देहरादून: प्रसिद्ध पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन नेता सुंदरलाल बहुगुणा का शुक्रवार को ऋषिकेश स्थित एम्स में कोविड-19 संक्रमण से निधन हो गया.
वह 94 वर्ष के थे. उनके परिवार में पत्नी विमला, दो पुत्र और एक पुत्री हैं.
एम्स प्रशासन ने बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद आठ मई को बहुगुणा को एम्स में भर्ती कराया गया था. ऑक्सीजन स्तर कम होने के कारण उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी. डॉक्टरों की पूरी कोशिश के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका.
एम्स के निदेशक रविकांत ने बताया कि शुक्रवार को दिन में 12:05 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली.
नौ जनवरी 1927 को उत्तराखंड के टिहरी जिले में जन्मे बहुगुणा को चिपको आंदोलन का प्रणेता माना जाता है. उन्होंने 70 के दशक में गौरा देवी तथा कई अन्य लोगों के साथ मिलकर जंगल बचाने के लिए चिपको आंदोलन की शुरुआत की थी.
पद्मविभूषण तथा कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित बहुगुणा ने टिहरी बांध निर्माण का भी बढ़-चढ़ कर विरोध किया और 84 दिन लंबा अनशन भी रखा था. एक बार उन्होंने विरोध स्वरूप अपना सिर भी मुंडवा लिया था.
टिहरी बांध के निर्माण के आखिरी चरण तक उनका विरोध जारी रहा. उनका अपना घर भी टिहरी बांध के जलाशय में डूब गया. टिहरी राजशाही का भी उन्होंने कड़ा विरोध किया था, जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. वह हिमालय में होटलों के बनने और लक्जरी टूरिज्म के भी मुखर विरोधी थे.
महात्मा गांधी के अनुयायी रहे बहुगुणा ने हिमालय और पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए कई बार पदयात्राएं कीं. वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कट्टर विरोधी थे.