नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने राजकोट की जिस फर्म से 5,000 वेंटिलेटर खरीदने का ऑर्डर दिया है, उसके द्वारा सप्लाई की गई सांस लेने संबंधी मशीनों को अहमदाबाद के सबसे बड़े कोविड-19 अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा मानकों के अनुकूल नहीं पाया गया है.
इस फर्म के वर्तमान और पूर्व प्रमोटरों के वरिष्ठ भाजपा नेताओं से नजदीकी संबंध हैं और इनमें से कम से कम एक उद्योगपति का परिवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तोहफे में मिले उनके नाम के मोनोग्राम वाला महंगे सूट से को लेकर हुए विवाद से जुड़ा हुआ है.
गुजरात सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य सचिव जयंती रवि के अनुसार, 5000 वेंटिलेटर्स का यह ऑर्डर सरकार द्वारा संचालित एचएलएल लाइफकेयर के द्वारा दिया गया है.
ऐसा संभव है कि इसके लिए धनराशि पीएम केयर्स फंड से दी गई हो, जिसके बारे में इस महीने की शुरुआत में बताया गया था कि फंड के दो हजार करोड़ रुपयों का उपयोग 50,000 मेड इन इंडिया वेंटिलेटर खरीदने के लिए किया जाएगा.
बीते कुछ हफ्तों से अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल में सौ मेड इन इंडिया वेंटिलेटर्स सप्लाई करने को लेकर ज्योति सीएनसी ऑटोमेशन लिमिटेड चर्चा में है. इसके प्रमुख और मैनेजिंग डायरेक्टर पराक्रमसिंह जडेजा को मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का करीबी माना जाता है.
हालांकि कुछ समय बाद इस कंपनी द्वारा भेजे गए वेंटिलेटर धमन-1 को इस अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा कोविड-19 के मरीजों के अनुकूल नहीं पाया गया था, लेकिन गुजरात सरकार द्वारा इसे एक महान उपलब्धि के रूप में प्रचारित किया गया.
ज्ञात हो कि देश में कोविड से हुई सर्वाधिक मौतों की सूची में अहमदाबाद (600) दूसरे स्थान पर है.
अहमदाबाद मिरर द्वारा इस सप्ताह की शुरुआत में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि गुजरात के सबसे बड़े अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा ज्योति सीएनसी द्वारा भेजे गए वेंटिलेटर्स के ‘वांछित नतीजे’ न देने के बाद राज्य सरकार से उचित वेंटिलेटर्स की मांग की गई थी.
अखबार ने यह भी बताया है कि इस बीच कंपनी की मशीनों को लेकर खुद मुख्यमंत्री रूपाणी ने दावा किया था कि ये सस्ती मशीनें महज दस दिनों में तैयार की गई हैं. लेकिन उनके दावे का समर्थन गुजरात सरकार के डॉक्टरों द्वारा नहीं किया गया.
सिविल अस्पताल के एनेस्थेसिया विभाग के प्रमुख डॉ. शैलेश शाह ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया था कि अब तक धमन-1 का इस्तेमाल बेहद कम मौकों पर किया गया क्योंकि हाई-एंड वेंटिलेटर्स पर्याप्त संख्या में थे.
उन्होंने आगे कहा था, ‘धमन-1 हाई एंड वेंटिलेटर्स का अच्छा विकल्प नहीं है, लेकिन बेहद इमरजेंसी के समय अगर आपके पास कुछ न हो तो इसे इस्तेमाल किया जा सकता है.’ डॉ. शाह का यह भी कहना था कि जिस तरह से कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, ऐसे में इन पर निर्भर रहना सही नहीं होगा.
अब तक राज्य में इस तरह के 900 वेंटिलेटर लगाए गए हैं, जिनमें से 230 केवल अहमदाबाद सिविल अस्पताल में हैं. विपक्षी कांग्रेस ने इसके बारे में न्यायिक जांच करवाए जाने की मांग भी की है. उनका आरोप है कि सरकार ने जानबूझकर लोगों की जान खतरे में डाली है.
अहमदाबाद मिरर की रिपोर्ट के अनुसार इन वेंटिलेटर्स को देश के ड्रग कंट्रोलर जनरल से लाइसेंस भी नहीं मिला है और इन्हें मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री द्वारा 5 अप्रैल को लॉन्च किए जाने से पहले इनका केवल एक व्यक्ति पर ही परीक्षण किया गया था.
इस बारे में विवाद होने के बाद गुजरात सरकार ने दावा किया है कि उन्होंने कभी ज्योति सीएनसी की मशीनों को वेंटिलेटर नहीं बताया, हालांकि उनके द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में इसे नौ बार ‘वेंटिलेटर’ कहते हुए ‘नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट’ की एक ‘महत्वपूर्ण उपलब्धि’ बताया गया है.
इन मशीनों को लेकर हुए प्रचार के बाद कुछ राज्यों ने कोविड-19 से निपटने की तैयारी के मद्देनजर इसके ऑर्डर दिए थे. लेकिन 20 मई को पुदुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने ट्विटर पर लिखा कि वे उनके प्रदेश के लिए दिए गए धमन-1 मशीन के ऑर्डर को रद्द कर रहे हैं.
ज्योति सीएनसी कंपनी से जुड़े उद्योगपति परिवारों में से एक विरानी परिवार है, जिसने साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्हीं का नाम छपा महंगा सूट तोहफे में दिया था.
वायर से साभार