भोपाल, 10 अगस्त – मध्य प्रदेश ममुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी श्रेष्ठ उपलब्धियों हासिल करने के लिए प्रयास किए जाने पर जोर देते हुए कहा कि जिस तरह राज्य ने बीते वर्षो में बिजली, पानी व कृषि के क्षेत्र में विकास के नए रिकार्ड बनाए है उसी तरह इन क्षेत्रों में भी प्रयास किए जाएंगे। मुख्यमंत्री चौहान वेबिनार श्रृंखला के माध्यम से राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोडमैप क्या हो, इस पर मंथन का दौर जारी है। उसी क्रम में सोमवार को स्वास्थ्य और शिक्षा पर मंथन किया गया।
आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी में बताया गया है कि वेबिनार श्रृंखला के तीसरे दिन मुख्यमंत्री ने कहा है कि जिस तरह मध्यप्रदेश ने बीते वर्षो में बिजली, पानी और कृषि के क्षेत्र में विकास के नए रिकार्ड बनाए हैं, उसी तरह अब स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में श्रेष्ठ उपलब्धियां प्राप्त करने के प्रयास होंगे।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में भारत की नई शिक्षा नीति के तीन प्रमुख उद्देश्यों ज्ञान-कौशल और संस्कार को प्राप्त करने के सोच से तैयार की गई है। मध्यप्रदेश इसका आदर्श तरीके से क्रियान्वयन करेगा। स्वास्थ्य क्षेत्र में भी आयुष्मान भारत योजना में नया सहारा दिया है। यह योजना मार्गदर्शक सिद्ध हो रही है। साथ ही प्रदेश में दूरस्थ ग्रामीण अंचलों तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के कार्यो पर जोर दिया।
मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश में 600 करोड़ की लागत से सिंगापुर के सहयोग से ग्लोबल स्किल पार्क के विकास की योजना है। इसके क्रियान्वयन की गति बढ़ाई जाएगी।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की प्राप्ति के लिए नीति आयोग के निर्देशन में इस वेबिनार श्रृंखला के माध्यम से रोडमैप तैयार करने का महत्वपूर्ण कार्य हो रहा है। तीन वर्ष में विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लक्ष्यों को प्राप्त किया जाएगा।
इस वेबिनार में हिस्सा लेते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए वेबिनार का आयोजन प्रशंसनीय है। विचार-विमर्श से महत्वपूर्ण सुझाव मिलते हैं। भारत की नई शिक्षा नीति के लिए करीब सवा दो लाख सुझाव प्राप्त हुए। स्वतंत्र भारत के बाद हुए सबसे बड़े नवाचार में अनेक शिक्षाविद् और कुलपति आदि ने परामर्श देने का कार्य किया।
निशंक ने बताया कि कक्षा छठवीं से विद्यार्थी व्यावसायिक शिक्षा से जुड़ जाएगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई बच्चा शिक्षा से नहीं छूटेगा। करीब ढाई करोड़ विद्यार्थी के ड्रॉपआउट को समाप्त करने में मदद मिलेगी। अब पहली से पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा का उपयोग किया जाएगा। विश्व के अनेक देशों में मातृभाषा को इस तरह का महत्व दिया गया है। भारत में पहली बार आठवीं अनुसूची में शामिल भारतीय भाषाओं को शिक्षा से जोड़ा गया है।