विकास दत्ता
विकास दत्ता
जयपुर, 22 जनवरी (आईएएनएस)। भारत और पाकिस्तान किसी भी कीमत पर वार्ता करें। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की प्रकाशित होने वाली पुस्तक में उन्होंने इस बात का खुलासा किया है कि 2007 में कश्मीर मुद्दे के समाधान पर दोनों देश करीब पहुंच चुके थे।
जयपुर साहित्योत्सव 2015 में हिस्सा लेने पहुंचे कसूरी ने गुरुवार को आईएएनएस से कहा, “वियतनाम पर पांच परमाणु बम गिराए जाने के बराबर हुई बमबारी के बाद यदि अमेरिका और (उत्तरी) वियतनाम हर मंगलवार को वर्ता कर सकते हैं तो भारत और पाकिस्तान भी वैसा कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा कि बातचीत के अलावा इसका और कोई विकल्प नहीं है। इसका कारण यह है कि वार्ता के अभाव में दोनों तरफ के कट्टरपंथियों को मजबूती मिलती है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसके लिए पूर्व शर्त भी नहीं होनी चाहिए या दरकिनार किया जाना तय कर प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “दुनिया में केवल चार देश – उत्तर और दक्षिण कोरिया और भारत और पाकिस्तान – हैं, जो इस स्थिति में (वार्ता नहीं करने वाले) हैं।”
कसूरी ने उल्लेख किया कि भारत-पाकिस्तान संबंध उतार-चढ़ाव की स्थिति में भी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के लिए मौजूदा गतिरोध से बाहर आने का यही सबसे उपयुक्त समय है।
‘नाइदर अ हॉक नॉर अ डोव’ (भारत के पेंगुइन प्रकाशन से और ओयूपी से दुनिया के शेष हिस्से के लिए प्रकाशित) शीर्षक वाली उनकी किताब उनके पहले प्रश्न का जवाब है।
पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने 2002 में जब उन्हें विदेश मंत्री नामित किया था, तब भारत के साथ रिश्ते पर उनके रुख के बारे में कहा था।
उन्होंने कहा कि किताब में खास तौर से 2007 के समझौते के बारे में बात कही गई है। इस समझौते से दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच लंबे समय तक कायम रहने वाली शांति की आधारशिला रखी जा सकती थी, लेकिन वह सौभाग्य हासिल न हो सका क्योंकि भारत, अमेरिका के साथ परमाणु करार में उलझा रहा जबकि मुशर्रफ घरेलू चुनौतियों का सामना करने लगे। ये चुनौतियां उनकी सत्ता के लिए चुनौती बन गई थीं।
कसूरी ने कहा कि उनके सामने यह कीर्तिमान स्थापित करने की जिम्मेदारी थी कि किस तरह दोनों देश अपने मुद्दों के समाधान के लिए प्रयास करें। इससे पहले साहित्योत्सव में पाकिस्तान पर रखे गए सत्र में कसूरी चर्चा सत्र में शामिल थे।
उन्होंने कहा कि मुशर्रफ ने केवल एक पैराग्राफ या कुछ ही विकसित किया। उन्होंने अपनी आत्मकथा में इसे बताया है, जबकि भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कभी कुछ नहीं लिखा।
मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की किताब ‘दी एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ पर कसूरी ने कहा कि इस किताब में जो कुछ कहा गया है वह उनकी आने वाली पुस्तक में जो उन्होंने दावे किए हैं उसको सहारा देता है।