट लिस्ट को हैक कर लेता है. जो बात आप मोबाइल पर करते हैं या मोबाइल बंद भी हो, सभी जानकारियां जो कैमरा या माइक्रो फोन के माध्यम से सुनी जा सकती है, जो कि गैरकानूनी है. आपके मोबाइल को इस पेगासस सॉफ्टवेयर के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है.पेगासस जासूसी कांड मामले में कांग्रेस के सीनियर लीडर एवं मध्यप्रदेश के पूर्व प्रभारी मोहन प्रकाश का बड़ा बयान सामने आया है. मोहन प्रकाश ने कहा कि कोई शक नहीं कि जैसे मोबाइल को हैक किया गया, वैसे ही ईवीएम (EVM) की भी हैक किया गया हो.
मोहन प्रकाश ने केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि ईवीएम (EVM) में भी पेगासस का उपयोग किया गया होगा. मामले में चुनाव आयोग को भी संज्ञान लेना चाहिए. उन्होंने मांग की है कि अगला चुनाव मत पत्र के आधार पर हो, क्योंकि अब कोई भी संस्था नहीं बची है जिसे मोदी सरकार ने तहस-नहस न किया हो.
मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार गिराने में पेगासस का इस्तेमाल होने का अंदेशा जताया था. उन्होंने कहा कि कर्नाटक में सरकार गिराने में पेगासस का इस्तेमाल हुआ. संभावना है मध्य प्रदेश सरकार गिराने में भी उसका इसका हुआ हो. बंगलुरू से कांग्रेस विधायक होटल से कर्मचारियों से बात करते थे. विधायक कहते थे कि उनके फोन टेप हो रहे हैं.
अनिल कुमार सिंह