रांची – झारखंड में निजी क्षेत्र में अब 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों की नियुक्ति अनिवार्य होगी, जबकि राज्य के निवासी तकनीकी रूप से प्रशिक्षित एवं प्रमाणित युवकों व युवतियों, जो लघु या दीर्घ अवधि के लिए भी किसी भी रोजगार या स्वरोजगार से नहीं जुड़े हों, उन्हें अब पांच से सात हजार रुपये तक प्रति माह बेरोजगारी भत्ता दिया जायेगा. इसके लिए मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना शुरू की जायेगी. राज्य कैबिनेट ने शुक्रवार को श्रम, रोजगार प्रशिक्षण व कौशल विभाग द्वारा तैयार इससे संबंधित प्रस्ताव पर स्वीकृति दे दी.
75 प्रतिशत स्थानीय लोगों की नियुक्ति के लिए अब हेमंत सरकार झारखंड राज्य में स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन एवं अधिनियम 2021 से संबधित विधेयक को चालू विधानसभा सत्र में लायेगी. राज्य सरकार ने इस प्रस्ताव को तैयार करने के लिए विभिन्न राज्यों का अध्ययन कराया था. इसके बाद आंध्र प्रदेश की तर्ज पर झारखंड में इसे लागू करने का निर्णय लिया. इसके तहत 30 हजार रुपये तक की नौकरियों में यह व्यवस्था लागू किये जाने की संभावना है.
राज्य में रहने व पढ़नेवाले युवकों व मजदूरों को मिलेगा मौका : इस नये कानून के मुताबिक राज्य में सभी प्रकार की औद्योगिक इकाइयों, फैक्ट्री, संयुक्त उद्यम समेत पीपीपी मोड में चल रही सभी परियोजनाओं में 75 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय लोगों को देनी होंगी, जबकि 25 प्रतिशत सीट पर अन्य लोगों को रख सकेंगे. इसके लागू होते ही खास कर राज्य में जितने भी प्राइवेट कंपनी या संस्थान हैं, वहां राज्य में पढ़ाई पूरी करनेवाले युवकों या फिर यहां के मजदूरों को रखना अनिवार्य होगा. यदि इन कंपनियों को कोई मदद नहीं मिलती है, तो भी उन पर यह नियम लागू होगा.
विधेयक लागू होने पर केवल वह इकाइयां, जो कंंपनी अधिनियम की पहली अनुसूची में सूचीबद्ध हैं, उन्हें इसमें छूट दिये जाने की संभावना है. इनमें मुख्य रूप से पेट्रोलियम, फार्मास्यूटिकल, कोयला, उवर्रक, सीमेंट जैसे खतरनाक उद्योग शामिल होंगे. नये नियम के मुताबिक कंपनियों को कानून लागू होने के तीन वर्ष के भीतर इन प्रावधानों का पालन करना होगा और एक नोडल एजेंसी को तीन माह में रिपोर्ट देनी होगी.
झामुमो ने विधानसभा चुनाव 2019 के घोषणा पत्र में भी निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को नियुक्त करने के लिए रोजगार अधिकार कानून बनाने की बात कही थी. राज्य सरकार इसके बाद से ही इसे लागू करने के लिए प्रयासरत है. लॉकडाउन के बाद बाहर रोजगार कर रहे झारखंड के हजारों युवाओं की स्थिति को ध्यान में रख कर सरकार ने यह कदम उठाया है.
इस कानून के लागू होने पर तकनीकी रूप से दक्ष युवकों/युवतियों /मजदूरों को नियुक्ति में प्राथमिकता दी जायेगी. अगर संबंधित कंपनी को उनकी आवश्यकता के अनुसार स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षित युवक/युवती नहीं मिलते हैं, तो वह सरकार के साथ मिल कर ऐसे युवकों/युवतियों को तीन वर्ष में प्रशिक्षण देकर नौकरी लायक बनायेगी. जिससे कोई भी कंपनी यह बहाना नहीं कर सके, कि उन्हें कौशल मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं.
मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना के तहत बेरोजगारों को भत्ता दिया जायेगा. इसमें तकनीकी रूप से प्रशिक्षित एवं प्रमाणित उम्मीदवार, जो किसी रोजगार या स्वरोजगार से नहीं जुड़े हैं, उन्हें बेरोजगारी भत्ता दिया जायेगा. गौरतलब है कि झामुमो ने अपने घोषणापत्र में बेरोजगारी भत्ता दिये जाने की बात कही थी. इसकी विधिवत घोषणा मुख्यमंत्री खुद विधानसभा में करेंगे.
प्रस्ताव के अनुसार शहरी एवं ग्रामीण बेरोजगार युवाओं, जो किसी भी कौशल प्रशिक्षण या व्यावसायिक पाठयक्रम से उत्तीर्ण हों और राज्य के किसी भी नियोजनालय में निबंधित हों. उन्हें एक वर्ष के लिए राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत सहायता राशि उपलब्ध करायी जायेगी. ऐसे बेरोजगारों को पांच हजार रुपये प्रतिमाह एक वर्ष के लिए दिये जायेंगे. इसमें विधवा, परित्यक्ता, आदिम जनजाति, दिव्यांगों के लिए अतिरिक्त 50 प्रतिशत राशि यानी 7500 रुपये दिये जायेंगे.
राज्य के विभिन्न विभागों द्वारा संचालित कौशल प्रशिक्षण, सरकारी आइटीआइ, सरकारी पोलिटेक्निक एवं अन्य सरकारी व्यावसायिक पाठयक्रम से उत्तीर्ण होना चाहिए. आवेदक बेरोजगार होना चाहिए और झारखंड के नियोजनालय में निबंधित होना चाहिए. झारखंड का डोमिसाइल होना चाहिए. नियोजनालय में निबंधन की तिथि को आवेदक की आयु 18 वर्ष से अधिक और 35 वर्ष से कम होनी चाहिए. एसटी-एससी को उम्र सीमा में नियमानुसार छूट मिलेगी. बेरोजगारी भत्ता पाने के लिए अावेदक के आवेदन पर जिला स्तरीय समिति द्वारा जांच के बाद निर्णय लिया जायेगा.