मुंबईः रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट और कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें रिपब्लिक टीवी के प्रसारण और अर्णब गोस्वामी द्वारा कुछ भी प्रसारित करने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, बॉम्बे हाईकोर्ट में महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य भाई जगताप और महाराष्ट्र यूथ कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूरज ठाकुर ने याचिका दायर की हैं, जबकि कर्नाटक हाईकोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता और बेंगलुरु के आरटीआई कार्यकर्ता मोहम्मद आरिफ जमील ने याचिका दायर की है.
दोनों याचिकाकर्ताओं ने अदालत से पालघर में दो साधुओं और उनके ड्राइवर की पीट-पीट कर हत्या के मामले को गलत तरीके से सांप्रदायिक रंग देने और इस घटना को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर आरोप लगाने के लिए अर्णब गोस्वामी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश देने को कहा है.
याचिकाकर्ताओं ने अपने वकील राहुल कामेरकर के जरिये दायर याचिका में कहा है कि जांच पूरी होने तक गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी के सभी प्रसारण पर अंतरिम रोक लगाई जाए.
इसके साथ ही अर्णब के खिलाफ जांच पूरी होने तक उनके किसी भी टीवी चैनल या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये बोलने पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है.
कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले मोहम्मद आरिफ ने 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी का उल्लेख किया, जिसमें चीफ जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एल. नागेश्वर राव की पीठ ने कहा था कि शहरों में काम करने वाले मजदूरों का बड़ी संख्या में पलायन इस फेक न्यूज की वजह से हुआ कि लॉकडाउन तीन महीने से अधिक समय जारी रहेगा.
उस समय सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया से कोरोना की कवरेज के समय जिम्मेदारी से काम करने और सरकार की पुष्टि के बाद ही कोरोना के संबंध में खबरें प्रकाशित/प्रसारित करने को कहा था.
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट की इन टिप्पणियों के आधार पर याचिका में अर्णब के टीवी शो के दौरान कथित आपत्तिजनक बयानों का उल्लेख किया.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, शो के दौरान अर्णब ने कहा था, ‘अगर यह भाजपा के नेतृत्व वाले किसी राज्य में होता और अगर इसमें हिंदुओं की जगह कोई और संप्रदाय होता. मैं सीधा कहना चाहूंगा कि अगर इस घटना में कोई अल्पसंख्यक समुदाय का व्यक्ति मारा जाता तो क्या नसीरुद्दीन शाह, अपर्णा सेन, रामचंद्र गुहा, सिद्धार्थ वरदराजन या अवॉर्ड वापसी गैंग क्या आज आपे से बाहर नहीं हो जाता?’
याचिका में कहा गया, ‘अर्णब ने बेहद अनैतिक रूप से, निंदनीय ढंग से, पत्रकारिता के पेशे की धज्जियां उड़ाकर महाराष्ट्र के पालघर में हुई मॉब लिंचिंग की घटना को बार-बार सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की. यह दिखाने की कोशिश की कि आम आदमी हर समय अपनी जिंदगी को लेकर डरा हुआ है.’
याचिका में कहा गया कि अर्णब गोस्वामी के बयान नफरत को बढ़ावा देने वाले हैं और यह दंडनीय अपराध है. इसके साथ ही यह पूरे समुदाय के जीने के अधिकार के साथ हमारे संवैधानिक मूल्यों पर हमला है.
मालूम हो कि कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि बीते दिनों रिपब्लिक टीवी पर डिबेट के दौरान अर्णब ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं की लिंचिंग के मुद्दे पर डिबेट के दौरान उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कथित तौर पर हिंदुओं को उकसाने की कोशिश की.
जिसके बाद कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना सहित देश के कई राज्यों में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी.
इन एफआईआर के खिलाफ अर्णब गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख था, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने उन्हें अंतरिम राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर तीन सप्ताह की रोक लगा दी थी.
इसके साथ ही अदालत ने उनके खिलाफ किसी भी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है. वह तीन सप्ताह में अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल कर सकते हैं.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मामले की सुनवाई करते हुए गोस्वामी के खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर पर रोक लगा दी थी. हालांकि उनके खिलाफ नागपुर में दर्ज एफआईआर पर रोक नहीं लगाई गई थी.
नागपुर में दर्ज एफआईआर को अब मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया है.