पूना-वैसे तो देश में कोरोना धीरे-धीरे सुस्त पड़ गया है। खासकर महाराष्ट्र में तो बिल्कुल परास्त हो चुका है लेकिन बीच-बीच में इसके बदलते स्वरूप लोगों में भय पैदा कर दे रहे हैं। हाल ही में पुर्तगाल में एक नया वैरिएंट आने से वहां के लोग परेशान हो गए हैं। हिंदुस्थान में भी अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा के बाद एक और नए कोरोना वैरिएंट का खुलासा हुआ है। यह वैरिएंट इतना खतरनाक है कि सात दिन में ही मरीज का वजन कम कर सकता है। वायरस का यह वैरिएंट ब्राजील में सबसे पहले मिला था। वहां से एक ही वैरिएंट के हिंदुस्थान में आने की पुष्टि की गई थी, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि ब्राजील से एक नहीं बल्कि दो वैरिएंट हिंदुस्थान में आए हैं और ये दूसरा वैरिएंट बी.१.१.२८.२ काफी तेज है, जो एंटीबॉडी का स्तर भी कम करता है।
पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआईवी) की डॉ. प्रज्ञा यादव ने बताया कि बी.१.१.२८.२ वैरिएंट बाहर से आए दो लोगों में मिला था। उनकी जीनोम सिक्वेंसिंग करने के बाद परीक्षण भी किया, ताकि उसके असर के बारे में हमें पता चल सके। अभी तक हिंदुस्थान में इसके बहुत अधिक मामले नहीं है, जबकि डेल्टा वैरिएंट सबसे ज्यादा मिल रहा है। हालांकि सतर्वâता बेहद जरूरी है, क्योंकि यह एंटीबॉडी का स्तर भी कम करता है। इसके चलते दोबारा से संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है।
जीनोम सिक्वेसिंग से पता चला
उन्होंने बताया कि इस वायरस के स्पाइक प्रोटीन में ई४८४के नामक अमीनो एसिड बदलाव मिला है लेकिन इसमें एन५०१वाई और के४१७एन नामक परिवर्तन नहीं हैं। चूंकि सरकार ने विदेश यात्रा से लौटे सभी यात्रियों के सैंपल की जीनोम सिक्वेसिंग को अनिवार्य किया है, इसीलिए हमें नए वैरिएंट के बारे में पता भी चल गया।
रिकवर होने तक नहीं दिखे थे लक्षण
डॉ. प्रज्ञा ने बताया कि विदेश यात्रा से लौटे ६९ और २६ वर्षीय दो लोगों के सैंपल की सिक्वेसिंग की गई थी। रिकवर होने तक इन दोनों मरीजों में लक्षण नहीं था लेकिन इनके सैंपल की सीक्वेसिंग के बाद जब बी.१.१.२८.२ वैरिएंट का पता चला तो उसका नौ सीरियाई हैमस्टर पर सात दिन के लिए परीक्षण किया। इनमें से तीन की मौत शरीर के अंदरुनी भाग में संक्रमण बढ़ने से हुई। इस दौरान पेâफड़े की विकृति के बारे में भी पता चला और साथ ही एंटीबॉडी का स्तर कम होने के बारे में भी जानकारी मिली है।
गंभीर हो सकता है असर
डॉ. प्रज्ञा ने कहा कि जिन दो लोगों में यह वैरिएंट मिला, वे बिना लक्षण वाले थे लेकिन जब इस वैरिएंट से सीरियाई हैमस्टर को संक्रमित किया तो गंभीरता के बारे में पता चला। वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना वायरस के ज्यादातर परीक्षण सीरियाई हैमस्टर पर हो रहे हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर बी.१.१.२८.२ से जुड़े मामले बढ़ते हैं तो इसका असर इंसानों पर काफी गंभीर हो सकता है।