देहरादून- कुंभ मेले के दौरान कथित फर्जी कोविड जांचों को लेकर विपक्ष के निशाने पर आई राज्य सरकार ने गुरुवार को आरोपी कंपनी मैक्स कॉरपोरेट सर्विस तथा दो निजी प्रयोगशालाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है.
प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि हरिद्वार कोतवाली में हरिद्वार के मुख्य चिकित्साधिकारी शंभु कुमार झा की तरफ से मैक्स कॉरपोरेट सर्विस और दो निजी लैब- नलवा लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड, हिसार तथा डॉ. लालचंदानी लैब, मध्य दिल्ली के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है.
आरोपी कंपनी और दोनों लैब पर महामारी अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम तथा भारतीय दंड विधान की धारा 120 बी तथा 420 सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है.
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कुंभ के दौरान कोविड के प्रसार को नियंत्रित रखने के लिए राज्य सरकार को प्रतिदिन 50,000 नमूनों की जांच कराने का निर्देश दिया था. इसके लिए जिला स्वास्थ्य विभाग ने मैक्स कॉरपोरेट सर्विस को ठेका दिया जिसने कुछ निजी लैबों को इसका जिम्मा सौंपा और आरोप हैं कि इन्होंने फर्जी निगेटिव कोविड जांच रिपोर्ट जारी कीं.
यह मामला तब सामने आया जब एक व्यक्ति ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को शिकायत की कि उसके मोबाइल पर कुंभ में उसकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आने संबंधी एक संदेश प्राप्त हुआ जबकि उसने जांच के लिए अपना नमूना दिया ही नहीं था.
सूत्रों के अनुसार, कुंभ के दौरान उन्हें एक एसएमएस आया, जिसमें कहा गया कि कोविड-19 टेस्ट के लिए आपका सैंपल ले लिया गया है. हालांकि न ही उनका सैंपल लिया गया था न ही कोई टेस्ट हुआ था.
इसके बाद शख्स ने ईमेल के जरिये आईसीएमआर को इसकी सूचना दी और आरोप लगाया कि फर्जी टेस्ट के लिए उनके मोबाइल नंबर और आधार कार्ड का दुरुपयोग किया गया है.
शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि उन्हें एक मैसेज आया था कि कोविड जांच के लिए उचित पहचान पत्र जानकारी के साथ उनका सैंपल ले लिया गया है. हालांकि उन्होंने कोई सैंपल नहीं दिया था. आईसीएमआर इसका हवाला देते हुए जांच करने को कहा था.’
आईसीएमआर से यह शिकायत मिलने के बाद उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार के जिलाधिकारी से मामले की जांच करने को कहा और तीन सदस्यीय संयुक्त जांच समिति गठित की गयी.
समिति की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि आरोपी निजी जांच प्रयोगशालाओं ने फर्जीवाड़ा करते हुए एक ही पते और एक ही फोन नंबर पर कई व्यक्तियों के नमूने दर्ज किए तथा बिना जांच करे ही निगेटिव कोविड रिपोर्ट जारी कर दी.
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कुंभ के दौरान कोविड के प्रसार को नियंत्रित रखने के लिए राज्य सरकार को 50,000 कोविड जांच प्रतिदिन कराने को कहा था. बताया गया है कि ये लैब इतनी जांचें कर पाने में समर्थ नहीं हुए.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार कुंभ के दौरान हुए करीब दो लाख टेस्ट में लगभग 2,600 श्रद्धालु पॉजिटिव पाए गए थे.
ख़बरों के अनुसार, इस कथित फर्जीवाड़े की सही सीमा का अभी पता यहीं है. इस धार्मिक आयोजन के दौरान हुए लगभग 4,00,000 टेस्ट जाली पाए गए हैं.
बता दें कि इस साल कोरोना संक्रमण के बीच केंद्र और राज्य सरकार की रजामंदी के साथ हरिद्वार में एक से 30 अप्रैल तक कुंभ का आयोजन किया गया था, जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटे थे.
इसी समय देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप चल रहा था, जिसके मद्देनजर इस आयोजन को लेकर सरकारों की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना हुई थी.
बढ़ती आलोचना के बीच 17 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले में यू-टर्न लेते हुए संतों से गुजारिश की थी कि कुंभ को ‘प्रतीकात्मक’ रखा जाए.
इस बीच कुंभ के दौरान कोरोना जांच रिपोर्टों में हुए कथित भ्रष्टाचार को ‘मानवता के प्रति अपराध’ बताते हुए उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने बुधवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से इस मामले की अविलंब सक्षम एजेंसी से जांच करवाने की मांग की.
इसी बीच, प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने भी इस प्रकरण की जांच उच्च न्यायालय के सेवारत न्यायाधीश से कराए जाने या राज्य सरकार से इस्तीफा देने की मांग की है.
प्रकरण उजागर होने के बाद प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि कुंभ के दौरान निजी जांच प्रयोगशालाओं ने कम से कम कोविड की एक लाख फर्जी रिपोर्ट जारी कीं.
मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में उपाध्याय ने कहा कि कुंभ मेले में कोरोना की फर्जी जांच रिपोर्ट जारी करने से संबंधित वर्तमान प्रकरण अत्यंत गंभीर है और लोगों की जिंदगी से जुड़ा हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘कुंभ मेले के बाद जिस तरह कोरोना का क़हर बरपा, वह कल्पनातीत है. उत्तराखंड का कोई घर नहीं है, जहां इसका दुष्प्रभाव न पड़ा हो. घर के घर तबाह हो गये. 25-40 आयु वर्ग की जवान मौतें हुईं हैं. कौन इन सबकी ज़िम्मेदारी लेगा?’
उपाध्याय ने आरोप लगाया कि कुंभ मेले में इस तरह के भ्रष्टाचार के कारण ही प्रदेश पर कोरोना का यह प्रलय काल आया है. उन्होंने कहा कि हाल में वह हरिद्वार गए थे जहां हर व्यक्ति की ज़ुबान पर कुंभ मेले में कथित भ्रष्टाचार के किस्से थे.
उपाध्याय ने दावा किया कि अखाड़ों और संतों ने खुले रूप से आरोप लगाये कि कुछ छद्म संतों की हथेलियां गरम कर सरकार के पक्ष में बयान दिलवाये गए.
कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा धर्म व भगवान राम के नाम पर सत्तासीन हुई है और कुंभ में भ्रष्टाचार का ‘कलंक’ राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भाजपा की छवि को मटियामेट कर देगा.
उन्होंने पत्र में कहा, ‘आपकी अब तक की छवि निष्ठावान, सज्जन, सीधे और ईमानदार राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता की रही है. कुंभ के घोटालों पर पर्दा डालकर आपको अपने दामन को दागदार नहीं बनाना चाहिए.’
उपाध्याय ने मुख्यमंत्री से इस प्रकरण की जांच सक्षम एजेंसी से करवाने के लिए तुरंत आदेश देने की मांग की.
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष धस्माना ने आरोप लगाया, ‘हरिद्वार में उजागर कोविड जांच रिपोर्ट घोटाला शर्मनाक है. वह सनातनी हिंदू धर्म के लोगों के साथ अब तक का सबसे बड़ा विश्वासघात है.’
उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच उच्च न्यायालय के सेवारत न्यायाधीश को सौंपी जानी चाहिए अन्यथा राज्य सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए.
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कुंभ के दौरान कोविड के प्रसार को नियंत्रित रखने के लिए राज्य सरकार को 50,000 कोविड जांच प्रतिदिन कराने को कहा था, जिसके लिए जिला स्वास्थ्य विभाग ने 22 प्रयोगशालाओं को इसका जिम्मा सौंपा. आरोप है कि इस दौरान फर्जी कोविड जांच रिपोर्ट जारी कर भारी भ्रष्टाचार किया गया.
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि इन निजी जांच प्रयोगशालाओं ने कम से कम एक लाख इस प्रकार की फर्जी रिपोर्टें जारी कीं.
मामले के संज्ञान में आने के बाद राज्य सरकार ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को जांच करके 15 दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था.