अमूमन हर साल पितृ पक्ष याने श्राद्घ समाप्ति के अगले ही दिन से नवरात्रि उत्सव शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार यह पर्व पितृ पक्ष समाप्ति के एक माह बाद शुरू होगा। पं. मनीष शास्त्री की माने तो इस बार श्राद्घ पक्ष समाप्त होते ही अधिकमास लग जाएगा। ऐसे में नवरात्र व पितृ पक्ष के बीच एक महीने का अंतर आ जाएगा। आश्विन मास में मलमास लगने व एक महीने के अंतर पर नवरात्रारंभ का संयोग 165 साल पहले बना था।
तर्क है कि ऐसा लीप वर्ष होने के कारण हो रहा है। इसलिए इस बार चातुर्मास जो हमेशा चार महीने का होता है, इस बार पांच महीने का होगा। ज्योतिषविदों की माने तो 160 साल बाद लीप वर्ष व अधिकमास दोनों ही एक साल में आए हैं। चातुर्मास लगने से विवाह, मुंडन, कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इस काल में पूजन पाठ, व्रत उपवास और साधना का विशेष महत्व रहेगा। इस बार 17 सितंबर को पितृ पक्ष खत्म होगा। इसके अगले दिन 18 सितंबर से अधिकमास शुरू हो जाएगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। 17 अक्टूबर से नवरात्रि पर्व शुरू होगा। 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगी। जिसके साथ ही चातुर्मास समाप्त होंगे। इसके बाद ही विवाह, मुंडन आदि मंगल कार्य शुरू होंगे।