नई दिल्ली, 23 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की हवा स्वच्छ नहीं है, ऐसे में धन्यवाद दिया जाना चाहिए नई हरित तकनीक को। घर के अंदर लगभग 1200 पौधे लगाए जाने वाली इस तकनीक दक्षिणी दिल्ली के एक व्यापारिक केंद्र ने अपनाया है। बीजिंग से तीन गुना अधिक कोहरे से जूझ रही नई दिल्ली स्थित इस केंद्र में अब कोई भी ‘डावोस गुणवत्ता’ की हवा में सांस ले सकता है।
नई दिल्ली, 23 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की हवा स्वच्छ नहीं है, ऐसे में धन्यवाद दिया जाना चाहिए नई हरित तकनीक को। घर के अंदर लगभग 1200 पौधे लगाए जाने वाली इस तकनीक दक्षिणी दिल्ली के एक व्यापारिक केंद्र ने अपनाया है। बीजिंग से तीन गुना अधिक कोहरे से जूझ रही नई दिल्ली स्थित इस केंद्र में अब कोई भी ‘डावोस गुणवत्ता’ की हवा में सांस ले सकता है।
भीड़भाड़ वाले पहाड़पुर बिजनेस सेंटर (पीबीसी) और तंग और जर्जर नेहरू प्लेस व्यावसायिक परिसर में इंडोर एयर क्वालिटी (आईएक्यू) संभाग, ब्रेथ इजी के निदेशक बरुण अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा, ‘मैं डावोस (गुणवत्ता) हवा को दिल्ली लाया।’ पहाड़पुर और नेहरू प्लेस के दोनों केंद्रों में प्रणाली स्थापित की गई है।
अग्रवाल ने कहा, “हम दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में आपको पहाड़ों की ताजी हवा सांस लेने में मदद कर सकते हैं। हमारी तकनीक का ऐसे किसी भी आंतरिक जगह जहां मानवों का आना-जाना हो, जैसे घरों, कार्यालयों, मॉलों, होटलों, अस्पतालों में प्रयोग करने की की व्यवस्था है।”
उन्होंने जोड़ा, “इस समस्या के बारे में हर कोई बात करता है, लेकिन मुट्ठीभर समाधान के बारे में और हम कहां कदम रखें, इस पर बात करता है।”
अग्रवाल और पीबीसी के सीईओ कमल मेआट्टेले पहले घर में लगने वाले तीन पौधों -मदर इन लॉज टंग, सुपारी के पेड़ और मनी प्लांट पर केंद्रित रहे। इसका कारण था कि इनमें घर के भीतर की हवा को शुद्ध कर ऑक्सीजन से भर सकने क्षमता होती है।
50,000 वर्ग फुट की सुविधा, छह तलों में फैला हुआ, इस्तेमाल में आ रही अन्य तकनीकें, बाहर की हवा को पानी से साफ कर विभिन्न प्रकार के प्रदूषकों के स्तर को घटाने के लिए एस्क्रबर की मौजूदगी।
यह हवा उसके बाद छत के आधे क्षेत्र को घेरते ग्रीन हाउस से गुजारी जाती है जहां वातानुकून प्रणाली में उसे भेजने से पहले वह फार्मलडिहाइड, बेंजीन, कार्बन मोनोऑक्साइड और बैक्ट्रिया से मुक्त हो जाती है।
आंतरिक प्रदूषण की स्थिति पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि भारत में आंतरिक वायु प्रदूषण उच्च रक्तचाप के बाद दूसरा सबसे बड़ा जान का दुश्मन है। इससे हर साल 13 लाख मौतें होती हैं।