नई दिल्ली, 27 अप्रैल – भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारियों के एक समूह ने कोरोना महामारी के दौरान कम हो चुकी आर्थिक गतिविधि और संग्रह के जवाब में राजस्व जुटाने के लिए धनी लोगों पर कर दर बढ़ाने , कोविड-19 सेस लगाने, एमएनसी पर सरचार्ज बढ़ाने जैसे कदम डक्षने के सुझााव दिए हैं।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को भेजे एक इस सुझाव पत्र को आयकर विभाग के 50 अधिकारियों के एक समूह ने मिलकर तैयार किया है।
आईआरएस ऑफिसर्स एसोसिएशन ने कहा, “घर से काम करते हुए उन्होंने एक स्वस्थ, मजबूत और समृद्ध भारत को बनाने के लिए उन्होंने अपने सामूहिक ज्ञान, अनुभव, और प्रतिबद्धता का इस्तेमाल किया है। फोर्स नामक पत्र यद्यपि उनकी युवा ऊर्जा और आदर्शवाद को प्रदर्शित करता है, लेकिन यह कोविड-19 महामारी के वित्तीय विकल्प और जवाब के रूप में खड़ा होता है।”
अधिकारियों ने इस पत्र में कहा है कि तथाकथित सुपर रिच लोगों की व्यापक सार्वजनिक भलाई के प्रति अधिक जिम्मेदारी है। ऐसा कई कारणों से है – उनके पास अन्य लोगों की बनिस्बत अधिक उच्चस्तर पर भुगतान करने के लिए क्षमता होती है, अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने में उनकी एक उच्च भागीदारी होती है, और उनकी मौजूदा संपत्ति का स्तर अपने आप में राज्य और उसकी जनता के बीच सामाजिक संबंध का एक उत्पाद होता है।
उच्च आय वाले अधिकांश लोगों के पास अभी भी घर से काम करने की शानदार सुविधाएं हैं। और धनी लोग अस्थायी झटके से उबरने के लिए अपनी पूंजी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसलिए आबादी के इस हिस्से पर दो वैकल्पिक तरीके के कर लगाए जा सकते हैं, और दोनों करों को एक सीमित, निर्धारित अवधि तक के लिए लगाया जा सकता है।
अधिकारियों ने सुझाव दिया है कि न्यूनतम एक करोड़ रुपये से ऊपर की कुल आय वालों पर सर्वोच्च कर स्लैब 40 प्रतिशत किया जाए या पांच करोड़ रुपये या इससे अधिक की संपत्ति वालों पर संपत्ति कर फिर से लगाया जाए।
अंतर्राष्ट्रीय कराधान पर सुझााव दिया गया है कि अधिक आय कमाने वाली उन विदेशी कंपनियों पर सरचार्ज लगाया जाए, जिनका कोई ब्रांच कार्यालय या स्थायी प्रतिष्ठान भारत में है।
आईआरएएस अधिकारियों ने एक कोविड राहत सेस का भी सुझााव दिया है। प्रस्तावित सरचार्ज की तरह सेस ज्यादा व्यापक आधार वाला है, क्योंकि यह हरेक करदाता से वसूला जाएगा।