भोपाल: सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ताओं ने जब मध्य प्रदेश के ग्वालियर स्थित गजरा राजा मेडिकल कॉलेज (जीआरएमसी) से यह जानना चाहा कि कॉलेज में प्रवेश को लेकर दाखिल किए गए उनके आरटीआई आवेदनों का कई साल बीत जाने के बाद भी कोई जवाब क्यों नहीं दिया जा रहा है तब उन्हें बताया गया कि रिकॉर्ड रूम के भूतहा होने के कारण दस्तावेज नहीं दिया जा सकता है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, आरटीआई कार्यकर्ता इस संदेह के आधार पर एमबीबीएस प्रवेश में कथित विसंगतियों की जांच चाहते हैं कि बाहरी लोगों ने धोखाधड़ी करके स्थानीय निवासियों के कोटे में प्रवेश हासिल कर लिया है.
पिछले तीन साल से दस्तावेज हासिल करने की कोशिश कर रहे हेल्थ एक्टिविस्ट पंकज जैन ने कहा, ‘पहले उन्होंने कहा कि दस्तावेज सीबीआई ने जब्त कर लिए हैं, फिर उन्होंने कहा कि उसे संभालने वाले क्लर्क को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया. अब वे कह रहे हैं कि जहां दस्तावेज रखे थे उस कमरे में क्लर्क ने आत्महत्या कर ली और अब वह उसके भूत से भूतहा हो गया इसलिए वे ताला खोलने से डर रहे हैं.’
जीआरएमसी के डीन डॉ. समीर गुप्ता ने कहा, ‘मामला मेरे संज्ञान में नहीं है. मैं मामले का पता करूंगा.’
एक्टिविस्ट पंकज जैन ने जीआरएमसी से ही दिल्ली स्थित एक आरटीआई कार्यकर्ता की दस्तावेज हासिल करने की कोशिश के बारे में भी बताया.
जैन ने कहा, ‘उन्होंने सितंबर, 2018 में आरटीआई के माध्यम से 1994 एमबीबीएस बैच के लिए प्रवेश रिकॉर्ड मांगा. मेडिकल कॉलेज ने यह कहते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया कि उन्हें 1994 के एमबीबीएस बैच का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है. यह हमारे संज्ञान में आया है कि जीआरएमसी ने छात्रों के कई बैचों के सभी रिकॉर्ड खो दिए हैं.’
जैन ने कहा, ‘उन्होंने राज्य सूचना आयोग से संपर्क किया, जिसने चार सुनवाई की, लेकिन जीआरएमसी ने अभी तक हाईकोर्ट के समक्ष ऐसा करने के लिए सहमत होने के बावजूद जानकारी नहीं दी है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘आयोग ने बिना कोई कार्रवाई किए जनवरी 2021 में शिकायत का निस्तारण कर दिया.’
आरटीआई अधिनियम और सार्वजनिक रिकॉर्ड अधिनियम महत्वपूर्ण अभिलेखों के संरक्षण को अनिवार्य करता है.