जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और मध्य प्रदेश नर्सिंग होम एसोसिएशन के सदस्यों से कहा है कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के मद्देनजर वे इलाज के दौरान अत्यधिक फीस लेकर मरीजों का शोषण न करें.
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और जस्टिस संजय द्विवेदी की पीठ ने अपने आदेश में यह बात कही.
अदालत ने कोविड-19 मरीजों के इलाज से संबंधित दर-सूची का निर्धारण कर इसका प्रचार-प्रसार करने का सरकार को निर्देश दिया.
अदालत ने कहा, ‘कोविड-19 की दूसरी लहर के चलते देश के सामने मौजूदा संकट के समय में उनके (एसोसिएशन) सदस्यों को मरीजों से अधिक दर वसूल कर उनका शोषण करने से बचना चाहिए.’
उप महाअधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने बताया कि अदालत ने प्रदेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव को निर्देश दिया कि आरटी-पीसीआर जांच, रैपिड एंटीजन टेस्ट और सीटी/एचआरसीटी स्कैन के लिए सरकार द्वारा निर्धारित दरों का व्यापक प्रचार किया जाए.
आदेश में सरकार से तय दरों/शुल्कों से भी लोगों को अवगत कराने के लिए कहा गया है.
अदालत ने यह आदेश न्याय मित्र अधिवक्ता नमन नागरथ और ऐसी ही एक अन्य याचिका की सुनवाई करते हुए जारी किया.
याचिका के जरिये अदालत से अनुरोध किया गया था कि प्रदेश सरकार द्वारा 25 मार्च को दिए गए निर्देशों का सभी जिलों में कड़ाई से पालन करने के लिए निर्देश दिए जाए.
इस बीच मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में बीते 24 घंटे के दौरान संक्रमण के 6,489 मामले दर्ज किए गए है, वहीं 37 लोगों की मौत हुई है. एक दिन में इंदौर में रिकॉर्ड 923 केस आए हैं. भोपाल में 824, ग्वालियर में 497 और जबलपुर में 469 मामले पाए गए हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, बीते 24 घंटे में छह नई मौतों के साथ इंदौर राज्य का पहला शहर बन गया है, जहां कोरोना से 1005 मौतें हो गई हैं. यहां 19 अप्रैल की सुबह तक कोरोना कर्फ्यू/लॉकडाउन चल रहा है. हालात कोरोना संक्रमण की पहली लहर के पीक टाइम सितंबर 2020 से भी खराब हो गए हैं. यहां लॉकडाउन के बावजूद प्रदेश में सर्वाधिक केस सामने आ रहे हैं.