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 ध्रुपद संस्थान में यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद कई छात्रों ने संस्थान छोड़ा, जांच समिति पर उठाए सवाल | dharmpath.com

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ध्रुपद संस्थान में यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद कई छात्रों ने संस्थान छोड़ा, जांच समिति पर उठाए सवाल

September 13, 2020 2:38 pm by: Category: ख़बरें अख़बारों-वेब से Comments Off on ध्रुपद संस्थान में यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद कई छात्रों ने संस्थान छोड़ा, जांच समिति पर उठाए सवाल A+ / A-

आवासीय संगीत गुरुकुल ध्रुपद संस्थान के दो लोकप्रिय गुरु रमाकांत और अखिलेश गुंदेचा पर छात्राओं ने यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ के आरोप लगाए हैं. छात्रों का कहना है कि इन आरोपों की जांच के लिए गठित आंतरिक शिकायत समिति में या तो गुंदेचा परिवार से जुड़े लोग हैं या फिर संस्थान के.

नई दिल्ली- मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित प्रतिष्ठित आवासीय संगीत गुरुकुल ‘ध्रुपद संस्थान’ के लोकप्रिय गुरुओं रमाकांत गुंदेचा और अखिलेश गुंदेचा पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद संस्थान के छह छात्र गुरुकुल छोड़ चुके हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुकुल के 24 में से छह छात्र गुरुकुल छोड़ चुके हैं. छात्रों का कहना है कि छह और छात्र रविवार तक संस्थान छोड़ देंगे.

संस्थान से शिक्षा ले चुके दिल्ली के एक छात्र ने कहा, ‘अगले हफ्ते और छात्र संस्थान छोड़ देंगे.’

छात्रों का आरोप है कि आरोपों की जांच के लिए गठित आंतरिक शिकायत समिति में या तो परिवार से जुड़े लोग हैं या फिर ध्रुपद संस्थान के.

शिकायत समिति में सामाजिक कार्यकर्ता सुषमा अयंगर हैं, जो गुंदेचा के अधीनस्थ ही ध्रुपद संस्थान में पढ़ाती हैं.

इसके अलावा दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की बहू मोना दीक्षित भी हैं, जो संस्थान का दौरा करती रहती हैं. सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अंशु वैश्य, मध्य प्रदेश की जिला एवं सत्र अदालत के पूर्व जज मुंशी सिंह चंद्रावत भी शामिल हैं.

समिति की ऑनलाइन बैठक आठ सितंबर को हुई थी, जिसका प्रभावित छात्रों ने बहिष्कार किया था.

साल 2019 में पिता रमाकांत के निधन के बाद से उमाकांत के साथ गाने वाले रमाकांत के बेटे अनंत का कहना है कि वे समिति के पुनर्गठन की प्रक्रिया में है और वे इसमें छात्रों को भी शामिल करेंगे.

उन्होंने कहा, ‘कुछ ऐसे छात्र हैं, जिन्हें लगता है कि समिति में परिवार से जुड़े लोगों को नहीं होना चाहिए और वे समिति की बैठकों में हिस्सा नहीं ले रहे हैं लेकिन ऐसे भी कई छात्र हैं, जो हिस्सा ले रहे हैं.’

अनंत ने कहा कि सुझावों के लिए परिवार गुरुकुल में रह रहे छात्रों के साथ इसके साथ ही अन्य लोगों के भी संपर्क में है.

उन्होंने कहा, ‘हम जितना संभव हो सके, इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की प्रक्रिया में है. हमारा विश्वास है कि यह संस्थान छात्रों और गुरुओं के संयोजन से बना है. वे सदस्य, जिन्हें हमने चुना है, हमें लगता है कि इस मुद्दे पर उनसे संवेदनशीलता के साथ संपर्क किया जाए. अब हम एक नई समिति का गठन करेंगे, जिसमें पुरानी समिति और साथ ही छात्रों के प्रतिनिधि भी होंगे.’

इस संबंध में हाल ही में छात्रों के एक समूह ने हाल ही में बयान जारी किया है जबकि इससे पहले ध्रुपद संस्थान ने कहा था कि अखिलेश गुंदेचा उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच होने तक स्वेच्छा से संस्थान की सभी गतिविधियों से खुद को दूर रख रहे हैं.

छात्रों के मुताबिक, ‘फेसबुक पर इन आरोपों के सामने आने के बाद दो सितंबर को बैठक हुई थी जिसकी अध्यक्षता संस्थान के चेयरमैन उमाकांत गुंदेचा, उनकी बेटी धानी और अनंत ने की थी.’

बयान में कहा गया, ‘अखिलेश को छात्रों की ओर से बने दबाव की वजह से गुरुकुल छोड़ना पड़ा.’

दिल्ली के छात्र का दावा है कि हाल ही में उमाकांत ने अमेरिका के एक पखावज छात्र को अखिलेश द्वारा पढ़ाए जाने की पेशकश की थी.

छात्रों के बयान में कहा गया, ‘बड़े गुरुजी उमाकांत पर कोई आरोप नहीं है लेकिन जिस तरह से वे व्यवहार कर रहे हैं, वह बेहद अफसोसजनक है. इससे लगता है कि वे सिर्फ अपने परिवार का बचाव कर रहे हैं और उन्हें हमारी कोई चिंता नहीं है. उन्हें यह स्वीकार करने की जरूरत है कि गुंदेचा परिवार को इस तरह के उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के मामलों के बारे में पहले से जानकारी थी लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की.’

गुरुकुल के छात्रों का कहना है कि संस्थान में उत्पीड़न की अफवाहें सामान्य थीं लेकिन लॉकडाउन के दौरान ये इतनी तेज हो गईं कि इन्हें छिपाया नहीं जा सका. उदाहरण के लिए एक बार अखिलश कथित तौर पर एक छात्रा के कमरे में घुस आए और उससे कहा कि मुझे जो चाहिए, वो मुझे मिल जाएगा.

एक छात्र का कहना है कि पिछले साल रमाकांत की मौत के बाद गुरु अधिक निर्लज्ज हो गए थे. वह (अखिलेश) अधिक मुखर मांग करने वाले थे. कुछ मामलों में उन्होंने ब्लैकमेल भी किया.

100 कमरों वाले गुरुकुल में कई यूरोपीय छात्र थे, जो कोरोना वायरस की वजह से इस साल की शुरुआत में अपने देश लौट गए.

गुरुकुल की परंपरा के अनुसार छात्रों को संस्थान परिसर में ही रहकर संगीत सीखना होता है. वह इस दौरान साफ-सफाई और खाना पकाने जैसे काम भी करते हैं.

एक युवा छात्र ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘संस्थान में बचे छात्रों ने कक्षाओं से दूरी बना ली है.’

छात्रों के लिए कक्षाएं आयोजित कराने में उमाकांत गुंदेचा की मदद करने वाले एक सीनियर छात्र ने बताया कि छात्रों के न आने की वजह से कई कक्षाएं रद्द करनी पड़ी.

अमेरिका से एक सीनियर छात्र ने कहा, ‘मैंने कल एक क्लास अटैंड की थी लेकिन मैंने आज कोई क्लास नहीं ली क्योंकि इन आरोपों के बाद संगीत पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल है.’

मालूम हो कि ‘ध्रुपद फैमिली यूरोप’ नाम से एक फेसबुक ग्रुप की पोस्ट के बाद ये आरोप पहली बार सामने आए थे. जिसमें संस्थान के गुरुओं रमाकांत और अखिलेश गुंदेचा पर कई सालों तक यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाए गए.

एम्सटर्डम की एक योग शिक्षक ने यह फेसबुक पोस्ट लिखी थी, जिनका कहना है कि उन्होंने अपनी एक दोस्त की ओर से इस बात को सार्वजनिक किया है, क्योंकि वह अपनी पहचान उजागर नहीं करना चाहती हैं.

गुंदेचा बंधुओं में से रमाकांत की पिछले साल दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी. उनके बड़े भाई उमाकांत गुंदेचा ध्रुपद संस्थान के प्रमुख हैं.

अखिलेश गुंदेचा इनके छोटे भाई हैं और पखावज वादक हैं. गुंदेचा बंधुओं को 2012 में पद्मश्री और 2017 में संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है.

बता दें कि ध्रुपद देश के सबसे पुराने शास्त्रीय संगीत प्रारूपों में से एक है. ध्रुपद संस्थान एक आवासीय शास्त्रीय संगीत गुरुकुल है, जिसे यूनेस्को ने अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का दर्जा दिया है.

फेसबुक पोस्ट में दोनों गुरुओं की धमकियों की वजह से कथित पीड़ितों के चुप्पी साधे रखने की बात कही गई थी.

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